शांति यात्रा
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पाक चले हैं अटलजी कुछ बोलने।
दोनों देश के संबंध सुधरे,
इस बात से अब न कोई मुकरे।
दो देशवासियों के दिलों को जोड़ने,
पाक चले हैं अटलजी कुछ बोलने।
हम हैं दोनों भाई -भाई,
सारा जग देता है गवाही।
जंग और युद्ध में न किसी की भलाई,
सबके मन को जीतलो प्रेम से भाई।
एकता की कड़ी को फिर से जोड़ने।
पाक चले हैं अटलजी कुछ बोलने।
हर कोई है आपकी यात्रा से बेकरार,
शायद होजाए शांति का कोई क़रार।
जो लड़वाते हैं हमको हैं वह मक्कार,
ख़ून बहाना आपस में है बेकार।
एकता का कानों में रस घोलने।
पाक चले हैं अटलजी कुछ बोलने।
यह बात ऐसी बात हर किसी को भाए,
काश ऐ काश वह दिन भी आए।
नफरत की यह दीवार गिर जाए,
अटलजी के सारा जग गाए।
अनेकता को एकता की कड़ी में जोड़ने।
पाक चले हैं अटलजी कुछ बोलने।
- जमील अंसारी, हिन्दी, मराठी, उर्दू कवि
हास्य व्यंग्य शिल्पी, कामठी, नागपुर