Loading...

ऑनलाइन व्यवहार करते समय बरतें सतर्कता

नागपुर। ऑनलाइन व्यवहार करते समय सतर्कता बरतना जरूरी हैं. साइबर क्राइम के पुलिस निरीक्षक अमोल दोंड़ ने अमरस्वरूप फाउंडेशन और पुलक मंच परिवार द्वारा आयोजित वेबिनार में मार्गदर्शन किया. पुलक मंच परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद जैन फांदोत उदयपुर, अमरस्वरूप फाउंडेशन के अध्यक्ष मनीष मेहता ने शुभकामनाएं दी. 

अमोल दोंड़ ने वेबिनार में कहा परिस्थिती के माध्यम से परिस्थिती के द्वारा उत्पन्न होनेवाली उच्च कोटि की इच्छा शक्ति हैं, ऐसी इच्छा शक्ति जागृत हो जाती हैं हम कुछ न कुछ कर बैठते हैं. दो प्रकार के इमोशन होते हैं एक पॉजिटिव इमोशन और दूसरा निगेटिव इमोशन हैं. 

इमोशन मुझे बहुत खुशी है या मैं बहुत खुश हूं यह मेरी पॉजिटिव इमोशन हो गई हैं. मैं बहुत दुखी हूं, मैं  चिंता कर रहा हू, मैं चिंता कर रहा हूं बहुत चिंता सता रही है मुझे, यह निगेटिव इमोशन हैं. हमें किसी का फोन आता हैं लाटरी लग गई, हमें खुशी हो जाती हैं लाटरी लग गई हैं, हमने किया क्या हैं ? लाटरी लगी हैं. 

अगला व्यक्ति बताता है किसी को बताना नहीं, हम भी सोचते हैं एक, दो, तीन व्यक्ति को बतायेंगे लेकिन हम नहीं सोचते लाटरी वैध या अवैध.  हमें मेल किया हैं, फोन किया हैं वह व्यक्ति अधिकृत हैं या नहीं हम देखते ही नहीं. इमोशन हमें सतर्क नहीं कराते. फ्री हॉलीडे पैक में कहते हैं आप हमारे लकी ग्राहक हैं, हम आपको चांस दे रहे हैं, सतर्क हो जाओ कोई निशुल्क यात्रा नहीं करता. कोई यदि कहें कि मैं आर्मीवाला हूं सतर्क हो जावे वह कोई आर्मीवाला नहीं हैं. 

आर्मीवाला कोई चीजे बेचता नहीं उसके पास इतना समय नहीं रहता. ओलक्स पर आर्मीवाला कोई भी चीज बेचता ही नहीं. कम दाम की चीजें आपको कितने में पड़ेगी आप विश्वास नहीं करेंगे. इस इमोशन से हम डिप्रेशन में आ जाते हैं. जो भी हम व्यवहार करते हैं हमें सतर्क रहना जरूरी हैं. डिस्काउंट, अवार्ड, रिवार्ड इन चीजों से दूर ही रहें. पेटीएम, गूगल वॉलेट यह कंपनियां कभी नहीं बोलती.  

आपके पास जगह हैं तो वह  कहेंगे कंपनी के टॉवर लगा देंगे, चालीस, पैतालीस हजार हर माह देंगे, खुश हो गए, सोचा नहीं, समझा नहीं, क्या हैं पता नहीं साइबरवाला ट्रैप करता हैं तो सबसे पहले आप से पैसे मांगता हैं, लाटरी लगती तो बोलेगा पैसे भरो. जितना इनाम बोलता हैं उतने पैसे हम दे जाते हैं. पांच या दस मिनट के बात में आप कैसे हैं यह सर्वे कर लेता हैं. शार्प, बुद्धिजीवी या भोला हैं. 

पेंशन के नाम पर लिंक भेजते हैं कहते हैं फार्म भरकर भेज दे, लिंक जैसे खोल दी बातों बातों में बैंक के खाते से पूरे पैसे निकाल लेता हैं. लिंक खोलते हैं तो एक एप क्लिक होता हैं. लिंक खोलने के लिए एप और नेट रहना जरूरी हैं. 

नेट का डेटा और एंड्राइड फ़ोन मिलने से धोखाधड़ी बढ़ गई हैं. लिंक खुलने के बाद डीवाईस एक्टिव हो जाता हैं. बैंक का खाता मोबाइल से कनेक्ट रहता हैं, एक बात करता हैं, दूसरा आपके खाते से पैसा ट्रान्सफर करता हैं. ऐसे ठग जमतारा झारखंड के हैं. 

पूरी जानकारी जमतारा वेबसाइट में मिलेगी. हमारे गलती के कारण पैसे चले जाते हैं. हमें सतर्क रहना जरूरी हैं. जिस एटीएम सुरक्षा गार्ड हैं उसी एटीएम से पैसे निकाले. वाट्स एप, फेसबुक, इंस्टाग्राम की टू स्टेप वेरिफिकेशन अवश्य करना चाहिए. 

यदि आपके बैंक खाते से कोई ट्रान्सफर करता हैं तो दो घंटे के भीतर साइबर क्राइम में शिकायत करना चाहिए, आपकी राशी मिलने की पूरी संभावना रहती हैं. 

वेबिनार का संचालन डॉ. रवींद्र भुसारी, आभार राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष मनोज बंड ने माना. टेक्निकल सहयोग भुविश मेहता, उमेश फुलंबरकर, गौरव अवथनकर, विशाल चानेकर ने किया. शाखा अध्यक्ष शरद मचाले, दिलीप सावलकर, रमेश उदेपुरकर, प्रदीप तुपकर, कल्पना सावलकर, शुभांगी लांबाडे ने विशेष सहयोग किया.

समाचार 2847507323460250295
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list