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इंधन का पर्यायी स्रोत बांस हो सकता है : गडकरी

नागपुर। बांस की सामरी व बांस इंधनाचा पर्यायी स्रोत इस विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया था, जिसमें केंद्रीय भूतल परिवहन व एमएसएमई मंत्री नितीन गडकरी ने विचार व्यक्त करते हुए विश्वास व्यक्त किया है कि केवल सिमेंट फैक्टरी ही नहीं अपितु सार्वजनिक परिवहन के लिए लगने वाले जैविक ईंधन के निर्माण के लिए भी बांस इंधन का पर्यायी स्रोत हो सकता है। 

साथ ही बांस उद्योग प्रचंड रूप से बड़ा उद्योग बन सकता है। साथ ही रोजगार निर्मिती के बड़े साधन के रूप में भी इसे लिया जा सकता है। 

गडकरी ने कहा कि बांस का इंधन के बतौर इस्तेमाल करने की कल्पना करते हुए कृषी, ग्रामीण और आदिवासी पिछड़े क्षेत्रों का विचार करना आवश्यक है। क्योंकि देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था आज अत्यंत कठिन मार्ग से गुजर रही है। 

शक्कर, चावल, गेहूं देश में बड़े पैमाने पर उपलब्ध है। देश में न्यूनतम गारंटी मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाजार और व्यापारी बाजार से अधिक होने के कारण देश के किसानों को इस वक्त राहत देना आवश्यक है। 

उत्तर पूर्व भारत में बांस बड़े पैमाने पर उपलब्ध हो, तब भी खाली पड़ी जमीनों पर बांस की रोपाई करना जरूरी है। वन विभाग के पास ऐसी जमीन बड़े पैमाने पर है। 

भारत में बांस की 170 प्रजातियां हैं। चीन में तो 360 प्रजातियां हैं। प्रति एकड़ 200 टन उत्पादन देनेवाले भीमा बांस की रोपाई अत्यंत उपयोगी है किन्तु 40 टन प्रति एकड़ उत्पादन देने वाला बांस नहीं लगाना चाहिए। 

कार्यक्रम में केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंग व बांस क्षेत्र के अनेक तज्ञ ऑनलाईन उपस्थित थे।
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