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मेरे गुरुवर दया करो


मेरे गुरुवर दया करो

अन्धकार में भटक रहा हूं,
ज्ञान का दीप जला दो।
मुझ पर गुरुवर दया करो,
नई दिशा दिखला दो।।

तम रूपी ये दानव
चारो ओर से मुझको घेरे।
इसमें मै तो उलझ गया,
दुर्भाग्य पास है मेरे।।

ज्ञान प्रकाश फैला दो गुरुवर,
तम को दूर भगाओ।
उज्ज्वल हो मेरा जीवन,
ऐसा कुछ कर जाओ।।


- डॉ. कमलेन्द्रकुमार श्रीवास्तव

रावगंज, कालपी, जालौन
उत्तर प्रदेश - 285204

काव्य 2726405943118609666
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