दालों के भाव कम होने से आम जनता को राहत : मोटवानी
सरकार की आयात नीति में बदलाव से भाव घटे
नागपुर। वर्ष 2020 में कोरोना और लॉक डाउन से परेशान पहिली बार आम जनता के लिए अच्छी खबर आई है कि देश मे दलहनों के भावों में 25 प्रतिशत की कमी से राहत होंगी। दि होलसेल ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट असोसिएशन के सचिव प्रताप मोटवानी ने बताया कि सरकार की आयात नीति में बदलाव से दलहनों में भारी कमी आयी है।
दीपावली पूर्व अक्टूबर माह में देश मे दलहनों में भारी तेजी होकर तुअर दाल 130 रुपये किलो, चना दाल 80 - 90 रुपये किलो, मसूर दाल 75 - 80 रुपये किलो और मूंग और उड़द दाल 90 से 125 रुपये किलो तक व्यापार हो गए। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि आगे दालों के भाव मे भीषण तेजी आएगी। तेजी का प्रमुख कारण था सरकार द्वारा आयातित दलहनों के लिए लाइसेंस जारी नही करना।
सरकार आयात को टालना चाहती थी ताकि किसानों को भाव अच्छे मिले और भाव समर्थन मूल्य से कम नही हो।मोटवानी ने बताया कि सरकार की नजर अंदाजी से दलहनों में भाव बढ़ने से देश मे भारी आक्रोश और आम जनता की नाराजगी से सरकार एकदम इस विषय पर सक्रिय हो गयी। बाजारों में आलू प्याज की कीमतें 50 से 70 रुपए होने से चिल्लाहट मची थी।
सरकार ने आगे स्थिति बिगड़ने के पूर्व आयातित दलहनों के लाइसेंस जारी कर दिये और 4 लाख टन तुअर आयात के लाइसेंस 31 दिसम्बर तक बुलवाने के निर्णय किए। नाफेड के माध्यम से बाजारों में तुअर चना बेचने का दबाव बनाया।मसूर पर आयात ड्यूटी कम कर दी।
सरकार के आयात नियमों में बदलाव से सभी दालें करीब 25 प्रतिशत टूट गयी। मौसम में भी सुधार रहा मौसम अनुकूल होने से फसलों की स्थिति में सुधार होने से अच्छी फसलें आने की संभावना से भी भाव घट गए।। सरकार द्वारा आयात नीति में बदलाव से किसानों में बेहद निराशा का वातावरण रहा। सरकार ने पुनः आयात करने में उदारता करना शुरू किया है।
अक्टूबर में कई वर्षों बाद दलहनों के भाव सरकारी समर्थन मूल्यों से बढने से किसान खुश थे। पर अब भाव कम होने से वे निराश है। दिल्ली में किसान नए कृषि कानून का विरोध कर भारी संख्या में जमा होकर मोर्चा निकल रहे है। किसानों को डर है कि नए कानूनों में कृषि मंडियों का अस्तित्व खत्म कर सरकार किसानों से एमएसपी में फसलें नही खरीद करेंगी जिससे उन्हें भारी नुकसान होंगा।
अक्टूबर में जो दलहनों के भाव थे वर्तमान में भाव घट कर होलसेल बाजारों में बुधवार को भाव तुवर दाल 8000 से 9400, चना दाल 5800 दे 6400, मसूर दाल 6200 से 6500, मूंग मोगर और उडद मोगर 8000 से 9500 तक भाव रहे। अक्टूबर में गावरानी तुवर 8300 से 8400 वर्तमान में 6300 से 6400 याने 2000 रुपये प्रति क्विंटल भाव घटे।
आयातित तुअर में 7700 से 7800 तक भाव होकर वर्तमान में 5800 से 5900 तक भाव याने उसमे भी 1900 क्विंटल की कटौती चने में 5600 से 5700 तक भाव होने के बाद वर्तमान में 4800 से 4900 तक भाव याने 700 से 800 की कटौती हुई है।
अन्य सभी दालें भी घटी है। मोटवानी ने बताया कि नई तुअर में आवके शुरू हो चुकी है अगले माह आवके बढ़ेंगी। जिससे भाव आगे घटेंगे। फरवरी मार्च में मसूर चना की नई फसल आएगी जिससे भाव नियंत्रित रहेंगे।
अतः देश की आम जनता के लिए 2020 के अंत मे खुशी की खबर है कि दलहनों में 25 प्रतिशत भाव घटने से उनके रसोई के बजट में राहत होंगी।