हिंदी है हम
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यही हमारी संस्कृति हमारी पहचान है
हिंदी जैसी मीठी कोई भाषा नहीं
कोई कवि कोई लेखक इससे अछूता नहीं
हिन्दी हमें प्यार, इज्जत, मोहब्बत देती है
पराये को अपना कर प्यार से भर देती है
मातृभाषा है यह हमारी अलग पहचान देती है
माता का फर्ज निभाती सबको प्रेम सिखाती है
'गर्व है मुझे ‘हिंदू’ हूं मैं!
भाषा मेरी हिंदी है, जो जीना सिखाती है
शब्दों में उमंग, प्यार, ज़ज्बात है
अल्फाजो का जोड़ कविता 'लेखन’ पुस्तक बनाती है
हिंदी ऐसी भाषा है जो सदियों से कलयुग तक
मेलजोल बढ़ाती है धिक्कार है, उन लोगों पे!
जिन्हें हिन्दी बोलने में शर्म आती है
अँग्रेजी बोल अपने को बड़ा समझते हैं
अरे बुद्धिहिनो यह तो जानो
अँग्रेजी ‘अंकल आंटी’ से दुनिया चलाती है
हिंदी चाचा- चाची, बुआ - फूफा, मामा - मामी आदि से
शब्दों से सम्बंध और जीना सिखाती है
शब्दों की मर्यादा रिश्तों की समझ
हिंदी से आती है हिंदी से आती है.
- मेघा अग्रवाल
नागपुर, महाराष्ट्र