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आज़ादी के अमृत महोत्सव में अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन


बेटियां सबके गुलशन की नाजुक कली : डॉ. सोनी सुगंधा

डॉ. शम्भू पंवार
नागपुर/नई दिल्ली। आज़ादी के अमृत महोत्सव में ईसीएल झालबग़ान डिसेरगढ़ मुख्यालय आसनसोल में मिशन इंद्रधनुष की टीम तथा त्रिशक्ति महिला मण्डल द्वारा अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन का शानदार आयोजन किया गया। भारत में ही नहीं भारत के बाहर के भी कवयित्रि समेलनों के इतिहास में पहली बार आद्योपांत हर भूमिकाओं में (कवयित्रियाँ, श्रोताएँ, संचालिका, आयोजिका, साउंड सिस्टम, नियन्त्रिक, विदि ग्राफर, फोटोग्राफर, जलपान वितरक, सुरक्षाकर्मी इत्यादि) नारी की ही उपस्थिति होने जैसा अद्भुत कार्यक्रम था।

इस अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन का संचालन राष्ट्रीय ख्यातिनाम कवयित्री डॉ. सोनी सुगंधा ने मनमोहक व शानदार अंदाज में करते हुवे कार्यक्रम के चार चांद लगा दिए। सम्मेलन में कवयित्री डॉ. (प्रो.) रागिनी भूषण की पंक्तिया :
मैं को हम कर लीजिए
हम में मैं लवलीन।
हम सब में हम एक है
उसमें ही सब मीन।।


प्रसिद्ध कवयित्री डॉ.सरिता शर्मा ने अपनी रचना प्रस्तुत की :
है कभी पीड़ा कभी आनंद है , प्राण से यह प्राण का अनुबंध है।
देह कैसे गा सकेगी प्रेम को, प्रेम केवल आत्मा का छंद है॥

डॉ. अंकिता सिंह ने कहा :
अकेले बैठ कर जब तुमको , कभी मैं याद करती हूँ ,
मैं रोना मुस्कुराना हाय दोनों साथ करती हूँ ।


ख्यातिनाम  कवयित्री व मंच संचालिका डॉ. सोनी सुगन्धा ने बेटी पर अपना रचना इस प्रकार पेश की:-
बेटियां सबके गुलशन की नाजुक कली, इसको तोड़ो नहीं और मरोड़ो नहीं
ये चमन को हमेश अमन देती है, इनको रोको नहीं और टोको नहीं


डॉ. सोनरूपा विशाल की पंक्तिया :
जो मिला ही नहीं वो खोता क्या, कोई बंजर जमीन पे बोता क्या।
प्यार है! तो है ये जहां कायम , प्यार होता तो नहीं तो होता क्या॥


कवयित्री डॉ. कविता तिवारी ने कहा :
सब कुछ होता एक बात सोच लेना ,
कविता न होती तो ये कविता सुनता कौन।


सम्मेलन की मुख्य अतिथि व त्रिशक्ति महिला मण्डल की अध्यक्ष पूनम मिश्रा ने त्रिशक्ति महिला मण्डल की परिकल्पना गठन और उनके द्वारा कोविड काल में आपातकाल व्यवस्था और सुदूर देहाती क्षेत्रों में तन मन से समर्पित सेवा भावना  समाज में  प्रेरणादायक संदेश देती है।

सम्मेलन में डिसेरगढ़ त्रिशक्ति महिला मंडल की  श्रीमती चंदा गुप्ता, श्रीमती शोभा रेड्डी, श्रीमती मिता डे व महिला मंडल शाखा अध्यक्षाओं एवं अन्य सदस्या एवं ईसीएल के महिला कर्मियों की विशेष उपस्थिति रहीं। अंत मे धन्यवाद ज्ञापन सुश्री सुमेधा भारती, राजभाषा कर्मी एवं संचालन सुश्री भावना, सहायक प्रबंधक (कार्मिक) द्वारा किया गया।

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