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25 दिसंबर सुशासन दिवस : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर श्रद्धा सुमन


25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में अध्यापक पंडित कृष्ण बिहारी जी के घर उनका जन्म हुआ। उनके पिता स्वयं अध्यापक होने के साथ-साथ एक सशक्त राष्ट्र प्रेमी और कवि भी थे। उनकी रचनाएं राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत रहती थी। ‘सोते हुए सिंह के मुंह में हिरण कहीं घुस जाते हैं’, जैसी प्रसिद्ध पंक्तियां उनके पिता की लिखी है अटल जी की माता का नाम श्रीमती कृष्णा देवी था। पारिवारिक माहौल में राष्ट्र प्रेम रचा बसा होने का प्रभाव बचपन से ही अटल बिहारी जी पर पड़ने लगा। केशौर्य अवस्था में वे आर्य कुमार सभा के सक्रिय कार्यकर्ता रहे और बाद में संघ के प्रति निष्ठावान स्वयंसेवक बने। बचपन से ही उनकी प्रखर राष्ट्रभक्ति उम्र के साथ-साथ बढ़ती गई। ग्वालियर से उन्होंने स्नातक की डिग्री ली और उसके पश्चात उच्च शिक्षा प्राप्त करने वे कानपुर के डीएवी कॉलेज में गए जहां से उन्होंने राजनीति शास्त्र में एमए किया। 

उसके बाद एलएलबी में ज्वाइन किया पर एलएलबी में पूर्ण न कर वहां विराम लगाकर  वे संघ के काम में लग गए। इस दौरान का एक मजेदार वाक्य यह है और अद्भुत भी जब वे एलएलबी के में प्रवेश लेने गए उनके पिता उनके साथ थे जो अब सेवा निवृत हो चुके थे उन्होंने भी एलएलबी में उनके साथ ही प्रवेश लिया पिता पुत्र एक साथ एक कक्षा में और एक ही कमरे में हॉस्टल में रहते थे जो उन दिनों एक अद्भुत मिसाल थी। सन 1942 में जब अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा जन-जन लगा रहा था और देश स्वतंत्रता आंदोलन की क्रांति में धधक रहा था। 

अटल बिहारी जी नाबालिग होते हुए भी इस आंदोलन में कूद पड़े कोतवाल ने उनके पिता को जानकारी दी। लिहाजा उन्हें ग्वालियर से हटाकर उनके पैतृक गांव बटेश्वर भेज दिया गया साथ में बड़े भाई को भी भेजा गया जो इन पर निगरानी रखें पर वहां भी आंदोलन धधक रहा था, और यह आंदोलन पर भाग लेने चल पड़े। बड़े भाई के साथ  थे पर उनकी निगरानी कोई काम ना आयी और इन्हें 24 दिन की जेल हुई। नाबालिग होने के कारण इन्हें बच्चा बैरक आगरा में रखा गया था। यह उनकी प्रथम जेल यात्रा थी। धूल और धुएं की साधारण बस्ती से पले, अध्यापक के पुत्र अब सशक्त नेतृत्व क्षमता के साथ सक्रिय राजनीति में आ गए। देश स्वतंत्र होने के पश्चात वे वह 9 बार सांसद तक रहे और लगभग चार दशक तक संसद में रहे। चार अलग-अलग राज्यों से। सन 1968 में वे जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1977 में जब लोकसभा में जनता पार्टी की सरकार बनी उन उसे समय उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया।

विदेश मंत्री बनने के बाद वे पहले हिंदुस्तानी नेता बने जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में हिंदी में संबोधन दिया। वे 16 मई से 1 जून 1996 तक। फिर 1998 में और तीसरी बार 9 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। इनके कार्यकाल में ही भारत ने पोखरण नामक स्थान में परमाणु बम का परीक्षण किया 11 मई 1998 को। और भारत को विश्व में परमाणु हथियार रखने वाले देशों की श्रेणी में शामिल  करवाया। 1999 मे उनके अटल इरादो से दुश्मन को मुंह की खानी पड़ी, कारगिल युद्ध में भारत विजयी रहा। अटल बिहारी वाजपेयी में पुरुषोत्तम श्री राम के संकल्प शक्ति भगवान श्री कृष्ण की राजनीतिक कुशलता और आचार्य चाणक्य जैसी निश्चयात्मक बुद्धि थी। उन्होंने अपने जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित करते हुए कहा था।’हम जिएंगे तो देश के लिए मरेंगे तो देश के लिए’ इस पावन धरती का कंकड़ कंकड़ शंकर है। बूंद बूंद गंगाजल है। भारत के लिए हंसते-हंसते प्राण निछावर करने में गौरव और गर्व का अनुभव करेंगे।

भारत के इस महान सपूत को सन 2015 में भारत के सर्वोच्च अलंकरण ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। इससे पूर्व उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद और पद्मभूषण का सम्मान भी प्रदान किया गया था। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 25 दिसंबर 2015 को घोषणा की थी कि अब से पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी का जन्म दिवस 25 दिसंबर हर वर्ष सुशासन दिवस के रूप में मनाया जायेगा। उनकी जयंती मैं श्रद्धा सुमन अर्पित करती हूं।

 - अपराजिता शर्मा 
 रायपुर छत्तीसगढ़
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