सामाजिक समरसता की आधारशिला है शिक्षा : प्रा. सुधाकर इंगले
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नागपुर। सामाजिक समरसता ही समाज के उन्नयन की आधारशिला है। बिना सामाजिक समरसता के किसी भी समाज या राष्ट्र का उत्थान नहीं हो सकता। राष्ट्र की उन्नति के लिए शिक्षा और संस्कृति का समुन्नत विकास बहुत आवश्यक है। शिक्षा के विकास से ही समरसता स्थापित होती है। यह बात प्रा. सुधाकर इंगले ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कही। न्यास की विदर्भ प्रांतीय इकाई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अतिथि वक्तव्य देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा ही समाज में परिवर्तन की पृष्ठभूमि निर्मित करती है। इसलिए शिक्षा को समाज और राष्ट्र की अपेक्षा के अनुरूप होना चाहिए।
इस अवसर पर सामाजिक विचारक सुनील किटकरु ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का कार्य पूरे देश में उल्लेखनीय है। न्यास ने शिक्षा और संस्कृति की प्रगति में समाधानकारी प्रस्ताव रखे हैं। राष्ट्र और समाज का विकास सही मायने में शिक्षा के द्वारा ही संभव होता है। न्यास का यह घोष वाक्य ही है कि 'देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा'। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।
कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए विदर्भ प्रांत के संयोजक डॉ. मनोज पांडे ने कहा कि शिक्षा बचाओ आंदोलन के रूप में जिस संस्था की नींव पड़ी, आज वह शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के रूप में पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की आधारभूमि तैयार कर रही है। न्यास ने अपने कार्यों से शिक्षा और संस्कृति के संवर्धन और उन्नयन का महनीय प्रयास किया है। समस्या नहीं, समाधान को अपना ध्येय मानते हुए न्यास ने शिक्षा का समाधानकारक विकल्प तैयार करने की दिशा में कार्य किया है। आत्मनिर्भर भारत न्यास की मूल प्रतिज्ञा है। कार्यक्रम का संचालन महानगर महिला कार्य की संयोजिका डॉ. एकादशी जैतवार ने किया तथा आभार प्रदर्शन तकनीकी शिक्षा एवं भारतीय ज्ञान परंपरा विषय की संयोजिका डॉ. कल्याणी काले ने किया।
इस अवसर पर डॉ. संतोष गिरहे, डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी, डॉ. सुमित सिंह, डॉ. कुंजन लाल लिल्हारे, साक्षी लालवानी, अनुश्री सिन्हा