तेरा ध्यान किधर है... जेब्रा क्रॉसिंग इधर है!
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मगर ज़मीन पर नदारद जेब्रा लाइनें,
नागपुर की ट्रैफिक अव्यवस्था पर उठते सवाल
नागपुर। नागपुर शहर के चौराहों पर लाउडस्पीकर पर बजता एक स्लोगन हर किसी का ध्यान आकर्षित करता है – "तेरा ध्यान किधर है... जेब्रा क्रॉसिंग इधर है!" यह संदेश सुनकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रशासन ट्रैफिक नियमों को लेकर अत्यंत सतर्क और सक्रिय है। लेकिन जब नागरिक इस संदेश के बाद चौराहे पर दृष्टि डालते हैं, तो अधिकांश स्थलों पर जेब्रा क्रॉसिंग का कोई नामोनिशान नहीं होता। जहां होता है वह आधा अधूरा...कही कही तो सिर्फ गड्ढे ही नजर आते हैं। सिग्नल लाइट की अमूमन यही स्थिति हर चौराहे पर नजर आती हैं।
यह स्थिति शहर के लगभग हर प्रमुख चौराहे पर देखने को मिलती है। केवल विधानसभा अधिवेशन के दौरान सिविल लाइन्स क्षेत्र में ही जेब्रा क्रॉसिंग, ट्रैफिक मार्किंग और सिग्नलिंग थोड़ी ठीक दिखाई देती है, बाकी समय यह अव्यवस्था आम हो चुकी है।
ट्रैफिक नियमों की अवहेलना बनी आदत
चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस के न दिखने पर कई वाहन चालक बेझिझक रेड सिग्नल पार कर जाते हैं। उन्हें कुछ सेकंड का रुकना भी भारी लगता है। इसके चलते दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। चिंता की बात यह है कि लोगों में दुर्घटना के भय या जिम्मेदारी की भावना की भी कमी नजर आती है। ट्रैफिक पुलिस भी मोबाइल गण के रूप में लेकर पिलर के आड में खड़े नजर आते है। शिकार मिला कि खींच फोटो।
3600 कैमरे – लेकिन आधे बंद!
शहर में करीब 3600 सीसीटीवी कैमरे ट्रैफिक नियंत्रण हेतु लगाए गए हैं, लेकिन प्रशासनिक रिपोर्ट के अनुसार इनका लगभग 50% हिस्सा खराब या बंद पड़ा है। जो कैमरे कार्यरत हैं उनसे चालान तो जारी होते हैं, मगर उनकी वसूली की प्रक्रिया लचर है।
युवा तकनीशियनों को जोड़ने का सुझाव – अनसुना
योग थेरेपिस्ट व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. प्रवीण डबली ने सुझाव दिया था कि कॉलेजों के आईटी छात्रों को इस काम से जोड़ा जाए। उन्हें रोजाना कुछ घंटों के लिए चालान जांचने और रिकॉर्ड तैयार करने का कार्य सौंपा जाए। इसके बदले उन्हें उचित मानदेय व चालान से 10% प्रोत्साहन राशि भी दी जाए। इससे एक ओर जहां चालान वसूली तेज होगी, वहीं युवाओं को भी रोजगार का अवसर मिलेगा। लेकिन दुर्भाग्यवश इस व्यवहारिक और सरल प्रस्ताव पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।
गड्ढों से पटी सड़कों पर स्वास्थ्य संकट
नागपुर की सड़कों की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। एक बार मरम्मत होते ही अगली बारिश में गड्ढे पुनः उभर आते हैं। यह निर्माण कार्यों की खराब गुणवत्ता और ठेकेदारों पर लचर निगरानी को दर्शाता है।
डॉ. डबली ने इस मुद्दे पर प्रशासन को घेरा और पूछा – "जब हर साल करोड़ों की सड़कों पर खर्च हो रहे हैं, तो हर साल वही गड्ढे क्यों?" क्या उसकी गुणवत्ता जांची नहीं जाती? उन्होंने यह भी कहा कि इन गड्ढों की वजह से न केवल दुर्घटनाएं हो रही हैं, बल्कि शरीर के जोड़ों, कमर व रीढ़ से जुड़ी बीमारियां भी बढ़ रही हैं।
डॉ. डबली ने प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि:
1. सभी प्रमुख चौराहों पर जेब्रा क्रॉसिंग अनिवार्य रूप से चिह्नित की जाए।
2. सभी सीसीटीवी कैमरे सुचारू रूप से कार्य करें व चालान की वसूली सुनिश्चित हो।
3. सड़कों की मरम्मत गुणवत्तापूर्ण ढंग से की जाए और एजेंसियों की जवाबदेही तय हो।
4. ट्रैफिक नियमों के पालन हेतु जागरूकता के साथ कठोर निगरानी भी की जाए।
5. स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले गड्ढों से निजात दिलाने के लिए एक विशेष सड़क स्वास्थ्य मिशन चलाय जाए।
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था और सड़कों की दशा नागरिकों के जीवन स्तर को सीधे प्रभावित कर रही है। यह समय है जब केवल स्लोगन और घोषणाओं से आगे बढ़कर, व्यवहारिक और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो नागपुर की ‘स्मार्ट सिटी’ की छवि केवल एक पोस्टर तक सिमट कर रह जाएगी।
- डॉ. प्रवीण डबली,
वरिष्ठ पत्रकार, योग थेरेपिस्ट व सामाजिक कार्यकर्ता
9422125656