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घर की शिक्षा से होगा बच्चों का बौद्धिक विकास : अग्रवाल


नागपुर। कोरोना महामारी के बाद स्कूल, घर से ऑनलाइन शिक्षा की बाढ़ सी आ गई। परंतु इस प्रकार की शिक्षा व्यावहारिक रूप से उपयुक्त नहीं है। दैनिक 'खबरो में हमारा शहर' और 'जीरो माइल' के संपादक से शहर के प्रमुख व्यवसायी गोपालदास रामकिशोर अग्रवाल ने विशेष बात की। 

अग्रवाल का कहना है की पिछले दो साल से लाखों छात्रों की शिक्षा अंधेरे और खतरे में है। उसके लिए हमें अपने बच्चे को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जो दैनिक जीवन में उपयोगी हो। इसके लिए प्रत्येक परिवार और पारिवारिक सदस्यों और बाल शिक्षाविद के हाथों में मोबाइल देने से से बचें। क्योंकि मोबाइल में कई ऐसे फंक्शन होते हैं जो बच्चों की पढ़ाई को बिगाड़ देते हैं। 

सरकार को कक्षा पहली कक्षा से दसवीं कक्षा तक गृह और स्कूली शिक्षा प्रैक्टिकल बेसिस के लिए योजना बनानी चाहिए। श्री अग्रवाल के अनुभव के अनुसार बच्चे के लिए उनके पिता और माता पहले गुरु हैं। श्री अग्रवाल ने चिंता जाहीर की और कहा आजकल लाखो रुपये फीस के बाद भी व्यवहारिक शिक्षा  बालक-बालिकाओं को नहीं मिल रही हैं। 

उनका कहना है कि कई छात्रों का भविष्य ऑनलाइन अध्ययन से चिंताजनक स्थिति में है। श्री अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि घर पर गुरु और माता-पिता टाइम टेबल के अनुसार बच्चों को बेहतर शिक्षा दे, तो भारत का भविष्य उज्जवल होगा।
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