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तोता - मैना : आँसू भरी हैं किसानों की राहें


तोता अपनी धुन में गुनगुनाते जा रहा था – ‘आँसू भरी हैं किसानों की राहें, कोई उनसे कह दे यहाँ देख जाएं.’ मैना ने कहा – ‘ये गाना ऐसा नहीं है, आप गलत गा रहे हैं तोता, गाना तो ऐसा है- आँसू भरी हैं ये जीवन की राहें, कोई उनसे कह दे हमें भूल जाएं.’ तोता ने कहा – ‘मैं कोई फिल्मी गाना गाकर मनोरंजन नहीं कर रहा हूँ, बल्कि मैं अपने दिल का दर्द बयान कर रहा हूँ, किसानों की दुरवस्था पर आँसू बहा रहा हूँ.’ मैना ने कहा – ‘पता है मुझे, लेकिन आप शहर में रहते हैं, आप कैसे किसानों की दुर्दशा पर आँसू बहा सकते हैं, लगता है कि आप के यह आँसू नेताओं और सरकार की तरह घड़ियाली आँसू हैं. 

’तोता ने कहा – ‘मेरे तो असली आँसू हैं लेकिन नेताओं और सरकार के आँसू जरूर घड़ियाली हैं.’ मैना ने कहा – ‘कैसे सिद्ध कर सकते हैं कि आपके आँसू असली हैं और नेताओं, सरकार के आँसू घड़ियाली हैं?. ’तोता ने कहा – ‘केंद्र की सरकार ने खरीफ फसलों की एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया हुआ है लेकिन मंडी में समर्थन मूल्य से कम पर किसानों की पैदावार की खरीदी आढ़तियों व्यापारियों द्वारा की जा रही है, इस कारण किसानों के साथ अन्याय हो रहा है, मैं इस अन्याय से दुखी होकर असली आँसू बहा रहा हूँ. 

दूसरी तरफ सरकार है जो किसानों की आमदनी डबल करने का दावा तो करती है, पर अपने द्वारा घोषित एमएसपी किसानों को नहीं दिलवा पा रही है जिससे नेताओं और सरकार के आँसू नकली व घड़ियाली हैं. ’मैना ने कहा – ‘सरकार ने तो न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दिया है, अब व्यापारियों की जिम्मेदारी है कि वो एमएसपी के अनुसार किसानों के माल की खरीदी करें और किसानों को चाहिए कि वो अपना माल एमएसपी के अनुसार बेचें. इसमें सरकार कहाँ से बीच में आ गई?’ 

तोता ने कहा – ‘बीच में सरकार नहीं आ रही है इसी कारण तो किसानों के साथ अन्याय हो रहा है, सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने द्वारा घोषित समर्थन मूल्य के अनुसार खरीद को सख्ती से लागू करवाए तथा मंडी को दलाल मुक्त करवा कर किसानों के साथ हो रहे अन्याय को रोके. ’मैना ने कहा – ‘लेकिन सरकार हर जगह कैसे रह सकती है तोता, यह तो किसानों का काम है कि वह अपना अधिकार हासिल करें.’ तोता ने कहा – ‘ऐसा है कि किसान जब अपने अधिकारों के लिए मांग उठाते हैं तब तो सरकार फटाक् से पुलिस तैनात कर देती है, किसानों पर लाठी चार्ज करवा देती है, किसानों पर गोलियां चलवा देती है, 

दिल्ली राजधानी किसानों की भी है फिर क्यों सरकार पुलिस फोर्स लगाकर दिल्ली प्रवेश पर रोक लगा देती, लेकिन मंडी में यह देखने के लिए सरकार के पास पुलिस का टोटा पड़ जाता है, सरकारी विभागों के अधिकारी, कर्मचारी कम पड़ जाते हैं. ’मैना ने कहा – ‘पुलिस कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए होती है तोता, और सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों के पास अपने विभागों के काम ही बहुत होते हैं, वे कैसे मंडी मंडी जाकर किसानों को समर्थन मूल्य दिलवा सकते हैं?. 

’तोता ने कहा – ‘इसका मतलब तो यही हुआ कि सरकार किसानों की हितैषी नहीं है, वह स्वयं चाहती है किसान लुटते पिटते रहें और आत्महत्या करते रहें. देख लो, सोच लो किसानों. ’मैना ने कहा – “किसान क्या सोचेंगे और कितना सोचेंगे? किसानों सोचा कि चलो मुंबई में शान्ति पूर्ण मोर्चा निकालेंगे तो कुछ नहीं हुआ। किसानों ने सोचा कि चलो दिल्ली में मोर्चा निकालेंगे लेकिन कुछ नहीं हुआ। आमदनी डबल करने के लिए नये कानून लाद दिए और अब उन कानूनों को अपने सिर से हटाने के लिए किसान दिल्ली बार्डर पर डेरा डाले बैठे हैं और सरकार आँखों कानों में तेल डाले हाथ पर हाथ धरे बैठी है।“ 

तोता बोला सरकार हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठी मैना, सरकार किसानों को समर्थन मूल्य दे रही है, पीएम किसान सम्मान निधि दे रही है, कम व्याज पर लोन दे रही है, और क्या चाहिए किसानों को? मैना ने कहा – “सरकार गोबर से पेन्ट बनवा रही है तो किसानों को ज्यादा से ज्यादा गोबर करना चाहिए और जिससे सरकार जितना चाहे किसानों का गुड़ गोबर करती रहे । जय बोलो गोबरधन महाराज की जय।“
- परमात्मानंद पांडेय ‘मतवाला‘
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