संजीवन आश्रम में वन महोत्सव का आयोजन
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ग्यारह संस्थाओं द्वारा 'एक पेड़ माँ के नाम' की संयुक्त पहल
नागपुर। आने वाली पीढ़ी के लिए स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण प्रदान करने हेतु सभी से पाँच पेड़ लगाने की अपील नागपुर की वन संरक्षक श्रीलक्ष्मी ने की। संजीवन आश्रम के विशाल परिसर में संजीवन सोशियो मेडिकल फाउंडेशन सहित कुल 11 संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वन महोत्सव उद्घाटन श्रीलक्ष्मी द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में श्रीलक्ष्मी और अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित किया।
कोरोना काल में हमने वृक्षारोपण और वृक्ष संरक्षण के महत्व का अनुभव किया है। जब अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म हो गई, तो इसी जंगल की ऑक्सीजन ने कई लोगों की जान बचाई ऐसा श्रीलक्ष्मी ने आगे कहा। उद्घाटन समारोह के मंच पर श्रीलक्ष्मी के साथ उप वनसंरक्षक डॉ. विनीता व्यास, महाराष्ट्र राज्य जैवविविधता बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. भरतसिंह हाडा, सह धर्मादाय आयुक्त श्रीमती खंडेलवाल, उप धर्मादाय आयुक्त किशोर मसने, सामाजिक वनीकरण कार्यालय के प्रभागीय वनाधिकारी नंदकिशोर राऊत, उपजिला अधिकारी इंदिरा चौधरी सहित अन्य अतिथि उपस्थित थे।
आरंभ में, श्रीलक्ष्मी द्वारा 'एक पेड़ माँ के नाम' अभियान के अंतर्गत वृक्षारोपण किया गया। तत्पश्चात, अतिथियों एवं उपस्थित लोगों ने नक्षत्र वन, फलदार वृक्ष एवं औषधीय वृक्षों सहित विभिन्न प्रकार के वृक्षों का रोपण किया। साथ ही, आश्रम परिसर स्थित शिव मंदिर में गायत्री यज्ञ का आयोजन किया गया। अतिथियों ने भी इसमें भाग लिया।
संजीवन आश्रम क्षेत्र में इस समय वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर सीनियर सिटीजन फाउंडेशन के सचिव डॉ. राजू मिश्रा, आदिम जाति संघ के मालवीय, मिलिट प्रचारक डॉ. बी टी वाघ, फार्मा आरंभ संस्था के किरण देशमुख, मनोज खडसे, गायत्री परिवार के शशिभूषण अग्रवाल, सहायक वन संरक्षक पांडुरंग पाखले व मनोज धनविजय, सी. मो झाडे फाउंडेशन के भारती झाडे और विकास झाडे, डॉ. समीर चौबे, स्मिता चौबे, सुनील भुते, वन अधिकारी, कर्मचारी, पदाधिकारी शामिल थे। इस अवसर पर संजीवन परिवार एवं विभिन्न वरिष्ठ नागरिक मंडलों के साथ- साथ अन्य संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय उगेमुगे ने किया और धन्यवाद ज्ञापन नंदकिशोर राउत ने किया। कार्यक्रम की सफलता के लिए संजीवन प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के नाना ढगे, राम वंजारी, धर्मराज रेवतकर, डॉ. सरिता उगेमुगे, चिकित्सकों और कर्मचारियों ने कड़ी मेहनत की।