हाँ की शक्ति
https://www.zeromilepress.com/2022/06/blog-post_3.html
दुर्गा, आसमान में एक पक्षी के पीछे कतारवद्ध व्ही आकार में, पक्षियों का समूह उड़ान भरता देख रही थी। उनके ऊपर एक हवाई जहाज उड़ रहा था अौर सूर्य नदी में डूबता-सा प्रतीत हो रहा था। यह देखकर दुर्गा ने भगवान का दीया लगाया तो,रश्मि दौड़ती हुई आई ,अौर बोली - 'माँ,दीया लगा दो, फिर गुडन्यूज सुनाती हूँ। भगवान ने हमारी सुन ली।'
मंत्र बोलते हुए , दुर्गा ने आश्चर्य से कहा - 'क्या हुआ ?'
रश्मि ने मुस्कुराते हुए ,कहा - 'पहले माँ, दीया तो लगा दो । फिर मैं बताती हूँ।'
दुर्गा ने कहा - " अच्छा ठीक है।'
दुर्गा ने भगवान की आरती कर , दीया रख दिया। जैसे ही मुड़ी, कि - तेज हवा चलने से, दीया बुझ गया । तभी रश्मि आ गई अौर खुशी-खुशी बोली - 'माँ. . . माँ , पता है ? मैं एयर हॉस्टेस बन गई हूँ। भगवान ने आपकी मनोकामना पूरी कर दी है। "
दुर्गा ने आश्चर्य से कहा - "क्या कह रही हो ,बेटी ? तेरा सलेक्शन हो गया । " रश्मि ने माँ के चरण छू कर कहा - " हाँ माँ , हाँ । अब तुम्हें नर्स की ड्यूटी नही करनी पडेगी। पापा भी पैरालिसिस के अटैक से,टूट गये हैं। वो भी ६ महीने से अकेले-अकेले रहकर , परेशान हो गये हैं। अब , आप घर पर ही पापा की मद्द करना। अौर आपकी बेटी नौकरी करके आपकी जीवन भर सेवा करेगी। "
दुर्गा ने खुश होकर कहा - "अच्छा , ये तो बहुत बड़ी खुशखबरी है। लकिन जरा , माचिस लाकर , भगवान का दीया लगा दे । अचानक हवा से बुझ गया । "
रश्मि ने तुरंत दौड़ कर माचिस लाकर , माँ को देते हुए कहा - " माँ , आप ही लगा दो , मैं पापा को खुशखबरी सुनाती हूँ। "
खुशी - खुशी रश्मि , पापा के पास आकर बोली - " पापा . . .पापा।बोलते हुए , पापा के पास आकर देखा तो पापा कंबल अोढ़े सोये हुए थे। पुनः आवाज़ दी तो फिर भी पापा ने उत्तर नही दिया।तब रश्मि ने कंबल उठाकर देखा तो चीख निकल पड़ी - " पापा. . . । "
दुर्गा आवाज सुनते ही , दौड़ी आई अौर बोली - " क्या हुआ तेरे पापा को ? "
रश्मि ने दहाड़ मारकर कहा - " माँ , पापा नही रहे। "
दुर्गा ने तुरंत हाथ की नाड़ी देखी , कान लगा कर , सीने की धड़कन सुनी अौर आवाज लगाई तो कोई प्रतिक्रिया न देख कर बोली - " तुम , मुझे छोड़ कर नही जा सकते । तुम कहते थे , रश्मि की शादी करूँगा । ऐसी ही शादी करोगे। उठो! कुछ तो बोलो । बोलते क्यों नही ? अब , मैं कैसे जिऊँगी। मुझे साथ में क्यों नही ले गये ?
