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वटसावित्री उत्सव एक प्रेरक नारीशक्ति व्रत


नागपुर। शहर की अग्रणी संस्था 'हिन्दी महिला समिति' ने जब 'वटसावित्री व्रत' को धूमधाम से मनाया तो सारा वातावरण 'सावित्री सत्यवान' की कथा और भावमयगीतों, नारीशक्ति से झूम उठा। संस्था अध्यक्ष रति चौबे ने 'वटसावित्री' व्रत की महत्ता पर बोलते हुए बताया कि सुहाग व्रत तो बहुत से हैं पर वटसावित्री व्रत की महत्ता सर्वाधिक है। कारण यह सभी व्रतों से भिन्न है, यह एक नारी की शक्ति, निष्ठा, तपस्या, विश्वास, दृढ़ता, निर्भिकता और मौत को चुनौती देने वाला 'व्रत' है। 

यदि नारी ठान ले तो यमराज के हठ को तोड़ अपने पति के प्राणों को सावित्री के समान वापिस ला सकती है। बस उसमें सावित्री के समान शक्ति होना चाहिए, आत्मबल होना चाहिए व भविष्यवाणी भी झूठला कर अपनी शक्ति के आगे देवताओं को भी नतमस्तक कर सकती है यह एक प्रेरणा स्त्रोत व्रत है। इस पर एक गीत भी प्रस्तुत किया 'युग बदलेंगे पर तेरा मेरा नाम नहीं बदलेगा सावित्री और सत्यवान'। भगवती पंत ने भी सुंदर गीत की प्रस्तुति दी। रेखा तिवारी, सरलेश त्यागी, कविता कौशिक, निर्मला पांडे, सारिका दुबे, कविता परिहार, ममता विश्वकर्मा, सरोज गर्ग सभी के विचार और गीत संवेदनशील रहे। 

सभी सुंदर लाल परिधानों व जेवरों में सजी संवरी हुई एक अलौकिक तेज से खूबसूरत लग रही थी। हाथों में मेहंदी, माथे पर बिंदी,  मांग में सिंदूर उनको दैवीय तेज से खूब विभूषित कर रहा था। निर्मला जी व कविता परिहार की बहुएं विधिपूर्वक पूजन अपनी सखियों के साथ गाकर वातावरण को गुजित कर रही थी। रेखा पांडे व कविता परिहार तथा भगवती पंत ने व्रत व वट की महत्ता बताई। उमा हरगन मधुबाला ने गीतों की झड़ी लगा दी। इस अवसर पर संस्था की सभी बहने उपस्थित रही। 
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