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लापरवाही का शिकार पारडी पुलिया : खोपडे

जनता की सहनशीलता की परीक्षा न ले अधिकारी

नागपुर। 21 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागपूर मेट्रो के साथ पारडी पुलिया का भी भूमिपूजन किया था। आज छह साल के उपर का समय बीत चुका है, डेडलाईन भी खत्म हो चुकी है। लेकीन अधिकारीगण का लापरवाही का नतीजा है की आज तक आधा भी काम इस ब्रिज का नही हो पाया I जबकी यहा - वहा खुदाई होने जनता परेशान हो चुकी है I खासकर पारडीवासी इस ब्रिज के निर्माणकार्य से बेहद परेशान है I 

विधायक कृष्णा खोपडे ने बताया की दो दिन पूर्व क्षेत्र के पार्षद ने नॅशनल हायवे के कार्यालय में नागरिको के साथ गये तो अधिकारी सही ढंग से जवाब नही दे पाये। गुस्से में नागरिको ने हंगामा मचाना शुरू किया। पार्षद ने समझाने पर भी नागरिक मानने को तयार नही थे। जैसे तैसे नागरिको को समझा - बुझाकर ले आये। 

इसका परिणाम क्या हुआ, अधिकारी अपनी जबाबदारी समझने के बजाय पार्षद के खिलाफ ही शिकायत कर दी। समझ ले वर्नां तीव्र आंदोलन के लिये तैय्यार रहे अधिकारी इस मार्ग पर यातायात की बेहद ज्यादा समस्या है। रोड खराब हो चुके है, बारीश में तो बेहद खतरनाक हालात हो जाते है, जिसके फलस्वरूप अनेक नागरिको की जान इस ब्रिज के निर्माण कार्य की वजह से जा चुकी है। 

जनता अपनी परेशानी को लेकर केवल जनप्रतिनिधी के पास ही जाती है, न की अधिकारी के पास ऐसे में जनता की परेशानी को लेकर की बार अधिकारीयो / कॉट्रॅक्टर से भी नोंक - झोक हो जाती है। इसके लिए अधिकारी जनप्रतिनिधी की शिकायत करेंगे क्या ? यह सर्वथा अनुचित है। 

वो तो अच्छा था, केवल एक ही पार्षद था अगर सभी पार्षद गये होते या मै भी खुद होता तो हालत और भी ज्यादा पेचीदा हो जाते इस बात को अधिकारियो ने समझना चाहिये I अगर अभी भी अधिकारीयो को समझ में नही आता है तो भविष्य में बेहद तीव्र आंदोलन करने की चेतावनी विधायक कृष्णा खोपडे ने दी। 

मेट्रो / सदर ब्रिज से सबक ले नॅशनल हायवे के अधिकारी ज्ञात हो की, नागपूर मेट्रो तथा पारडी पुलिया का भूमिपूजन एक ही दिन हुआ था मेट्रो के दो फेज नागपूर में शुरू हो चुके है I लेकीन पारडी पुलिया अभीतक सिर्फ पिल्लर ही बना पाया। अभी नाग नदी पुलिया का रुंदीकरण, रेल्वे ओव्हरब्रिज / अंडरब्रिज जैसे महत्वपूर्ण कार्य बाकी है। 

डेडलाईन खत्म हो चुकी है लोगो की जान पर बन आयी है। वो तो गडकरीजी ने लताड लगाने के बाद कुछ सिमेंट रोड बन पाये वर्नां रोज के अपघात हुए होते। यहा तक सदर का ब्रिज भी बनकर तयार हो गया। नॅशनल हायवे के अधिकारीयो ने मेट्रो रेल्वे से टिप्स लेकर काम को गति देनी चाहिये।
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