रश्मि ने रोते हुए कहा - " पापा, आपको मेरी नौकरी की चिंता थी ना। देखो,आज आपकी बेटी की नौकरी लग गई है। देखो ना पापा। आज आपकी बेटी, पैरों पर खड़ी हो गई है।"
पीछे से एक स्त्री बोली -" बेटी, विधि के विधान को कौन मिटा सकता है ? जन्म अौर मरण तो ईश्वर के हाथों में है।चुप हो जा बेटी , तुझे इतना पढ़ा-लिखा दिया अौर क्या ? "
समय के साथ धीरे-धीरे सब बदल रहा था। रश्मि की नई-नई नौकरी करने की उत्सुकता मन में आशा कि किरण जगा रही थी। आज पहला दिन था । परिचय के साथ थोड़ा बहुत काम किया था।बहुत खुश थी। दुर्गा की उदास आँखों में भी खुशी की चमक साफ दमक रही थी।
रश्मि ने खुशी से झूमते हुए कहा - " माँ , आज मैंने फ्लाइट में बतौर एयर हॉस्टेस काम किया। फ्लाइट मुंबई से कोलकाता की थी। बड़ा मजा आया।पायलट दीप बहुत अच्छी पायलेटिंग करते हैं। "
दुर्गा ने उत्साह बढ़ाते हुए कहा - " बेटा , बहुत अच्छे ! अपने काम से सबका मन जीतना। बधाई बेटा। ईश्वर तुम्हें अौर ऊँचाईयाँ दे। " दुर्गा मन ही मन सोच रही थी। मेरे अौर आपके सपने आज साकार हो गये। तुम होते तो कितने खुश होते ? "
रश्मि को दीप का स्वयं आकर परिचय देना , अच्छा लगा तो दीप को रश्मि की स्पष्ट बोलचाल भा गया। पहली मुलाकात ही दोनों को वर्षों सी प्रतीत हो रही थी।जल्दी ही मित्रता प्रेम में तब्दील हो गई।
एक सुबह अॉफिस में चेयरमैन प्रफुल्ल वर्मा निरीक्षण करने अाये।रश्मि अपने मित्रों के साथ , खुलकर हँसी-मजाक कर रही थी।चेयरमैन प्रफुल्ल वर्मा की नज़र खूबसूरत रश्मि पड़ी तो देख कर आश्चर्य में पड़ गये।तुरंत मैनेजर को बुलाया।अौर कहा -" एयर हॉस्टेस की नई भर्ती कब की ? "
मैनेजर ने कहा - " सर , छह महीने पहले ही की थी। जब आप जर्मनी में थे। आपसे फोन पर अनुमति ली थी लेकिन क्यों सर ?
प्रफुल्ल वर्मा ने आश्चर्य से कहा - " नही , यूँ ही । कितनी सीट सलेक्ट की ?"
मैनेजर ने कहा - " सर छह एयर हॉस्टेस का सलेक्शन किया था । जिसमें से पाँच ने ज्वाइन कर लिया है। एक लड़की ने इंटरेस्ट नही दिखाया।"
प्रफुल्ल वर्मा ने मुस्कुराते हुए कहा - " हमसे परिचय नही कराअोगे
? "
मैनेजर ने कहा - " सर, क्यों नही ? आपके आने का इंतज़ार ही कर रहे थे।"
प्रफुल्ल वर्मा ने रौब दिखाते हुए कहा - " ये मेरा तीसरा राउण्ड है। "
मैनेजर ने स्थिति भांपते हुए कहा - " अभी बुलाता हूँ सर,मुझे माफ कीजिए ।
प्रफुल्ल वर्मा ने कहा - " शीघ्रता कीजिए । आइंदा ऐसी गलती नही होना चाहिए ।"
मेैनेजर ने पाँचों एयर हॉस्टेस को बुलाकर परिचय दिलाया तो प्रफुल्ल वर्मा ने मीठी मुस्कान बिखेरते हुए कहा -" ये हमारा परिवार है। कोई तकलीफ़ हो तो नि:संकोच मुझे बताइयेगा।"
मैनेजर के साथ पंक्तिवद्ध खड़ी , पाँचों एयर हॉस्टेस ने एक साथ कहा - " जी सर । "
एयर हॉस्टेस अॉफिस से बाहर चली गई तो , प्रफुल्ल वर्मा ने मैनेजर से कहा -" वो लम्बी -सी , जो बीच में खड़ी एयर हॉस्टेस का क्या नाम था ?"
मैनेजर ने तुरंत जवाब दिया -" सर , वो रश्मि थी।
प्रफुल्ल वर्मा ने सिर हिलाते हुए कहा - "अच्छा । "
मैनेजर ने मन को भांपते हुए कहा - " सर , कल बंगले पर पहुँचाऊँ क्या ?"
