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सामाजिक समरसता के प्रेरक है संत : प्रो. नंदकिशोर पाण्डेय




नागपुर। संत भारतीय सामाजिक समरसता के प्रेरक हैं। आज जैसे-जैसे समाज में सामाजिक विषमताएं बढ़ती जा रही हैं, वैसे-वैसे ही संत मत अधिक प्रासंगिक होता जा रहा है। और जब तक मानवता के समक्ष संकट विद्यमान रहेंगे, तब तक संत साहित्य उपयोगी और प्रेरक बना रहेगा। 

यह बात केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व निदेशक, संत साहित्य के अधिकारी विद्वान प्रो. नंदकिशोर पाण्डेय ने कही। वे हिंदी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विद्भविद्यालय और कला, वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय, आर्वी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में भारतीय संत साहित्य की प्रासंगिकता विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। 

उन्होंने भारतीय संत परंपरा का हवाला देते हुए इस बात का उल्लेख किया कि भारतीय समाज की एकात्मता में संत साहित्य की अग्रणी भूमिका रही है। संतों ने समाज को समता, समानता और समरसता का पाठ पढाया। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों, रूढियों का प्रतिरोध करते हुए श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा की। 

प्रो. पाण्डेय ने कहा कि आज इस बात की विशेष आवश्यकता है कि संतों की वाणी को सामाजिक जीवन में आत्मसात किया जाय। उद्घाटन सत्र में विषय की प्रस्तावना हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने रखी तथा अध्यक्षीय उद्बोधन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.हीराभाऊ वेलुरकर ने दिया। 

अतिथि वक्ता प्रो. पाण्डेय का परिचय पी.डब्ल्यू. एस.कालेज, नागपुर के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. सुमेध नागदेवे ने प्रस्तुत किया।  द्वितीय सत्र के अतिथि वक्ता प्रो. एम. वेंकटेदर का स्वागत और परिचय सिंधु महाविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ. सपना तिवारी ने दिया। 

प्रो. वेंकटेगर ने दक्षिण भारतीय संत परंपरा की प्रासंगिकता विषय पर सारगर्भित उद्बोधन दिया। उन्होंने तिरूवल्लूर, वेमना, आलवार आदि संतों का उल्लेख करते हुए इस बात को रेखांकित किया कि भारतीय संत परंपरा की प्रेरक दक्षिण की संत परंपरा रही है। इन संतों ने पूरे राष्ट्र को जोडने का काम किया। 

दूसरे अतिथि वक्ता उत्तर महाराष्ट्र विद्रविद्यालय जलगांव के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुलकर्णी का परिचय यशवंत महाविद्यालय वर्धा के डॉ. संजय धोटे ने दिया। डॉ कुलकर्णी ने अपने उद्बोधन में संत साहित्य को भारतीय ज्ञान परंपरा का अक्षुण्य स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि हमारे संत साहित्य में जीवन की हर समस्या, हर स्थिति का दिशादर्शक अंकन हुआ है, आज जरूरत है उसे अपनाने की। 

धन्यवाद ज्ञापन वेबिनार के संयोजक डॉ. श्यामप्रकाश पांडे ने दिया। इस वेबिनार में पूरे देश से लगभग 550 लोगों ने प्रतिभागिता की।
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