विदर्भ रक्त विकारों के उपचार के केंद्र के रूप में उभर रहा है : विशेषज्ञ
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कैप्शन: मुख्य अतिथि और महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के प्रमुख डॉ. विंकी रुघवानी, हेमेटोलॉजी अनप्लग्ड के आयोजन समिति के सदस्यों डॉ. राहुल अरोरा, डॉ. पंकज द्विवेदी, डॉ. संजय देवतले, डॉ. नैलेश पटेल, डॉ. कैलाश वैद्य और डॉ. केतन मोदक (आयोजन सचिव) के साथ।
नागपुर। आदिवासी समुदाय की बड़ी आबादी होने के कारण, देश में रक्त विकार के रोगियों का एक बड़ा हिस्सा विदर्भ में है। विशेषज्ञों का कहना है कि सौभाग्य से, इन बीमारियों के इलाज में विशेषज्ञता भी इस क्षेत्र में पर्याप्त रूप से विकसित हुई है। अब रोगियों को उपचार लेने के लिए बड़े शहरों में जाने की आवश्यकता नहीं है।
इस सप्ताहांत, क्षेत्र के विशेषज्ञों के बीच थैलेसीमिया, सिकल सेल रोग और यहाँ तक कि रक्त कैंसर जैसे दीर्घकालिक रक्त विकारों की बढ़ती हुई घटनाओं और उनके उभरते उपचार पद्धतियों पर चर्चा की गई। वे हेमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी सोसाइटी, नागपुर, एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज, एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, नागपुर और विदर्भ एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिस्ट्स एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स द्वारा आयोजित दो दिवसीय शैक्षणिक कार्यक्रम, 'हेमेटोलॉजी अनप्लग्ड' में भाग ले रहे थे।
इस कार्यक्रम ने पूरे क्षेत्र से बाल रोग विशेषज्ञों, चिकित्सकों, पैथोलॉजिस्टों, माइक्रोबायोलॉजिस्टों, स्नातकोत्तर छात्रों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को एक साथ लाया, जो रक्त विकार रोगों में नैदानिक समझ को मजबूत करने और परिणामों में सुधार करने की साझा प्रतिबद्धता से एकजुट थे। सम्मेलन का एक प्रमुख जोर थैलेसीमिया और सिकल सेल रोग जैसे वंशानुगत रक्त विकारों की अधिक जन जागरूकता, जांच और शीघ्र निदान की आवश्यकता पर था। विशेषज्ञों ने कहा कि ये बीमारियाँ भारत में एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई हैं, और उन्होंने भावी पीढ़ियों में रोग संचरण को कम करने के लिए विवाह पूर्व और प्रसव पूर्व जांच के महत्व पर जोर दिया।
महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के प्रमुख डॉ. विंकी रूघवानी, जो मुख्य अतिथि थे, उन्होंने उन कई सरकारी योजनाओं को गिनाया जिनका लाभ रक्त विकार के रोगी उठा सकते हैं। उन्होंने कहा, “अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (bone marrow transplant) जैसे कुछ सबसे महंगे उपचार, जो थैलेसीमिया और सिकल सेल रोग से पीड़ित लोगों के लिए एकमात्र इलाज हैं, वे भी इन योजनाओं के माध्यम से किए जा सकते हैं। पिछले ही महीने, सरकार ने बिरसा 101 की शुरुआत की है, जो एक जीन थेरेपी है जिसका उद्देश्य सिकल सेल रोग के रोगियों को किफायती उपचार प्रदान करना है'।
डॉ. केतन मोदक, डॉ. पंकज द्विवेदी और डॉ. राहुल अरोरा के नेतृत्व में आयोजित सम्मेलन के वैज्ञानिक
कार्यक्रम में विशेषज्ञ वार्ता, केस- आधारित चर्चाएँ और परस्पर संवादात्मक ज्ञान का आदान-प्रदान शामिल थे, जो इस कार्यक्रम के मूल दृष्टिकोण को दर्शाते हैं - यानी रोजमर्रा की हेमेटोलॉजी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकसित हो रहे परिदृश्य के साथ जोड़ना।
कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए, आयोजन सचिव डॉ. मोदक ने बताया कि सत्रों ने रक्त संबंधी कैंसर के उपचार में हो रही तीव्र प्रगति पर भी ध्यान केंद्रित किया, इस बात पर प्रकाश डाला कि आज कई रक्त कैंसर कीमोथेरेपी, लक्षित उपचार, इम्यूनोथेरेपी और सहायक देखभाल की मदद से पूर्णतः ठीक किये जा सकते हैं।
डॉ. अरोरा ने कहा, 'सम्मेलन का एक सबसे प्रभावशाली निष्कर्ष यह था कि अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (bone marrow transplantation) और उभरती जीन-आधारित चिकित्सा सहित उन्नत उपचार सुविधाएँ अब नागपुर में उपलब्ध हैं, जो उच्च स्तरीय चिकित्सा उपचारों को रोगियों के करीब ला रही हैं'।
डॉ. द्विवेदी ने टिप्पणी की, 'कई रक्त विकार ऐसे हैं जिनका संपूर्ण उपचार संभव है। समय पर निदान और उचित वैद्यकीय परामर्श के साथ, रोगी अब स्थानीय स्तर पर विश्व स्तरीय उपचार प्राप्त कर सकते हैं'। उन्होंने चिकित्सा समुदाय और आम जनता दोनों से जांच, जागरूकता और शीघ्र उपचार प्राप्ति की वकालत करने का आग्रह किया।
सम्मेलन का समापन प्रतिभागियों के साथ एक सामूहिक दृष्टिकोण की ओर प्रेरित और संरेखित होते हुए हुआ शीघ्र जांच यंत्रणा को मजबूत करना, उन्नत उपचारों की पहुँच में सुधार करना और रक्त विकारों के बारे में जागरूकता के साथ समाज को सशक्त बनाना ।