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ओबीसी को एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की आवश्यकता : किशोर कन्हरे


नागपुर। शिवसेना प्रवक्ता व ओबीसी नेता किशोर कन्हरे की अध्यक्षता में त्रिमूर्ति नगर स्थित कार्यालय में प्रमुख ओबीसी पदाधिकारियों की उपस्थिति में बैठक ली गई। बैठक में ओबीसी आरक्षण पर चर्चा की गई। 1992 में मंडल आयोग की सिफारिशों पर अमल किये जाने के बाद ओबीसी शिक्षा और नौकरियों में 27 प्रश आरक्षण दिया गया है। 

1994 में स्थानिक स्वराज्य संस्था जिल्हा परिषद,पचायत सामिती में अन्य पिछड़ा वर्ग को शामिल कर 27 प्रश आरक्षण लागू किया गया था। किन्तु अब सर्वोच्च न्यायालय ने यह आरक्षण रद्द कर दिया है। 12 अप्रैल 2010 को सर्वोच्च न्यायालय में किशोर कन्हेरे ने जाति जनगणना के लिए जनहित याचिका दाखिल की थी। 

इस याचिका पर न्यायालय ने सरकार से जवाब मांगा था। उस आधार पर सरकार ने सामाजिक, आर्थिक, जातिविषयक, जनगणना की थी। हाल ही में कोर्ट द्वारा दिये गए निर्णय से पिछड़ा वर्ग का शिक्षा व नौकरी संबंधी आरक्षण प्रभावित नहीं होगा किन्तु राजनीतिक आरक्षण पर परिणाम हुआ है। इस कारण ओबीसी को एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है। 

पिछली सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में प्राथमिक आंकड़े देने की मांग की थी, किन्तु केंद्र सरकार ने यह जानकारी नहीं दी थी। यह डाटा उपलब्ध होना आवश्यक है । महाविकास आघाडी सरकार ने मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना कर उस माध्यम से जल्द से जल्द इंपिरीकल डाटा न्यायालय में प्रस्तुत किया गया तो ओबीसी को स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में राजनीतिक लाभ मिल सकेगा। 

बैठक में ओबीसी आरक्षण व जनगणना का महत्व बताने के लिए विविध बैठकों का आयोजन करने का निश्चय भी किया गया। बैठक में किशा र कन्हेरे,.चंद्रहंस राउत, अनिल शाहू, प्रा.राजेश राहाटे, ऋषि कारूंडे, ईश्वर बरडे, श्याम चौधरी, राजेश रंगारी, भुजंगराव ठाकरे, शैलेष मानकर, किशोर गायधने, अनिल शाहु, कपिल उमाळे, दिगांबर भोयर, आदि ओबीसी पदाधिकारी उपस्थित थे।
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