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देहमूठ साहित्य का नोबेल साबित होगी : डॉ. सुधीर तारे



देह, विचार और भावना से भरी किताब का होगा लोकार्पण

वसई। डॉ. पल्लवी बनसोडे ने वसई पालघर, 16 फरवरी 2021 को फिल्मसिटी गोरेगाव मे दादासाहब फाळके पुण्यतिथी के प्रोग्राम में उनकी नयी किताब 'देहमूठ' (मराठी मे)  का लोकार्पण होगा। 


यह किताब 'अष्टाक्षरी' बंध में लिखी कविताओं का संच है। आठ शब्द पहले लाईन मे, चौपाही फॉर्मेट है।एक औरत जन्मसे ही गर्भ में सिमटी हुई सिसकियों की लोरी की तरह होती है... औरत.... बोलती तो बहोत है पर कह नही पाती.. रोती तो बहोत है पर बहा नही पाती.. आँसु, नाप लेते है उसकी अंदर की खामोशी को.... पर वो बोल नही पाती... वह बोलना नही चाहती। 

इसी घुटन को, रीतिरिवाजों को गिने चुने शब्दां में समेटकर कुछ कहना चाहती है। जन्म से मृत्यु तक खुद् को हो रही पीडा के बारे में उसकी जुबान बन्द रहती है, वो सहती रहती है लेकिन भावना व्यक्त नही करती।
याने, उसका देह और विचार और भावना ... सब मुठ्ठठी मे बन्द रहती है.  इसी लिए किताब का शीर्षक है 'देहमूठ' .. साहित्यिक दृष्टी से इन रचनाओं का मुल्य अप्रतिम, बेमिसाल,अद्वितीय है। लय, भाव, उपमा, अनुप्रास और गर्भितार्थ, अनुभूती - उदात्तता, अद्भुत भाषा प्रभाव एवं वर्णनशैली का साक्षात्कार है। 


विश्व प्रसिद्ध विश्व शांति दूत डॉ. सुधीर तारे ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए इस पुस्तक को साहित्य का नोबेल मानते हुए डॉ. पल्लवी बनसोडे को आशीर्वाद दिया हैं।

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