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आरिणी साहित्य समूह की टेलीग्राम काव्यगोष्ठी संपन्न



'बीते वर्ष की खट्टी मीठी यादें'

27 अगस्त  को आरिणी साहित्य समूह के वरद हस्त तले मासिक टेलीग्राम काव्य गोष्ठी का आयोजन सफलता पूर्वक बड़े आत्मीयता से भरे माहौल में सम्पन्न हुआ। इस काव्यगोष्ठी का विषय था 'बीते वर्ष की खट्टी मीठी यादें'। आरिणी साहित्य समूह की अध्यक्ष डाॅ मीनू पांडेय नयन नेअपनी कल्पना को टेलीग्राम काव्य गोष्ठी के माध्यम से जीवंतता प्रदान की। 

कार्यक्रम के मंच को सुशोभित करते हुऐ गौरव प्रदान किया अध्यक्ष डाॅ सुधा चौहान राज, इंदौर ने, मुख्य अतिथि के रूप में आशा जाकड़, इंदौर उपस्थित रहीं एवं सारस्वत अतिथि थीं सुषमा व्यास राजनिधि, इंदौर। कार्यक्रम का आरंभ जया आर्य, भोपाल के द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुई। 

कार्यक्रम का सरस संचालन आरिणी साहित्य समूह की उप - सचिव रचना श्रीवास्तव, जबलपुर ने किया और आभार प्रदर्शन किया हंसा श्रीवास्तव, भोपाल ने। कार्यक्रम में  संपूर्ण भारत के प्रसिद्ध साहित्यकारों ने सहभागिता की। सभी की प्रस्तुति एक से बढ़कर एक रही। 

सभी रचनाकारों की प्रस्तुतियों को बहुत सराहा गया। कार्यक्रम में राजेन्द्र यादव, अनिल कुलश्रेष्ठ और प्रेक्षा सक्सेना आदि भी उपस्थित रहे। 

प्रस्तुत की गई रचनाऐं हैं :

नये साल का किया था स्वागत
हम मुस्कुराये थे।
कितना दर्द दिया गये बर्ष ने
इसके लिए भी तो गीत खुशी के गाये थे।
                    सुसंस्कृति सिंह, कृति

कैसे गुजर गया है, यह साल देखिए।
हर आदमी का जहां में, बस हाल देखिए।
              जगतराज शांडिल्य, बिजावर

आया बरस बीस का यूँ , हमको घर बैठा ही दिया ।
ना जाना आफिस में तुमको, ना ही बाहर जाने दिया।
                  रंजना शर्मा 'सुमन', इंदौर

भूली बिसरी यादों के खट्टे मीठे फल
जाने वाला जाऐगा ,आज नहीं तो कल
             डॉ सुधा चौहान राज, इंदौर

बीते बर्ष की करें विदाई
नव बर्ष तुम्हें तो आना होगा
              डॉ शोभारानी तिवारी, इंदौर.

खट्टा मीठा बीता 2020  बर्ष
स्वच्छता सफाई सावधानी।
संतुलन  संयम संस्कार चिंतन की सीख सिखा गया।
               ममता तिवारी, इंदौर

बीते बरस की त्रासदी बस
आने वाले साल में खो जाऐ
                    हेमा जैन, इंदौर

यह साल भी आया था
हर साल की तरह।
पर खास बनकर आया था
हर साल से विरह।
             डॉ स्वाति सिंह, इंदौर

सोचा न था ऐसे दिन भी आऐगें
  न देख पाऐगें न सुन पाऐंगे।
              डाॅ रंजना शर्मा, भोपाल

खट्ठी मीठी का कयें सबसे, महामारी ने मारो है।
कोरोना जुलम गुजारो है, कोरोना जुलम गुजारो है।
        परम लाल तिवारी, खजुराहो

   र्निजन पथ आज ,
       खामोशी छाई है
          पूनम मिश्रा 'पूर्णिमा', नागपुर

     तुम्हारे आने की खुशी में
       राहों पर फूल बिछाऐ
तुम्हारे स्वागत के लिऐ हमने,
             नयन झुकाऐ थे।
                    मित्रा शर्मा, महू

दिन दिन कर बीत रहे दिसम्बर में
वही अनकही यादों से  मिलते है।
                           रितु दादू, इंदौर

हे मानव बड़ा दर्प था तुझे तो
जीत लिया है तूने ब्राह्मांड को
              नीलम पारीक, बीकानेर

उम्र भर रहेगें कुछ सवाल अधूरे
टूटे ख्वाब किसी के हुऐ किसी के पूरे
               मधु वैष्णव मान्या, जोधपुर

क्या क्या हमको दे गया
क्या क्या हम से ले गया
कितनी खट्टी कितनी मीठी
यादें हमको दे गया।
                  रेनुका सिंह, गाजियाबाद

ये अनोखा साल रहा ऐसो कबहुँ न आय।
करोना ने पीड़ा दई कबहूँ भूल न पाय।
              आशा जाकड़, इंदौर

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