बारात
जब भी मैं बारात देखती हूं अक्सर
न जाने क्यों बाराती और दूल्हे को छोड़कर,
उन चमकीले लालटेन पकड़े बच्चों या औरतों को देखती हूं अक्सर।
बारात में घोड़ा बग्गी, बग्गी में दूल्हा - दुल्हन पीछे सजे - धजे फेंटे पहने, गहने, चमकीले कपड़े चूड़ियां, बिंदिया बालों में गजरा सजाएं मां, बहन, चाचा, चाची बुआ मौसी और दादी को छोड़कर लालटेन पकड़े हुए उन गरीबों को देखती हूं अक्सर
जब जब बारात चौराहे पर आकर रुकती, वह पीड़ित अपना लालटेन कांधे से नीचे उतारकर इंतजार करते बारात के आगे बढ़ने का रुक कर उन दीनों को इन धनियों की बारात खत्म होने का रहता बेसब्री से इंतजार ; पर जब तक उनके हो ना उनके घंटे पूरे वे बाजे वाले को कहते बजाओ जोरदार न जाने क्यों मैं लालटेन पकड़े बच्चों और औरतों को देखती हूं अक्सर।
बारात में मस्त मस्ती में झूमते, नाचते- गाते मेहमान, सारा माहौल रहता खुशनुमान पर इन लालटेन धारी मुसीबत के मारो को रहता बारात खत्म होने का इंतजार। न जाने क्यों मैं उन बच्चों और औरतों को देखती हूं अक्सर।
आखिर में बारात अपने नियत स्थान पर पहुंच जाती, उसका स्वागत सत्कार होता पर इन्हें लालटेन उठाने के मेहनताने का होता इंतजार। पैसे मिलने पर वह खाते आइसक्रीम, कुल्फी और गोला न जाने क्यों मैं बारात देखती हूं अक्सर।
जिनके सिर पर है दूसरों के खुशियों की चमकीली लालटेन उनके जीवन में है चिरकाल अंधेरा ना काम का कोई फिक्स रेट ना कोई टेम
जब भी मैं बारात देखती हूं अक्सर।
- सौ. नीलिमा माटे
नागपुर, महाराष्ट्र