प्रफुल्ल वर्मा ने जायजा लेते हुए पूछा - " उसकी आर्थिक स्थिति कैसी है ? "
मैनेजर ने कहा -"सर, पिता का देहांत हो गया है अौर माँ नर्स है।
प्रफुल्ल वर्मा ने कहा - अोह ! ठीक है । कल बारह बजे बंगले पर भेजो।"
मैनेजर ने कहा - "जी सर ।"
रश्मि ,प्रफुल्ल वर्मा के बंगले पर पहुँची तो प्रफुल्ल वर्मा ने हाथ में सिगरेट थामे कहा- " रश्मि ,आअो-आअो बैठो। मैंने तुम्हें इसलिए बुलाया है कि -कभी कोई आपको आवश्यकता हो तो मुझसे सीधे सम्पर्क कर सकती हो।
तब रश्मि ने सहजता व सरलता से कहा -" सर, मेरा यह बड़ा सौभाग्य है। जो आप जैसे अच्छे बॉस मिले हैं। मैं आपका आभार कैसे मानूँ ? मेरे पास शब्द नही हैं। "
प्रफुल्ल वर्मा ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा - " आभार की क्या आवश्यकता है रश्मि जी। हम अपने कर्मचारियों के काम न आये तो फिर कैसे बॉस ? लेकिन हाँ,शनिवार -रविवार को तुम , हमसे मिलने आ सकोगी ? तो हमें खुशी होगी।अकेला रहता हूँ, इतने बड़े बंगले में , बोर हो जाता हूँ। बस इसलिए । "
रश्मि ने मुस्कुराते हुए कहा - "बस , इतनी सी बात । सर,आप तो हमारे पापा जैसे हैं।"
प्रफुल्ल वर्मा ने प्यार से कहा -" वैसे आपके पापा क्या करते हैं ?"
रश्मि की आँखें भर आईं बोली - " सर, पापा शिक्षक थे।सात माह पहले ही शाँत हो गए हैं। उन्हें पैरालिसिस का अटैक आया था।लेकिन अब सब ठीक है।
प्रफुल्ल वर्मा ने तुरंत ही दूसरा प्रश्न किया -" अौर आपकी मम्मी?"
रश्मि ने बताया -" सर मम्मी नर्स है । अच्छा मैं चलती हूँ। दो बजे अॉफिस भी पहुँचना है ।"
रश्मि बोलकर अॉफिस पहुँच गई। अब हर शनिवार को कुछ देर के लिए , प्रफुल्ल वर्मा से मिलती अौर हँसी - मजाक कर घर चली जाती ।
दीप हर रविवार रश्मि से मिलने आता तो रश्मि की माँ कहती - " बेटा , तुम हमारे लिए भगवान बनके आये हो। हमारी हर मुसीबत
अपने सिर ले लेते हो।"
दीप ने मुस्कुराते हुए कहा - " आपने मुझे भगवान बना दिया। मैं तो अपना कर्तव्य भर निभाता हूँ। "
रश्मि ने हँसते हुए कहा - " माँ इसे कोई भी काम पहले करने की धुन सवार रहती है। अॉफिस के भी अधिकतम कार्य यही करता है।"
दुर्गा ने मुस्कुराते हुए कहा - " बेटा , तुम दोनों के कामों में सदैव सफलता मिले । यही मेरा आशीर्वाद है। "
दुर्गा , आशीर्वाद ही नही बल्कि मन ही मन सोच रही थी, कि - वो समय कब आयेगा ? जब ये एक -दूसरे को स्वीकार करेंगे।
इधर एक दिन प्रफुल्ल वर्मा ने अपने बंगले पर, मोबाइल देखते हुए रश्मि से कहा - " रश्मि , तुम्हारे गुणों को देखते हुए , मैं , तुम्हें अस्सिटेंट- मैनेजर बना चाहता हूँ। "
रश्मि ने खुश होकर कहा - " सर , यह आपकी बड़ी मेहरबानी होगी। "
प्रफुल्ल वर्मा ने कहा - " मेहरबानी की कोई बात नही है। तुम्हें मालूम है , मेरी पत्नी अौर बेटा जर्मनी में रहते हैं । मुझे अकेलापन खाने को दौड़ता हेै। मैंने सोचा क्यों न मैं तुमसे शादी कर लूँ। अरे, तुम कभी तो शादी करोगी ? अौर फिर प्यार में उम्र का कौन - सा बंधन ? मेरी बात समझ रही हो ना रश्मि ।"
