Loading...

कविता लेखन का कार्य चुनौतीपूर्ण : डॉ.जेबा रशीद


नागपुर/पुणे। प्रत्येक भाषा में कविता लिखी जा रही है। परंतु कविता लेखन का कार्य बड़ा चुनौती भरा है, क्योंकि कविता की अपनी शर्ते हैं। इस आशय का प्रतिपादन विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज की राजस्थान राज्य प्रभारी डॉ जेबा रशीद, जोधपुर ने किया। 

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के रजत वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित आभासी काव्य गोष्ठी में वे अध्यक्षीय उद्बोधन दे रही थी। डॉ. जेबा रशीद ने आगे कहा कि, आज की कविताओं में अपनापन झलकता है। क्योंकि कविता शब्दों को सुलगते अर्थ देती हैं, जिससे हमारी आत्मा को संतुष्टि मिलती है। कविता समाज के लिए संदेश देती है और हमारी सुप्त चेतना को जागृत करती हैं। 

मुख्य अतिथि डॉ.अनीता पंडा, शोध निर्देशक, सीएसआईआर, शिलांग, मेघालय ने कहा कि साहित्य के विभिन्न प्रकारों में उत्तम अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम कविता है। डॉ. सीमा वर्मा, लखनऊ, उत्तर प्रदेश ने कहा कि सरल व सहज अभिव्यक्ति अपनी भाषा में ही संभव है ।दूसरी भाषा में अभिव्यक्ति दुर्लभ कार्य है। 

डॉ अनसूया अग्रवाल, महासमुंद, छत्तीसगढ़ ने कहा कि वास्तव में हमारी अपनी भाषा ही हमें संस्कारित करती है। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान हिंदी भाषा के माध्यम से हमें इंसान बनाने का कार्य कर रहा है, जो वास्तव में अत्यंत प्रशंसनीय है। 

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष प्राचार्य डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि कविता का अपना अलग क्षेत्र है, जिसमें शब्दों की महिमा होती है। कवि मन संवेदनशील होता है। अतः कवि को शब्द चयन पर ध्यान देना जरूरी है।कविता लेखन एक शाब्दिक कला है, जिसका संबंध भाषा के साथ गहरा होता है। कविता हमारे जीवन की भाषा है। कविता के बिना हम जी नहीं सकते। 

इस आभासी काव्य गोष्ठी में श्रीमती नूपुर मालवीय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव,चांपा, छत्तीसगढ़, श्रीमती विद्या मिश्र, शिलांग, मेघालय, प्रोफेसर लता चौहान, बेंगलुरु, श्रीमती मधु शंखधर, "स्वतंत्र "प्रयागराज, डॉ सुनीता प्रेम यादव, औरंगाबाद, महाराष्ट्र; डॉ रश्मि चौबे, गाजियाबाद, डॉ. पूर्णिमा उमेश झेंडे, नासिक, महाराष्ट्र, श्रीमती सुवर्णा जाधव, पुणे; डॉ. पूर्णिमा मालवीय; प्रयागराज, डॉ.सुधा सिन्हा, पटना, बिहार; 

डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, हिंदी सांसद, रायपुर, छत्तीसगढ़; श्री ओम प्रकाश त्रिपाठी, सोनभद्र, उत्तर प्रदेश; डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, पटना, श्री नरेंद्र भूषण, लखनऊ; प्राध्यापक रोहिणी डावरे, अकोले, अहमदनगर, महाराष्ट्र आदि कवियों ने अपनी कविताएं प्रस्तुत की। आरंभ में डॉ सुनीता प्रेम यादव, औरंगाबाद, महाराष्ट्र ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। 

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के सचिव डॉ गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने संस्थान की आगामी योजना को बताते हुए सभी के प्रति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया ।काव्य गोष्ठी का सफल व सुंदर संचालन अध्यापिका रोहिणी डावरे, अकोले, अहमदनगर, महाराष्ट्र ने किया। पटल पर डॉ समीर सैयद श्रीरामपुर पूर्णिमा कौशिक रायपुर छत्तीसगढ़ सहित अनेकों की उपस्थिति थी।

काव्य 6453400683406813600
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list