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देश प्रेम के क्या कहने


"गीत-ग़ज़ल के क्या कहने…
जो देशप्रेम की रीत निभाते हैं…!" 

"नदिया-सरिता भी सुरम्य लगती…
जब कल-कल… छल-छल… बहती हैं!" 

"वीरों के प्राणों के क्या कहने…
जो कुर्बान देश पर हो जाते!
भारत माता की जय का उद्घोष कर…
दुश्मनों को धूल में मिलाते हैं!!" 

"क्या कहना… वीर जवानों का,
अपना लहू भारतभूमि के नाम किया…
बच्चा- बच्चा भी कहता है—
वीरों ने… अमर इतिहास रचा!!!" 

"क्या कहना देशप्रेम के गीतों का…
भारतभूमि… निज प्राणों से प्यारी!
सर्वस्व इसी पर न्योछावर है…
हम सब… इस पर हैं बलिहारी!

भारत माता की जय!!!

- ऋतु गर्ग 
   सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल 

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