ट्रेन्डी - फ्रेन्डी
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उनकी मुस्कान पर रोना आया!
ट्रेन्डी और फ्रेन्डी गहरे दोस्त हैं। एक दिल्ली में रहता है और दूसरा मुम्बई में, लेकिन देश - दुनिया में कहीं कुछ खास होता है तो दोनों उसी जगह पर एक साथ हो जाते हैं। हाल ही में दोनों बनारस के “काशी उत्सव “ में मस्ती करते देखे गए। बनारस के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 'काशी उत्सव' की पहली सांझ थी और मंच पर कवि कुमार विश्वास अपने चिर-परिचित अंदाज में अपनी कविता 'मैं काशी हूँ' के जरिये काशी की महिमा और मिजाज का बखान कर रहे थे। बनारस के अल्हड़पन और खिलंदड़पन का बयान कर रहे थे और पूरा हॉल झूम रहा था। लेकिन जब कुमार विश्वास ने अपने खास अंदाज में 'पप्पू की अड़ी' का जिक्र किया तो दर्शकों के बीच पहली कतार में बैठे एक खास चेहरे पर तैर रही मुस्कान देखने लायक रही। यह चेहरा कोई और नहीं बीजेपी की तेजतर्रार युवा सांसद और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी का था।
ट्रेन्डी फ्रेन्डी मंच के दोनों तरफ लगे परदे को उढ़का कर जहाँ कार्यक्रम का मजा ले रहे थे तो वहीं दर्शकों में शामिल सुन्दर चेहरों का दर्शन करके निहाल हो रहे थे। कुमार विश्वास, बिस्मिल्लाह खान की शहनाई से लेकर बनारस घराने की सुरमयी सुंदरता से होते हुए काशी का बयान करते 'पप्पू की अड़ी' तक जाते हैं। 'जिसको हो ज्ञान गुमान यहाँ लंका पर लंका लगवाए...' काशी की अद्भुत ज्ञान गंगा के बखान पर हॉल में मौजूद हर व्यक्ति का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा है। अगली लाइन सुनाते हैं कि 'दुनिया जिनके पप्पू से है पप्पू की अड़ी पर आ जाए, दुनिया जिनके ठेंगे पर है पप्पू की अड़ी पर आ जाए...।' तभी कैमरा मीनाक्षी लेखी की तरफ घूमता है। उनके चेहरे की रौनक देखने लायक है।
सुन्दर चेहरों के दर्शन के शौकीन ट्रेन्डी फ्रेन्डी की नजर जब सुन्दर सुघड़ केन्द्रीय मंत्री के चमकते चेहरे पर अठखेलियाँ कर रही थी तभी पप्पू की अड़ी का जिक्र होते ही मंत्री महोदया के होठों पर मुस्कान तैर गई और उनके पूरे चेहरे पर फूलों की खिलावट फहर गई। ट्रेन्डी फ्रेन्डी तो बाग बाग हो गए। ट्रेन्डी ने फ्रेन्डी के गालों को चूमकर कहा - “आज तो बनारस आने के पैसे चक्रवृद्धि ब्याज सहित वसूल हो गए यार। “फ्रेन्डी ने अपना गाल पोंछते हुए कहा – “हाँ यार मजा आ गया, वाह क्या चेहरा है, क्या मुस्कान है! “ट्रेन्डी बोला - “क्या कोई छप्पन इंच का सीना दिखाएगा,, उस चेहरे की मुस्कान में तो छप्पन भोग का स्वाद आ गया भाई। “फ्रेन्डी को लगा कि कोई उनकी बातों को सुन रहा है, इसलिए थोड़ा सहम कर बोला - “अरे यार, वो केन्द्रीय मंत्री है, ऊपर से महिला है, उसके सुन्दर चेहरे और खिली मुस्कान की चर्चा कोई सिक्योरिटी वाला सुन लेगा तो आफत आ जाएगी।
इसलिए बातें कम काम ज्यादा। क्या समझे ? ”ट्रेन्डी बोला - “लेकिन मुझे तो लगता है कि सुन्दर मंत्री के भेजे में समझ की कमी है, नहीं तो - ”ट्रेन्डी आगे और कुछ कहता उससे पहले फ्रेन्डी ने उसे रोकते हुए कहा - “लगता है कि तेरी समझ घास चरने गई है। तुझे पता नहीं कि मीनाक्षी लेखी कौन है, वरना तू ऐसी बात नहीं करता। तू मुम्बई वाला है न, ज्यादा स्यानपन दिखाता है। मैं दिल्ली वाला हूँ, मुझे सब पता है। “ट्रेन्डी अकड़ कर बोला - ”चल चल, तुझे कितना क्या पता है, मुझे मालूम है। केन्द्रीय मंत्री है, सुप्रीम कोर्ट की वकील है और उसे पप्पू की अड़ी नहीं मालूम। “फ्रेन्डी बोला - “मुझे मालूम है तो उसे भी मालूम होगा ही, दरअसल, लंका पर लंका लगवाए से मतलब है कि जिसे अपने ज्ञान का गुरूर हो, वह बीएचयू आ जाए, सारा गुमान हवा हो जाएगा क्योंकि वहाँ एक से बढ़कर एक विद्वान हैं। “ट्रेन्डी ने कहा “बस, इतना ही मालूम है न तुझे ! पप्पू की अड़ी क्या है यह तो तुझे भी नहीं मालूम और मंत्री को भी नहीं मालूम। पप्पू की अड़ी बनारस के लंका इलाके में एक चाय की दुकान है जहाँ हर तरह के अखाड़ेबाज चाय पीने के लिए जुटते हैं और राजनीति से लेकर दर्शन शास्त्र तक की बातें होती हैं और अपने ज्ञान के मामले में कोई किसी से कम नहीं होना चाहता।
