कारब्रेन वायरस' की महामारी
जिसे हम देखते हुए भी अनदेखा कर देते हैं
'पारंपरिक कथानक आधुनिक ऑटोमोबाइल और उसके आंतरिक दहन इंजन को अपरिहार्य के रूप में प्रस्तुत करता है। जिस कार संस्कृति को अब हम अमेरिका और दुनिया भर में हल्के में लेते हैं, वह ऑटो उद्योग के एक बड़े संघर्ष के बाद ही अस्तित्व में आई, न केवल अन्य कम विनाशकारी परिवहन विकल्पों के खिलाफ बल्कि आम लोगों की पर्यावरणीय चेतना के खिलाफ भी। 1902 में, एक अमेरिकी मोटरिंग जर्नल ने बताया कि, "यूरोप में, यह खुले तौर पर मान्यता प्राप्त है कि गति उन्माद का मुख्य बहाना नई संवेदनाओं को महसूस करने और उद्देश्यहीन जीवन के खालीपन को दूर करने की इच्छा है।'
मोटर परिवहन के सामाजिक मानदंड एक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे को छुपा रहे हैं। यह एक गुमनाम नरसंहार है जो पिछली शताब्दी में युद्धों और बीमारियों की तुलना में पहले ही अधिक लोगों को मार चुका है। हिन्दी में कहावत है। खाली दिमाग शैतान का घर होता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार उसमें कारब्रेन वायरस जा के बैठ जाता है। लेकिन 'MaaS मूवमेंट' के रूप में इस घातक खतरे का एक मारक उभर रहा है - एक साहसिक और व्यापक पहल जो मोबिलिटी-एस-ए-सर्विस को लेस-गैया मॉडल के साथ एकीकृत करता है - स्थानीय परिपूर्णता एवं परिपत्र अर्थव्यवस्था Localised Abundance and Circular Economy) और स्थानीय स्तर से वैश्विक प्रशासन के सर्वांगीण विकाश की ओर हमें ले जाता है।
हर घंटे अठारह लोग मरते हैं
भारत के जानलेवा सड़कों पर मृतकों एवं आहत परिवारों का यह सिलसिला चलता रहा है बरस दर बरस, कई दशकों से इतने लंबे समय से, जैसे कोई आम सी बात हो।
इतना सुन्न कैसे हो सकता है मानव अपने ही कृत्यों से पोषित इस नरसंहार के लिए काठ के पुतलों की तरह बजाय इसके की कोई स्थायी हल ढूंढ निकालें। .
कारण, हालांकि चौंकाने वाले हैं परंतु इस रहस्य से पर्दा उठ चुका है एक घातक मनोविकार के ऊपर से। मानव मन की काल-कोठरियों में छुपे मोटरिंग के प्रति हमारा अचेतन पूर्वाग्रह और उसके पीछे बैठा 'कारब्रेन वायरस'।
कैसे छुपा है ये 'कारब्रेन वायरस'?
क्योंकि हम अपनी मोटरकारों से प्यार करते हैं
सड़क दुर्घटनाओं में हम जिन जिंदगियों को खो देते हैं मृतकों के जो परिवार सदमे में हैं उससे भी कहीं ज्यादा।
लाखों घंटे जो रोज बर्बाद होते हैं बदहाल ट्रैफिक जामों में
हमारे बगल की खाली सीट पर बैठे उस 'भूत' के साथ हम ट्रैफिक जाम में फंसते हैं ऐसा नहीं है, 'हम ही ट्रैफिक जाम हैं' जिसे हम देखते हुए भी अनदेखा कर देते हैं। भीषण वायु प्रदूषण को देखने में भी धुंधला जाती हैं हमारी आँखें जानलेवा खतरनाक स्तर पर भी चढ़ चुकने के बाद हमारे फेफड़े घुट रहे होते हैं हमारी आँखों में जलन हो रही हो। ट्रैफिक जाम और लंबी यात्राओं के कारण समस्या और बढ़ चुकी हो, किफायती आवास और सजावटी पार्कों के उपनगरों से हम दूर-दूर के खेतों से 'पाडाली' का धुआं देखते हैं लेकिन हमारी नाक के ठीक नीचे नहीं देख सकते, टेलपाइप से आ रही उस धुएं को जिन मोटरकारों को हम पसंद करते हैं, उनसे निकलने और मतली पैदा करने वाला धुआं, सिगरेट के पैकेटों की तरह जिनपर कोई 'वैधानिक चेतावनी' नहीं होती।
लो देखो, समाधान यहाँ है
एक 'MaaS मूवमेंट' जो दुनिया भर में फैल रहा है
सेवा के रूप में गतिशीलता केवल 'पहियों वाले बॉक्स' का मालिक होना नहीं है, क्या ट्रैफिक ब्लूज़ से बचने का तरीका है, सुरक्षित सड़कों से होते हुए प्राकृतिक रूप से सुगंधित रंगों वाली स्वच्छ हवा के लिए। 'ऐप-आधारित माइक्रोमोबिलिटी' से हम शुरुआत करते हैं '5 किमी माइक्रोमोबिलिटी मैंडेट' के साथ हम दंश को दूर करते हैं, छोटी यात्राओं के कारण होने वाले ट्रैफिक जाम से और एकल चालित कारों से।
हवा साफ होने लगती है
अधिक लोग ई-रिक्शा और साइकिल की ओर रुख करते हैं जैसे-जैसे सड़कें सुरक्षित होती जाती हैं
यातायात नियमों को सख्ती से लागू करने के साथ
और ड्रोन आसमान से देख रहे हैं डेटा-संचालित और आवश्यकता-अनुकूल उपाय परम सुखों की प्राप्ति एवं सुविधाजनक साधन।
जिंदगी बहुत कीमती है
सड़क दुर्घटना में बर्बाद होने के लिए नहीं है जो भीषण ट्रैफिक जाम में रहते हुए अप्रिय और जी मिचलाने वाले वायु प्रदूषण के बीच खो जाए।
माइक्रोमोबिलिटी तो बस हिमशैल का सिरा है
जैसे-जैसे 'MaaS मूवमेंट' दुनिया भर में गति पकड़ रहा है, अभी और भी बहुत कुछ आना बाकी है, ऐसा भी नहीं है कि हम कुछ जीतते हैं और कुछ हारते हैं इस ऑर्बिट-शिफ्टिंग इनोवेशन से सर्वोत्कृष्ट सर्वविजयी समाधान का मार्ग प्रशस्त होता है।
'कारब्रेन वायरस' का इलाज
हमारे मन की पवित्रता कायम रहे, जहां रहस्य छिपे हैं सुरक्षित, तेज़ और साफ़ सड़कों के लिए।
- चंद्र विकाश
स्वदेशी विचारक
vishvaguru.bharat21@gmail.com
उल्लेख: https://lithub.com/the-car-culture-thats-helping-destroy-the-planet-was-by-no-means-inevitable/