रश्मि बात सुनते ही शून्य हो गई। शरीर काँपने लगा। आँखें लाल हो गई फिर पूरी हिम्मत बाँधकर कहा - " सर , आप ये क्या बकवास कर रहे हैं? मैं आप में अपने पिताजी देखती थी अौर आपकी नियत इतनी खोटी होगी । मुझे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नही था। "
प्रफुल्ल वर्मा ने रश्मि पर नजरें गढ़ाकर कहा - " तुम्हें , सुनहरा अवसर दे रहा हूँ। सोच लो, ऐसे अवसर बार-बार नही मिलते। "
रश्मि ने गंभीरतापूर्वक , तीखे स्वर में कहा - " सर ऐसे सुनहरे अवसर को मैं लात मारती हूँ। मैं आज , इसी वक्त, इस्तीफा देती हूँ। "
रश्मि ने गुस्से में , बेग से पेपर निकाला अौर इस्तीफ़ा लिख कर प्रफुल्ल वर्मा के , मुँह पर मारकर चली गई।
प्रफुल्ल वर्मा को अपेक्षा से बडा़ प्रतिउत्तर मिला तो हिल गये। कितनी ही एयर हॉस्टेसों को ,अपने इशारों पर नचाया था। आज पहली दफा किसी लड़की ने उन्हें नचाया था। अत: ज़ख्मी नागिन का फन कुचलने की तैयारी में जुट गये।
दीप ने , रश्मि के घर आकर कहा -" क्या हुआ रश्मि ? आज अॉफिस नही आई। "
रश्मि ने उदास भाव में कहा - "आज , मेरी तबियत ठीक नही थी। बस, इसलिए फोन करके अॉफिस में बता दिया था। बाकि सब तो ठीक है ना दीप ? "
दीप , रश्मि के रूखे स्वभाव को समझ नही पा रहा था। दुर्गा से उसने जानना चाहा लेकिन उसे स्पष्ट जानकारी हासिल नही हुई ।
अनमने भाव से वो घर चला गया ।
लगातार पाँच दिनों तक रश्मि अॉफिस नही पहुँची तो एक बार फिर दीप रश्मि से मिलने आया अौर बिना बात जानें , वह लगातार रश्मि से पूछता रहा। तब कहीं जाकर रश्मि ने कहा - " वर्मा सर ने मेरे साथ गलत व्यवहार करते हुए ,शादी करने की बात कही तो मैंने उसी वक़्त अपना इस्तीफ़ा देना उचित समझा। मैंने नौकरी छोड़ दी है। "
दीप को विश्वास नही हो रहा था । उसने मैनेजर से फोन कर रश्मि के न आने का कारण जानना चाहा तो मैनेजर ने कहा - " एक दिन
फोन पर छुट्टी माँगी अौर अभी तक नही आ रही है। शायद रश्मि की तबियत खराब हो। "
दीप ने रश्मि को समझाते हुए कहा -" मैनेजर को कुछ नही मालूम , उनके पास इस्तीफ़ा भी नही मिला । मेरी बात मानो तो तुम्हें अॉफिस जाना चाहिए । बॉस से गलती तो हो गई लेकिन वह अच्छे कर्मचारी को खोना भी नही चाहते। वरना वो इस्तीफ़ा अॉफिस में भेज देते।इसलिए तुम कल से फिर आअो। ऐसे घर में बैठे रहने से तुम्हारा ही नुकसान होगा।" रश्मि ने दीप की बात बड़ी मुश्किल से मानी।
दूसरे दिन अॉफिस पहुँच गई। वह नियमित उड़ान में दीप के साथ जाने लगी । लगभग एक महीने बाद प्रफुल्ल वर्मा का फिर आना हुआ।
रश्मि को देखा अौर पूछा - " कैसा चल रहा है ? सब ठीक तो है। "
रश्मि आश्चर्य चकित हो गई मन ही मन बोली - " यह वही आदमी है। जिसने इतने निम्न दर्जे की हरकत की थी। "
तभी पुनः प्रफुल्ल वर्मा ने कहा - " रश्मि , मैं आप से पूछ रहा हूँ। "
