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हमारा नजरिया ही हमारे जीवन को दिशा देता है




हमारे रोजमर्रा जीवन मे बोलने, सुनने, कहने,समझने मे "नजरिया" बहुत छोटा सा बेजान शब्द लगता है लेकिन हकीकत में यह "साढे चार अक्षर" का छोटा सा शब्द किसी भी इंसान के जीवन को बदलने की ताकत रखता है। एक ही चीज,वस्तु- घटना को देखना का "नजरिया" अलग हो सकता है। हमारे साथ होने वाली हर घटना, परिस्थितियों के प्रति हमारा नजरिया ही हमारे भविष्य की दिशा व दशा को तय करता है।
  
एक ही बात को सकारात्मक, नकारात्मक तरीकों से प्रस्तुत किया जा सकता है
एक अंधा लड़का एक इमारत की सीढ़ियों पर बैठा था। उसके पैरों के पास एक टोपी रखी थी। पास ही एक बोर्ड रखा था, जिस पर लिखा था, "मैं अंधा हूँ, मेरी मदद करो" टोपी में केवल कुछ सिक्के थे।

वहां से गुजरता एक आदमी यह देख कर रुका, उसने अपनी जेब से कुछ सिक्के निकले और टोपी में गिरा दिये। फिर उसने उस बोर्ड को पलट कर कुछ शब्द लिखे और वहां से चला गया। उसने बोर्ड को पलट दिया था जिससे कि लोग वह पढ़ें जो उसने लिखा था।
जल्द ही टोपी को भरनी शुरू हो गई। अधिक से अधिक लोग अब उस अंधे लड़के को पैसे दे रहे थे। दोपहर को बोर्ड बदलने वाला आदमी फिर वहां आया। वह यह देखने के लिए आया था उसके शब्दों का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा? अंधे लड़के ने उसके क़दमों की आहट पहचान ली और पूछा, "आप सुबह मेरे बोर्ड को बदल कर गए थे? आपने बोर्ड पर क्या लिखा था ?"

उस आदमी ने कहा मैंने केवल सत्य लिखा था, मैंने तुम्हारी बात को एक अलग तरीके से लिखा, आज एक खूबसूरत दिन है और मैं इसे नहीं देख सकता।
 बोर्ड पर लिखा हुआ पहला वाक्य बस इतना बता रहा था कि वह लड़का अंधा है। जबकि दूसरा वाक्य लोगों को यह बता रहा था कि वे कितने भाग्यशाली हैं कि वे अंधे नहीं हैं। क्या दूसरा बोर्ड अधिक प्रभावशाली था ?
यह कहानी हमें बताती है कि, जो कुछ हमारे पास है उसके लिए हमें आभारी होना चाहिए। रचनात्मक रहो। अभिनव रहो। अलग और सकारात्मक सोच रखो। 

 दुसरे के प्रति मित्रता, सात्विक सकारात्मक नजरिया आपकी शक्ति, उर्जा को बढाता है
रामायण में बाली नामक एक महाबली वानर था। कथानुसार भगवान सुर्य के दो पुत्र बाली व अंगद थे। बाली ने अपने धर्म पिता इंद्र से तपस्या करके वरदान प्राप्त किया था कि जो भी शत्रु भावना से बाली के सामने आयेगा उसका आधा बल बाली को प्राप्त हो जायेगा। इसी वरदान के बल पर बाली ने बडे बडे राक्षसों का वध किया व महाप्रतापी अजेय रावण को अपनी बगल (कांख) मे दबाकर छह माह सारी पृथ्वी पर घुमता रहा कारण रावण क्षत्रुतावश बाली से युद्ध करने आया इसलिए रावण का आधा बल बाली को मिल गया। अंत मे रावण ने बाली से क्षत्रुता छोडकर मित्रता कर ली। 

एक बार बाली ने रामनाम का जप करते हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारा परंतु हनुमान जी युद्ध करने को मना कर दिया परंतु बाली हनुमान जी को ललकारता रहा अंततः हनुमानजी बिना क्षत्रुभाव रखें बाली से मित्रवत युद्ध करने लगे। अंततः बाली थक गया कारण वह हनुमानजी की शक्ति खींच नहीं सका। भावार्थ यह है कि हनुमानजी का नजरिया बाली से युद्ध करने का नहीं था इसलिये उनकी अंदर की शक्ति का पुरी एकाग्रता से उपयोग करते हुए हनुमानजी ने बालि को परास्त किया।। 

हम जितना अच्छा नजरिया रखेंगे हमारा भविष्य उज्वल होता जायेगा

सारांश मे हम यह कह सकते है कि हमारे साथ कैसी भी अच्छी, बुरी घटना या परिस्थिति आये हमने हमेशा सात्विक,स्वस्थ, सकारात्मक नजरिया रखना चाहिए। हमारा सकारात्मक नजरिया हमारे आसपास के लोंगो को हमारे तरफ आकर्षित करेगा व धीरे धीरे परिस्थितियां हमारे अनुकूल होने लगेगी। धीरे धीरे सफलता हमारे कदम चूमेगी। कुदरत हमे रोने का एक कारण देता है, तो हमारे पास मुस्कुराने के लिए 10 कारण देता हैं। इसलिए जीवन की हर परिस्थिती को अपने सकारात्मक सोच-विचारों नजरिये से हसँते हुये जीने का प्रयत्न करो।

- शरद गोपीदासजी बागडी, नागपुर
  (अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त लेखक व समाज सेवी)
राष्ट्रीय समाज सेवा रत्न २०२० पुरस्कार
माहेश्वरी आँफ द डिकेड २०२०-२१
राष्ट्रीय गौरव संम्मान २०१९,भोपाल
भारत श्री २०१९, दिल्ली
संपूर्ण क्रांति पुरस्कार २०१८,दिल्ली
Time's Business Education award 2018
जीवन गौरव संम्मान २०१७,
माहेश्वरी आँफ द ईयर २०१६,उज्जैन
समाज भुषण पुरस्कार २०१५,दिल्ली
Wealth Creator of Decade 2014, Mumbai

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