सतकर्म की राह पर चलने की प्रेरणा दें बच्चों को : तलरेजा
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उभरते सितारे पर किया मार्गदर्शन
नागपुर। माता पिता अपने बच्चों सतकर्म की राह पर चलने हेतु प्रेरित करें,आज भी कुछ ऐसे बच्चे जिन्होंने अपने माता पिता की सेवा की है, विषम परिस्थियों में पढ़ाई कर अपने माता पिता, समाज व देश का नाम रोशन किया है . इस आश्य के विचार मोटीवेशनल स्पीकर वाधनदास तलरेजा ने कहे वे नागपुर के सिंधी कलाकारों की संस्था सिंधुड़ी यूथ विंग व सिंधुड़ी सहेली मंच व सुहिंणा सिंधी पूना की ओर से फेसबुक पेज पर आयोजित "बड़ी सोच का बड़ा जादू" के अंतर्गत "उभरते सितारों का कमाल" इस विषय पर मोटीवेशनल स्पीच के कार्यक्रम में बोल रहे थे।
इस अवसर पर एच.आर.टेक्सटाईल व फेब.के एक्जिक्टिव डायरेक्टर जयंत जादवानी अहमदाबाद, सुहिंणा सिंधी पूना के अध्यक्ष पीतांबर पीटर ढलवानी, सुंदर कला संगम के अध्यक्ष किशन आसूदानी, पूना के समाज सेवी मनोहर फेरवानी, प्रमुख अतिथी के रुप में उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में तलरेजा ने आगे कहा कि एक बालक ऐसा जिसके पैदा होते ही उसके शरीर की 35 हड्डियां टूटीं हों, बड़ी विषम परिस्थियों में पला बड़ा हो, स्पर्श शाह उस बालक का नाम है, एक व्हील चेअर पर ही बैठा रहता था,पढ़ता था, गाता था। वह बालक जब 14 साल का हुआ तो गायक बना, मोटीवेशनल स्पीकर बना और 100 देशों में मोटीवेशनल व गायन के कार्यक्रम पेश किये, उस समय उसके शरीर में 135 फ्रेकचर थे।
स्पर्श शाह ने इन शो के पैसों से जरुरतमंदो की सेवा की, इन विषम परिस्थिति में भी उसने सतकर्म नहीं छोड़ा है। उल्लेखनीय है वे कौन बनेगा करोड़ पति में भी आ चुके हैं।
तलरेजा ने बैंगलोर के नेत्रहीन श्रीकांत भोला के बारे में बताते हुए कहा कि असाधरण परिवार के नेत्रहीन बालक श्रीकांत को जब 12वीं में 98 प्रतिशत मार्क आए तो सांईंस विषय लेने की बात कही। सूरदास होने की वजह से भारत के कालेज में एडमिशन न मिलने कारण विदेश की 5 युनिवर्सिटी में एपलीकेशन दी और उन्होने मान्य कर दी ।
श्रीकांत को गोल्ड मेडल मिला ,भारत आया और उसने संघर्ष किया और आज उसकी 4 इंडस्ट्रीज़ हैं जिनका टर्न ओवर 500 करोड़ का है। वाधनदास ने ऐसे की उभरते सितारों के बारे बताया कि जिन्होने 15 - 16 वर्ष की आयूं में ही बड़ी सोच रखकर कमाल कर दिखाया हैं और सतकर्म का मार्ग अपना कर समाज सेवा की ओर भी कदम बढा़या है ,आवश्यकता है कि युवा उनसे प्रेरणा लेकर ऊंचे मुकाम पर पहुंचें व सतकर्म करें।
इस अवसर पर जयंत जादवानी ने कहा वाधनदास तलरेजा मेरे प्रेरणा स्त्रोत हैं,जितनी बड़ी सोच होगी उतनी बड़ी सफलता होगी। किशन आसूदानी ने कहा कि अनमोल रतन व जिद करो जीवन बदलो यह केवल पुस्तकें नहीं जीवन को सही मार्ग दर्शाने वाली मार्गदर्शिकाएं हैं।पीतांबर पीटर ढलवानी ने कहा कि दादा वाधनदास द्वारा बताए गए अनुभवों को जीवन में लाएंगे तो अवश्य सफलता पाएंगे। मनोहर फेरवानी ने भी अपने विचार रखे। प्रस्तावना कार्यक्रम संयोजक तुलसी सेतिया ने रखी तथा आभार प्रदर्शन सिंधुड़ी सहेली मंच की अध्यक्षा कंचन जग्यासी ने किया। देश विदेश के दर्शकों ने इस कार्यक्रम को बड़ी संख्या में देखा।