रश्मि ने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान दिखाते हुए कहा - " मैं ठीक हूँ सर ।"
प्रफुल्ल वर्मा ने अोके कहते हुए , अॉफिस के चेम्बर में चले गये।प्रफुल्ल वर्मा ने तुरंत मैनेजर से कहकर , रश्मि को बुलबाया अौर कहा - " रश्मि , हम पेट पर नही मारते । थोड़ा सोचो , सर्विस नही होगी तो तुम्हारी दो कोढ़ी की भी इज्ज़त नही होगी , समझे। आपके भले के लिए ही कह रहा हूँ। अब तुम जा सकती हो । "
रश्मि के तन-मन में मानों आग लग गई । परंतु ये सोचकर कि- ये गलती तो मुझे बहुत महँगी पड़ी। जो इस्तीफ़ा देकर पुनः आई ।यह आदमी नही , शैतान है , शैतान। दीप से मिली तो उसे बहुत खरी-खोटी सुनाई।
दुर्गा अस्पताल से आई तो अपनी सारी आपबीति रश्मि ने कही । दुर्गा सुनकर दंग रह गई। रश्मि ने कहा - " माँ , मैं किसी कीमत में सर्विस नही करना चाहती। अगर मुझे कहीं अौर छोटी-मोटी सर्विस मिलेगी तो करुँगी वरना उस शैतान का चेहरा देखना भी मंजूर नही।"
दुर्गा ने रश्मि के मन को समझते हुए कहा - " कोई बात नही बेटा , जैसी तेरी इच्छा , मैंने तुझे पहले मजबूर किया , न अब करूँगी।
रश्मि के एक सप्ताह तक अॉफिस न आने पर प्रफुल्ल वर्मा ने मोबाईल करना शुरू कर दिया । हर रोज मोबाईल पर कहता - " अच्छे से रास्ते पर आ जाअो वरना मैंने अच्छे -अच्छे बिगडैल घोड़ों को सुधारा है ।
दीप को जब यह सब बताया तो उसे भी समझ में नही आ रहा था कि - " बॉस इतने नीचे गिर जायेगा । न जाने कितनी लड़कियों को अपना शिकार बनाया होगा। सबकुछ सोच समझकर रश्मि से कहा - " उसकी पुलिस कम्प्लेंट ही कराना पड़ेगा। "
रश्मि अौर दुर्गा को भी यही ठीक लगा। रश्मि ,दीप व दुर्गा ने जाकर पुलिस कम्प्लेंट लिखा दी।तो दूसरे दिन पुलिस ने रश्मि अौर दुर्गा को अरेस्ट कर थाना ले गई।पुलिस कह रही थी कि -" हम , अच्छे से जानते हैं तुम जैसी लड़कियों को , जब तक बॉस खिलाता है तो गोद बैठती हो अौर बाद में काम से निकालने पर पुलिस को नौटंकी दिखाती हो।
रश्मि अौर दुर्गा ने रोते हुए ,पुलिस के खूब हाथ जोड़े पर पुलिस टस से मस नही हुई । आँसूअों की धार के आगे भी पुलिस अभद्र व्यवहार करने से नही चूकी । आँखों के आंसू सूख गये थे। गालों पर मार के निशान उभर आये थे। समझ में आ गया था कि - पुलिस ने प्रफुल्ल वर्मा से गले तक रूपये खा चुके हैं।
जब दीप ,थाने में मिलने आया तो रश्मि ने कहा - " दीप, प्रफुल्ल वर्मा ने हमारे खिलाफ चोरी की शिकायत दर्ज कराई है।आज तो रविवार है । कल जमानत करा सकोगे तो बड़ी मेहरबानी होगी। "
दीप ने रश्मि के छलकते आँसूअों को पोंछते हुए कहा - " कैसी बात करती हो रश्मि ? कल किसी भी हालत में , मैं आपकी जमानत करा कर ही दम लूँगा। तुम धैर्य मत खोअो , मैं कल अदालत में मिलता हूँ।