इसलिए पप्पू की अड़ी बहुत फेमस जगह है। “फ्रेन्डी ने कहा - “लेकिन मंत्री ने गलती से समझ लिया कि कुमार विश्वास का इशारा राजनीति के पप्पू की तरफ है और उन्होंने वो वाला पप्पू समझ कर मुस्करा दिया। “ट्रेन्डी ने तिरछी मुस्कान छोड़ते हुए कहा – “वैसे भी मीनाक्षी लेखी अंट-शंट कहने के लिए फेमस हैं। याद करो जब उन्होंने कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर ऐसी टिप्पणी की कि सोशल मीडिया पर लोग उन्हें जमकर ट्रोल करने लगे। पेगासस जासूसी को लेकर संसद में हुए हंगामे पर बीजेपी की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आईं मीनाक्षी लेखी ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘पहले तो आप इन्हें किसान कहना बंद करिए, क्योंकि वह किसान नहीं मवाली हैं। इसको संज्ञान में लेना चाहिए। जो कुछ 26 जनवरी को हुआ वह भी शर्मनाक था। वे अपराधिक गतिविधियां थीं। उसमें विपक्ष की ओर से चीजों को बढ़ावा दिया गया । मीनाक्षी लेखी के इस बयान पर सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें जमकर खरी-खोटी सुना दिया था, कुछ लोगों उन्हें इस पर इस्तीफा देने मांग की थी तो, वहीं कुछ लोगों ने उन्हें माफी मांगने को कहा था।
विपक्ष के नेता इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देने में पीछे नहीं रहे। कांग्रेस के एक नेता शर्मा ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा कि शर्म करो। मीनाक्षी लेखी जी किसान मवाली नहीं बल्कि अन्नदाता हैं। इसलिए माफी मांगो या इस्तीफा दो। एक महिला कांग्रेस प्रवक्ता ने उनके इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा कि, ‘दिल्ली से बीजेपी की सांसद, केंद्रीय मंत्री रंगा-बिल्ला की चेली का कहना है कि जंतर मंतर पर जो आंदोलन कर रहे हैं वह किसान नहीं मवाली हैं … अब तक तो इनके लिए किसान खालिस्तानी, आतंकी,आन्दोलनजीवी, अराजक था। कुछ तो शर्म करो लेखी। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने तो लिखा कि गाली-जीवी मोदी सरकार, अब हम अन्नदाता “मवाली” हैं। चुल्लू भर पानी में डूब मरो। अकाउंट से यह वीडियो शेयर करते हुए लिखा गया कि पीएम अन्नदाता बोलते हैं, उनके मंत्री मवाली?
चल क्या रहा है सरकार में? अकाउंट से इस वीडियो पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा गया था कि मोहतरमा मीनाक्षी लेखी बताएँ कि क्या आंदोलन करने वाले मरहूम जेटली जी सुषमा स्वराज जी मवाली थे? क्या संवैधानिक संघर्ष करना मवालीपन है? तो याद रखिए हम किसान अपने अधिकार के लिए हर संघर्ष करेंगे चाहे एसी के कमरों में बैठने वालों को कितना भी बुरा लगे। “फ्रेन्डी ने हल्का सा झेंपते हुए कहा - “देखो, बाबा तुलसी दास ने रामायण में कहा है कि प्रभुता पाइ काह मद नाहीं, और यह भी कि, समरथ को नहीं दोष गुसाईं। इसलिए तुम तो सुन्दरी मंत्री की चमकदार मुस्कान को याद करो और मजे लो।!” ट्रेन्डी ने सीधे सीधे मुस्कराते हुए कहा। “ठीक ही कहते हो यार, लेकिन सच तो यह भी है कि उनकी मुस्कान पर रोना आया।“
- परमात्मानंद पांडेय “मतवाला”