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दिल जोड़ो तो जानूं


दिल तोड़ना आसान है मीत मेरे,
दिल जोड़ के दिखाओ, तो जानूं, 
सिर कलम करना आसान है,
ज़िंदगी दे कर बताओ, तो जानूं।

यहां ज़िंदगी गुजर जाती है बनाने में,
इसे तोड़ना आसान है, 
दोस्ती निभा दे मेरे हमसफर,
तो जानूं।

हम इधर कुरबान देते हैं अपनी जान,
ज़िंदगी बचाने के लिए, 
उधर तुम उफ् भी नहीं करते
सर कलम करते हुए।

मिटाने का हक तुम्हें कैसे, 
जब जीवन गढ़ नहीं सकते, 
इंसानियत वह चिराग है 
करो चाहे लाख कोशिश,
तुम बुझा नहीं सकते।

- डॉ. शिवनारायण आचार्य
   नागपुर (महाराष्ट्र)
काव्य 7434522388698969229
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