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साहित्यिकी में कवि सम्मेलन का सफल आयोजन


नागपुर। विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम साहित्यिकी के अंतर्गत कविसम्मेलन का सफल आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षा माधुरी राऊलकर का स्वागत सहसंयोजक शादाब अंजुम ने अंगवस्त्र से किया।कार्यक्रम का संचालन संयोजक आदेश जैन ने किया।

सम्मेलन में माणिकराव खोब्रागडे ने "मेरा क़सूर क्या है?" नीलिमा गुप्ता ने "राजनीति" डॉ भोला सरवर ने  ग़ज़ल, तनहा नागपुरी ने "ये बेदर्द जमाने मे" नरेंद्र परिहार ने एक कविता, हफ़ीज़ शेख नागपुरी ने "राहों पे बारिश कहर ढाने लगी" डॉ राम माधव मुले ने "आँगन का पेड़" माधुरी राऊलकर ने ग़ज़ल, सुनील कुमार निखारे ने "आ गई बरसात", 

मीरा जोगलेकर ने "कटुशाला" शादाब अंजुम ने" सौदागर" मनिंद्र सरकार ने "दुखड़ा मन किस किस को सुनाए" प्रा मज़ीद बेग मुगल हिंगणघाट ने "रिश्तों की दुनिया", रूबी दास ने "वक्ररेखा" अमानी क़ुरैशी ने "आसमाँ हैरान है" रश्मि मिश्रा ने "महक रहा हो मौसम जैसे" सुदीप्ता बैनर्जी ने 'सोचते है' जैसे विभिन्न विषयों पर एक से बढ़कर एक रचनायें प्रस्तुत कीं।
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