प्रा. शरच्चंद्र मुक्तिबोध के जन्मशताब्दी वर्ष पर समग्र साहित्य पर चर्चा
नागपुर। महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा के तत्वावधान में मराठी के सुप्रसिध्द साहित्यकार प्रा. शरच्चंद्र मुक्तिबोध के साहित्य व सांस्कृतिक मूल्यों को संजोने व आगे प्रवाहित करने उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सभा के अध्यक्ष श्री अजय पाटील ने उपरोक्त उद्गार को उनकी जन्म शताब्दी वर्ष में उनके स्मृतिग्रंथ प्रकाशित करने का भी संकल्प किया। वसंतराव नाईक कला - वाणिज्य महाविद्यालय (मॉरेश कॉलेज) की मराठी विभाग की अध्यक्षा प्रा. विशाखा कांबले ने अपनी प्रस्तावना में कहा प्रा. मुक्तिबोध की दृष्टि समन्वय की थी और वे मानवीय मूल्यों के सजग प्रहरी थे ।
इस अवसर पर प्रा. शरच्चंद्र मुक्तिबोध के सुपुत्र प्रा. प्रदीप मुक्तिबोध ने 'मैं ने पिता को कैसे पाया' के कथन को प्रस्तुत करके उनके साहित्यिक जीवन व पारवारिक जीवन का सामजस्य, संघर्ष की विवेचना की, उन्हें सृष्टि मूल्य परक व प्रकृति सौंदर्य के प्रेमी निरुपित किया। डॉ. बलवंत भोयर ने उनकी कृतियों पर संक्षिप्त टिप्पणियां कर उनके भाई गजानन मुक्तिबोध के साथ घटित प्रसंगो को उदघृत किया। आभार सभा के सचिव जगदीश जोशी ने माना।
इस अवसर पर मराठी - हिंदी के कई साहित्यकार उपस्थित थे। जिनमें प्रमुख हिरामन लांजे, रमेश मौंदेकर, तन्हा नागपुरी, प्रभा मेहता, प्रकाश काशिव, भोजा सरवट, डॉ. शशिवर्धन शर्मा, कृष्ण कुमार द्विवेदी, नरेंद्र परिहार आदि उपस्थित थे।