ईश्वर की इबादत को जुड़े दो हाथों से श्रेष्ठ है मदद को बढ़ा एक हाथ : डॉ. वेद प्रकाश मिश्रा
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नागपुर। दिमाग, हृदय से होकर हाथ के साथ आगे बढ़ता है तो वह करुणा होती है। जो हाथ करुणा के साथ मदद के लिए आगे बढ़ा वह बहुत सुपीरियर है। ईश्वर की इबादत करने के लिए जोड़े हुए हाथों से अगर कोई श्रेष्ठ है तो वह एक हाथ है जो मदद के लिए बढ़ा है। उक्त विचारों को प्रमुख अतिथि के रूप में डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे।
'भारतीय समाज कार्य दिवस' के उत्सव की श्रृंखला में, 21 अगस्त 2025 को राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर के दीक्षांत सभागृह में "स्वास्थ्य परिवेश में समाज कार्य: देखभाल और करुणा का सेतुबंधन" विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हाइब्रिड मोड में किया गया। यह संगोष्ठी समाज कार्य अध्ययन मंडल, आरटीएम नागपुर विश्वविद्यालय, अठावले कॉलेज ऑफ सोशल वर्क, भंडारा, नेशनल एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल सोशल वर्कर्स इन इंडिया (नापस्वी/NAPSWI) और महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ सोशल वर्क एजुकेटर्स (MASWE) के संयुक्त तत्वावधान में आरटीएम नागपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी समाज कार्य महाविद्यालयों के सहयोग से आयोजित किया गया। नापस्वी, दिल्ली के तत्वावधान में 15 से 21 अगस्त तक 'राष्ट्रीय समाज कार्य सप्ताह' मनाया गया जिसका समापन राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वारा किया गया।
उद्घाटन सत्र में प्रमुख अतिथि के रूप में डॉ. वेदप्रकाश मिश्र ने कहा कि स्वास्थ्य में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक, व्यवहारिक, सामाजिक और आध्यात्मिक प्रारूप के सप्तरंगों को मिलाकर स्वास्थ्य होता है। देखभाल को करुणा के साथ नहीं करेंगे तो अपमान होगा। जब तक केयर, क्योर को अपनी गोद में नहीं बिठाता तब तक वेलनेस नहीं आता, हेल्थ आ सकती है। हेल्थ क्योर से आती है पर वेलनेस केयर से आती है। मेडिकल की भाषा क्योर की है किन्तु समाज कार्य की भाषा करुणा (कंपेशन) की है। उन्होंने इसका उदाहरण शेर से दिया।
'मेरी खातिर जो आए है, तुम्हारी आंखों में आंसू। बन जाए शाम ए मोहब्बत के सितारे आंसू।। कौन भला देख सकता है ये प्यारे आंसू। मेरी आंखों में ही आ जाए तुम्हारे आंसू'
'ग़मों की आंच पर आंसू उबाल कर देखो। बनेंगे रंग किसी पर डाल कर देखो।। तुम्हारे दिल की बेचैनी को सुकून आएगा। किसी के पांव का कांटा निकाल कर देखो'
उन्होंने संविधान को 'न्याय की जननी' बताया और आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय को इसकी संतान बताया। उन्होंने संगोष्ठी के विषय को सतत विकास लक्ष्य से जोड़ा और चिकित्सा शिक्षा में समाज कार्य के वैकल्पिक विषयों को शामिल करने की बात कही।
संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता नापस्वी के महासचिव प्रो. अनूप कुमार भारतीय ने की। प्रमुख अतिथि के रूप में दत्ता मेघे इंस्टीट्यूट ऑफ हॉयर एजुकेशन एंड रिसर्च के मुख्य सलाहकार डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा, मुख्य वक्ता के रूप में "अम्ही आमच्या आरोग्या साठी', गढ़चिरोली के संस्थापक डॉ. सतीश गोगुलवार, मासवे के अध्यक्ष प्रो. अंबादास मोहिते, रोटेले ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के अध्यक्ष डॉ. केदारसिंह रोटेले, समाज कार्य अध्ययन मंडल के अध्यक्ष डॉ. नरेश कोलते, सप्ताह के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ.केशव वाल्के, पूर्व सीनेट सदस्य श्रीमती किरण ताई रोटेले, कु काजोल रोटेले, संगोष्ठी के निदेशक डॉ.महेन्द्रकुमार मेश्राम, संगठन सचिव प्रा.अमोलसिंह रोटेले, समन्वयक डॉ.नंदकिशोर भगत, सहसमन्वयक डॉ.कविता कान्होलकर, डॉ. विजय तूपे, डॉ. कल्पना जामगड़े, डॉ. आरती पवार, डॉ.चंदू पाटिल, डॉ.ज्योति नाकतोड़े उपस्थित थे।
संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्य वक्ता डॉ. सतीश गोगुलवार ने सहानुभूति और समानुभूति के बीच अंतर बताते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में अक्सर समानुभूति का अभाव होता है और इसे सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने स्वास्थ्य को जलवायु परिवर्तन से जोड़ा और स्वास्थ्य सेवाओं में परामर्श को एक महत्वपूर्ण कमी बताया।
अध्यक्षीय संबोधन में *प्रोफेसर अनूप के. भारतीय ने संविधान, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017, 2023 संशोधन विधेयक और एनईपी 2020 जैसे प्रमुख ढांचे के भीतर समाज कार्य को स्थापित करने की बात कही। उन्होंने समाज कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा व्यवसाय आयोग अधिनियम, 2021 के तहत पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित किया।
विशेष अतिथि प्रो. अंबादास मोहिते ने एमएएसडब्ल्यूई के तीन दशकों के योगदान पर विचार किया और समाज कार्य को संवैधानिक अधिकारों, स्वास्थ्य के अधिकार से जोड़ा। उन्होंने स्वास्थ्य को समग्र रूप से शारीरिक,भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कल्याण के रूप में परिभाषित किया।
इस अवसर पर विशेष अतिथि डॉ. केदारसिंह रोटेले ने अपने उद्बोधन में समाज कार्य क्षेत्र में समकालीन चुनौतियों पर बात की, स्थानीय से वैश्विक परिप्रेक्ष्य, एआई युग में आत्मनिरीक्षण और पुनर्वास केंद्रों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
इस दौरान नापस्वी द्वारा प्रकाशित डॉ. अनूपकुमार भारतीय तथा डॉ. सुरेश पठारे द्वारा लिखित पुस्तक “एनविज़निंग सोशल वर्क -2047” के कवर पेज का विमोचन किया गया। प्रास्ताविक भाषण डॉ.केशव वाल्के ने किया। उद्घाटन सत्र की शुरुवात संविधान की प्रस्तावना के पठान तथा विद्यापीठ गीत से हुई। संचालन डॉ. नंदकिशोर भगत ने तथा डॉ. कविता कान्होलकर ने तथा आभार डॉ.संजय फूलकर ने किया।
संगोष्ठी में दो तकनीकी सत्रों में पैनल डिस्कशन रखा गया था।
प्रथम सत्र में समाज कार्य के विद्वानों में प्राचार्य डॉ. महेन्द्रकुमार मेश्राम ने अध्यक्षता की। डॉ.स्वाति धर्माधिकारी, डॉ. शिवसिंह बघेल, श्री विलास शेंडे का समावेश था। इसका संचालन डॉ. कल्पना जामगड़े ने तथा आभार प्रो. डॉ. नरेश धुर्वे ने किया। दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ.विनोद नायक ने की। चर्चा के लिए ऑनलाइन अमेरिका से डॉ. प्रमानंद रंगारी, ऑस्ट्रेलिया से डॉ.अब्राहम फ्रांसिस तथा न्यूजीलैंड से डॉ.जोबी जॉर्ज एवं श्री केवल शेंडे उपस्थित थे। इसका संचालन डॉ.राहुल जुनघरे ने तथा आभार डॉ. आरती पवार ने किया। संपूर्ण संगोष्ठी का लेखन डॉ. सदफ खान तथा डॉ. पूनम निमजे ने किया।
संगोष्ठी के समापन सत्र का संचालन डॉ. नंदकिशोर भगत ने किया, आरंभ में डॉ. केशव वाल्के ने छठे राष्ट्रीय समाज कार्य सप्ताह (NSWW) 2025 की एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की उन्होंने बताया कि समाज कार्य सप्ताह में देश भर में 500 से अधिक समाज कार्य संस्थानों की भागीदारी और 10,000 से अधिक संकाय सदस्यों और छात्रों की प्रभावशाली भागीदारी के साथ 200 से अधिक गतिविधियाँ आयोजित की गईं। समापन सत्र में निबंध लेखन और पोस्टर-निर्माण प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि आरटीएमएनयू, मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. श्याम कोरेटी तथा विभिन्न समाज कार्य महाविद्यालयों के प्राचार्यों की उपस्थिति रही।
पुरस्कार वितरण और फीडबैक सत्र के बाद, डॉ. कोरेटी ने अपने भाषण में प्रतिभागियों और विजेताओं को बधाई दी और राष्ट्रीय संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए आयोजकों की सराहना की। उन्होंने शैक्षणिक जुड़ाव को मज़बूत करने, समाज कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में करुणा और देखभाल के मूल्यों को सुदृढ़ करने में ऐसे मंचों के महत्व पर ज़ोर दिया।
सत्र का समापन संगठन सचिव डॉ. अमोलसिंह रोटेले द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। जिन्होंने संगोष्ठी को सफल बनाने में उनके समर्पित प्रयासों के लिए नापस्वी के अध्यक्ष डॉ. संजय भट्ट, आयोजक संस्थानों, संकाय समन्वयकों, छात्र स्वयंसेवकों और सभी प्रतिभागियों की उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त किया।