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नाटक में तकनीकी कितनी जरूरी पर हुई परिचर्चा


नागपुर। महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार सभा के चिंतन कक्ष में दिनांक 23 अक्टूबर शाम 6 बजे परिचर्चा के अंतर्गत अध्यक्षता करते हुए डा शशि वर्धन शर्मा ने नाटक : तकनीकी कितनी जरूरी पर कहा एक सार्थक चर्चा हुई और ज्ञानवर्धक रही। नाटक के कई पहलू आज श्रोताओं को समझे। उन्होंने अपने वक्तव्य में आगे कहा हमारे जमाने में राम नाटक होते थे कई घटनाएं हास्य भी उत्पन्न करती थी।

प्रस्तावना में महाराष्ट्र भाषा सभा के विश्वस्त नरेंद्र परिहार ने संस्था की गतिविधियों के साथ नाटक के सभी तकनीकी विवरण के साथ उनके महत्व व नाटक में असर का खुलकर विस्तार सहित रखा। कवि अभिनेता कृष्ण कुमार द्विवेदी ने कहा नाटक कई प्रकार के होते है। 

उन्होंने एब्स ट्रैक्ट, नुक्कड़, एक पात्रीय, एकांकी के साथ बताया नाटक मूलत: जन जागरण, जवलंत विषय लेकर प्रस्तुत करते है । स्क्रिप्ट लेखक विजय कुमार श्रीवास्तव ने नाटकों के आए बदलावों पर व तकनीकी विकास पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम संयोजक ने संचालन करते हुए डा प्रकाश काशिव ने नकलो, स्वांग आदि पहलुओं को भी समायोजित कर रामलीलाएं के दृश्य व्यक्त किए। नरेंद्र परिहार व द्विवेदी ने अभिनय के साक्षात दृश्य प्रस्तुत किए। आभार के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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