एक इंटरनेशनल काव्य गोष्ठी संपन्न
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नागपुर/भोपाल। आरिणी इंटरनेशनल लिटरेरी ग्रुप, मेलबोर्न की काव्य गोष्ठी 12 जून को संपन्न हुई। यह आरिणी साहित्य वारिधि, भोपाल की शाखा है। जिसकी संस्थापिका डॉ. मीनू मिश्रा पांड़ेय हैं।
अध्यक्ष अमिता शाह ने प्रस्तावना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। तत्पश्चात डॉ. मीनू ने संस्था की गतिविधियों के बारे में अवगत कराया। अध्यक्ष अमिता शाह ने सरस्वती वंदना की। अविनाश बागड़े नागपुर ने कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. सागर खादीवाला, मुख्य अतिथि सुश्री स्मिता विनोद कुँवर व कार्यक्रम के संचालक एस. पी. सिंह का विस्तृत परिचय दिया। संचालन की बागडोर एस. पी. सिंह नागपुर ने बखूबी संभाली।
काव्य पठन का क्रम इस प्रकार रहा :
सुश्री सुनिता प्रकाश (भोपाल) १. उमड़ घुमड़ छाये ये बदरा। २. जीवन की अविरल धारा में।
जनाब मुदस्सिर हुसैन सैयद (बरेली) १. निकाला जब से है उसने मुझे खयालों से। २. न देखो इस तरह मुझे कातिल निगाहों से। ३. ये कैस ये फरहाद जमाने के लिए है, किस्से ये मोहब्बत के सुनाने के लिए है।
सुश्री रेखा नायर (अहमदाबाद) १. थमाई नहीं गई आजादी बैठे बैठे हाथ में, मिली नहीं हमको यह ऐसे ही खैरात में.. २. हुआ जब औरों की असीम उत्पीड़न का भान, तब हुआ अपनी पीड़ा की तुच्छता का अनुमान।
पं. एस.पी. भारद्वाज 'अक्स लखनवी' (मेलबोर्न) १. कहीं तेरी जवानी है कहीं तेरी कहानी है, जहां भी जिक्र है तेरा वहीं पर गुलफिशानी है। २. नाम कमबख्त लें तो किस किस का, मुंह दिखाता है वक्त जिस तिस का।
डॉ. आरती कुमारी (मुजफ्फरपुर) १. तेरे बगैर मेरा घर उदास रहता है, मेरा सुकून बराबर उदास रहता है, सताया याद ने तेरी तो दिल ये रोया है, कहाँ ये सोच समझ कर उदास रहता है। २. तेरी याद में जो गुजारा गया है, वही वक्त अच्छा हमारा गया है। ३. किनारा हूं मैं दरिया का, तो तुम धारा की कल कल हो, जहां हम तुम मिले हमदम, वहीं किस्सा मुकम्मल हो।
सुरेंन्द्र सिंह 'हमसफर' (देवास) १. बात कोरोना काल की है, ज्यादा पुरानी नहीं है। २. 'वाह रे जमाने' व्यंग्य कविता। ३. कभी हम कहा करते थे, हिंदु मुस्लिम सिख इसाई।
हरिहर झा जी (मेलबोर्न) १. तमस घिरता जा रहा कंदील बालो, अंधेरा छा रहा कंदील बालो। २. देह जलती क्रोध में फुफकारता है नाग।
सुंदर काव्य गोष्ठी संपूर्ण होने पर अध्यक्ष
डॉ. सागर खादीवाला (नागपुर) ने काव्यात्मक संबोधन किया.. हाइकु व दोहे के साथ। १. रिश्ते अच्छे थे, सारे बिखर गये, कान कच्चे थे। २. वक्त का क्या है, कल तक मेरा था, आज तेरा है।
मुख्य अतिथि सुश्री स्मिता विनोद कुँवर (सिंगापुर) ने सभी उपस्थित कविगणों की रचनाओं की भूरि भूरि प्रसंशा की। आभार प्रदर्शन सचिव सुमन जैन (मेलबोर्न) ने कुछ दोहों के साथ किया।