तीनों ने न्यायाधीश के सामने बॉस की करतूत के बारे में कहा लेकिन न्यायाधीश ने एक ना सुनी। बामुश्किल जमानत पर रिहा किया गया।अंत में न्यायाधीश ने यही कहा - " यदि आपको शिकायत है तो प्रमाण सहित केस दर्ज कराअो , ऐसे मौखिक कहने से कोई लाभ नही है।"
दीप,रश्मि व दुर्गा घर में आकर सोच रहे थे कि अदालत को कौन - सा प्रमाण दें। पुलिस को शिकायत की तो प्रफुल्ल वर्मा ने हमारी झूठी शिकायत कर हमें जेल भेजने का रास्ता दिखा दिया। रश्मि का फिर मोबाईल बजा , देखा तो प्रफुल्ल वर्मा का था। रश्मि ने उठाकर हैलो कहा तो प्रफुल्ल वर्मा ने भारी आवाज में कहा - " रश्मि , तुम्हारे पास एक ही उपाय है , मेरे पास आने का । दिल से स्वागत है वरना तुम्हारी हेकडी तुम्हें तो छोड़ेगी नही अौर तुम्हारी माँ गेहूँ के साथ घुन की जैसी पिस जायेगी। सोचो -सोचो। आय लव यू , रखता हूँ।
एक घंटा बाद फिर प्रफुल्ल वर्मा ने फोन किया अौर कहा - " क्या सोचा है । जितनी जल्दी निर्णय लोगी ,उतनी जल्दी लाभ होगा। "
रश्मि व दुर्गा , प्रफुल्ल वर्मा के बार-बार आने वाले मोबाईल से तंग हो गई थीं। दीप को बताया तो दीप ने कहा - " रश्मि तुम सिम क्यों नही बदल लेती । "
दीप का उपाय रश्मि को समझ में आ गया । तुरंत मोबाईल से सिम निकाल कर फेंक डाली । प्रफुल्ल का बार - बार मोबाईल आना बंद हो गया । तीन दिनों के बाद प्रफुल्ल वर्मा की कार , रश्मि के घर के पास रूकी।
प्रफुल्ल वर्मा ने सीधे ,रश्मि के घर में प्रवेश किया। रश्मि देख कर दंग रह गई।दुर्गा को कुछ समझ नही आ रहा था। रश्मि व दुर्गा आकर खड़ी हुई तो प्रफुल्ल वर्मा ने भारी आवाज में कहा - "समझाअो , अपनी बेटी को। सिम बदलोगी तो समस्या खतम नही होगी। एक निर्णय बदलने से , मैं , तुम्हारा जीवन संवार दूँगा। अौर समस्या रश्मि की हाँ में है। न में कुछ नही रखा । अच्छा चलता हूँ। कल फिर आऊँगा। जाते -जाते प्रफुल्ल वर्मा कहता गया - "अौर हाँ , पुलिस मेरे यहाँ पानी भरती है। "
प्रफुल्ल वर्मा लगातार छह माह से रश्मि के घर आकर तंग कर रहा था। इस से दुर्गा का हॉस्पिटल जाना बंद हो गया था। रश्मि भी तनाव में कुछ समझ नही पा रही थी। माँ की हालत देख , हैरान - परेशान थी तो दुर्गा ,रश्मि के बदलते प्रतिदिन के चिड़डेपन से तंग आ गई थी।रश्मि दिनभर सोचती रहती। अब उसने सोचा सारी समस्या मेरी वजह से है। माँ व दीप मेरे कारण परेशान है । क्यों न आत्महत्या कर ? पूरी समस्या को जड़ से ही खत्म कर दूँ। कम से कम माँ व दीप तो सुखी हो जायेंगे। अत: मुझे आत्महत्या कर लेनी चाहिए । मन - मस्तिष्क में बार - बार आत्महत्या - आत्महत्या ही घूम रहा था। उठकर मेडिकल स्टोर से जहर की डिब्बी ले आई। दुर्गा की नजर पूरे समय रश्मि पर अधिक रहती थी।उसे मालूम था रश्मि मेडिकल स्टोर गई थी। इसलिए पूरी तरह सावधान थी।
रश्मि रात नौ बजे अपने कमरे में गई । बेग से डिब्बी निकाली अौर जहर पीने लगी। दरवाजा खुला था । अचानक दीप ने आकर रश्मि का हाथ पकड़ कर,चिल्लाते हुए कहा - " यह क्या कर रही हो रश्मि ?
