महाराष्ट्र राष्ट्र भाषा सभा का हुआ कवि सम्मेलन
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नागपुर। महाराष्ट्र राष्ट्र भाषा सभा के चिंतन कक्ष में शाम छै बजे 30 अक्टूबर को कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। अध्यक्षता करते हुए शायर भोला सरवर ने एक सफल आयोजन निरूपित करते हुए गजल का शेर था,
झूठ को झूठ बताने में बुराई क्या है,
आईना उनको दिखाने में बुराई क्या है।
डॉ शशि वर्धन शर्मा शैलेश ने 'करुणा पीर उगा करते हैं' के बाद नरेंद्र परिहार ने 'हत्या और आत्महत्या' कविता प्रस्तुत की। पारसनाथ शर्मा के व्यंग्य के बाद विजय कुमार श्रीवास्तव की कविता थी,
फूल से महक चली कह विदा विदा,
मुस्कान कह खुशी को चली अलविदा।
डॉ बालकृष्ण महाजन ने भ्रष्टाचार को कविता के केंद्र में रखा। प्रभा मेहता ने पीले पढ़े पत्ते के माध्यम से बुजरगो के जीवन का खाका खींचा तो मीरा रायकवार भरण पोषण के माध्यम से रोटी के लिए किए जा रहे श्रम का महत्व समझाया।
गुरु प्रताप शर्मा का शेर था,
तुम्हारे अंदर का डर, अब निजात पाने को हुआ।
एक शैतान हो गया , दूसरा भगवान हो गया।
कृष्ण कुमार द्विवेदी ने संचालन किया और दद्दा दादी के अनुभव को काव्य में समेटा, कवि तेजवी सिंह तेज का स्वर था
ये देश बने खुशहाल चलो मंगल दीप जलाएं,
आज समय की यही मांग है हम संकल्प उठाएं।
अनमोल वचनों के साथ प्रकाश काशिव ने आभार माना।