रश्मि ने चीख कर कहा - अब मैं जीना नही चाहती , दीप। मुझे मर जाने दो।
रश्मि अौर दीप की आवाज सुनकर दुर्गा दौड़ी आई। दीप ने चिल्लाते हुए , जहर की डिब्बी दिखाते हुए कहा - " देखो आंटी , रश्मि ने जहर पी लिया है । इसे जल्दी अस्पताल ले जाना होगा।वरना खतरा बढ़ जायेगा। ये मरना चाहती है । ये कायर है। वैसे भी लड़कियों बिना लड़े , पहले ही हार मान लेती हैं। इसमें कौनसी नई बात है ? आये दिन लड़कियाँ आत्महत्या कर रही हैं।
दुर्गा ने चिल्लाते हुए कहा - " क्या कर रही थी रश्मि तुम ? तुम्हें यह क्यों लगा की जहर पी कर , मर जाना चाहिए । मेरे होते हुए तूने ऐसा सोच भी कैसे लिया?
दीप ने कहा -" आंटी , इसने थोड़ा -सा जहर पी लिया है।"
दुर्गा ने कहा - " बेटा , ये बाहर गई थी अौर लौटी तभी मैंने इसके बेग को चेक कर , जहर की डिब्बी बदल दी थी । मैं तो इसे देखना चाहती थी कि यह लड़ाई में मुझे कब तक साथ देगी , लडेगी या मुझे छोड़कर भागेगी।
दीप ने कहा - " आंटी सच ही कह रही हो। युद्घ में लडकर मरो , न कि पीठ दिखा कर । "
दुर्गा ने कहा - " हाँ बेटा , दीप सच ही कह रहा है। अब न नही हाँ से युद्ध लड़ना होगा। तुम कहो उस शैतान से , तुम शादी करना चाहती हो। कहो बेटा , कहो।"
रश्मि ने रोते हुए कहा - " नही माँ ,नही , मैं ऐसा नही कर सकती । मैं मर जाऊँगी पर ऐसा सोच भी नही सकती ।"
दुर्गा ने कहा - " रश्मि तुम्हें सोचना ही पड़ेगा अौर करना भी होगा।"
दीप ने दुर्गा का साथ देते हुए कहा - " हाँ रश्मि , काँटा , काँटे से ही निकलता है। ये युद्ध जीतना है तो कर लो प्रफुल्ल वर्मा से शादी।"
तभी दरवाजे पर प्रफुल्ल वर्मा आ गया। दीप को देख कर आश्चर्य से कहा -" अरे दीप, तुम !"
दीप ने सहजता से कहा -"सर , ये रश्मि कई दिनों से अॉफिस नही आ रही थी तो जानने चला आया अौर आप?"
तभी रश्मि अंदर से बाहर निकली , अौर प्रफुल्ल वर्मा से नजरें मिला कर बोली - "मैं आप से शादी करने को तैयार हूँ । लेकिन मेरी दो शर्त हैं, वो आपको मानना पड़ेगी।
प्रफुल्ल वर्मा ने मुस्कुराते हुए ,गाल पर हाथ लगा कर कहा - " तुम्हारी हर शर्त मंजूर हैं , कहो तो।
रश्मि ने कहा - " मेरी पहली शर्त है कि - आपको एक सप्ताह में अपनी पत्नी से तलाक लेना होगा।"
प्रफुल्ल वर्मा ने कहा - " अौर दूसरी शर्त ? "
रश्मि ने कहा - " पहले पहली शर्त के बारे में कहिये । अगर तुम्हें मंजूर होगी तो अगली शर्त रखूँ। "
प्रफुल्ल वर्मा ने कहा - " बस इतनी सी बात , मुझे मंजूर है। मैं दीप के सामने स्वीकार कर रहा हूँ। अगली शर्त बोलो ?"
रश्मि ने अगली शर्त रखते हुए कहा - मेरी दूसरी शर्त है आपकी पूरी संपत्ति मेरे नाम का विक्री पत्र के रुप में चाहिए । मतलब शादी के बदले पूरी संपत्ति आपने मुझे बेच दी समझो।"
कामांध प्रफुल्ल वर्मा ने साहस दिखाते हुए एक ही शब्द में कहा - " हाँ ।"
रश्मि ने पुन: कहा - " एक बार अौर सोच लो। "
प्रफुल्ल वर्मा ने फिर कहा - " मैने सोच लिया । एक सप्ताह के अंदर तलाक व विक्री पत्र तुम्हारे सामने होंगे।"
रश्मि ने कहा - " दीप सर के सामने आपने कहा है। "
प्रफुल्ल वर्मा ने मूंछ पर ताब देते हुए कहा - "मर्द हूँ। मेरा कहा पत्थर की लकीर समझो। "
ठीक एक सप्ताह बाद , विक्री पत्र - रजिस्ट्री व तलाक के पेपर रश्मि के पास थे। प्रफुल्ल वर्मा की पूरी संपत्ति रश्मि के नाम हो गई थी।
दो माह पश्चात , दुल्हन बनकर रश्मि , प्रफुल्ल वर्मा के घर थी। सुहाग सेज पर रश्मि बैठी थी। प्रफुल्ल वर्मा अपनी जीत से फूला नही समा रहा था । यही सोचते हुए कमरे के अंदर प्रेवश किया अौर मुस्कुराकर कहा - " रश्मि तुम्हें पाकर , मैंने सब कुछ पा लिया।आज मैं बहुत खुश हूँ । "
रश्मि ने भी मुस्कुराकर कहा - " मैं भी। "
प्रफुल्ल वर्मा ने कहा - " वो कैसे ? मुझे पाकर । "
रश्मि ने कहा - " आपको पाकर नही । "
तो आश्चर्य से प्रफुल्ल वर्मा ने कहा - " तो फिर ।"
रश्मि ने मुस्कुराते हुए कहा - " आप से जंग जीत कर । "
प्रफुल्ल वर्मा ने कहा - " कैसी जंग ? "
रश्मि ने रिवाल्बर निकाली अौर एक फायर छत पर करते हुए कहा - " शैतान , तेरी सारी संपत्ति मेरी है।अब तू कुछ नही कर सकता है। पुलिस अब मेरी है।इसी क्षण , मेरे बंगले से बाहर नही हुआ तो मैं तुझे गोली मार दूँगी।"
प्रफुल्ल वर्मा ने घबरा कर कहा - " रश्मि , बचपना मत करो।मैंने तुम पर विश्वास कर, ये सब कुछ किया है। तुम मेरी हो अौर मैं तुम्हारा , जरा समझने की कोशिश करो। "
रश्मि ने गुस्से से कहा - " समझने की कोशिश तू कर दरिंदे , जब तू तेरी पत्नी को तलाक दे सकता है तो तू मेरा कैसे हो सकता है ? मैंने क्या कहा - बंगले से आऊट हो जा वरना गोलियों से तेरा शरीर छननी छननी कर दूँगी । मेंहदी के हाथ , खून से न सन जायें इसी में गनीमत होगी । चल निकल बंगले से बाहर , तेरे हाथ से सबकुछ निकल गया है।
तभी पुलिस , दीप व दुर्गा आ गये । पुलिस ने प्रफुल्ल वर्मा की गलेबान पकड़कर बंगले से बाहर कर दिया।
दुर्गा , दीप व रश्मि ने पुलिस , कोर्ट व हाईकोर्ट तक को दौलत के बदौलत पटकनी देकर बता दिया था कि - हाँ की शक्ति , अद्भुत व अद्वितीय है।
- विनोद नायक
७७- ब, श्री हनुमानजी मंदिर के पास ,
खरबी रोड़ , शक्तिमातानगर, नागपुर ૪૪००२૪
महाराष्ट्र, भारत