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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत केंद्रित है : डॉ. सुनील कुलकर्णी


नागपुर/नई दिल्ली। चौतीस वर्षों के पश्चात लागू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा निति 2020 मूलभूत परिवर्तन के साथ उसका पूरा प्रारूप भारत केंद्रित है। इस आशय का प्रतिपादन डॉ.सुनील बाबूराव कुलकर्णी, निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय ,शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली ने किया। विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान ,केंद्रीय हिंदी निदेशालय,श्यामलाल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय और अंतर विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र, विश्व विद्यालय अनुदान आयोग,नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान मे 'उच्च शिक्षा के हिंदी पाठ्यक्रम में  भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश' (राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में) दि.12, 13 और 14 दिसंबर 2023 को अंतर विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र के सभागार में आयोजित राष्ट्रीय गोष्ठी के उद्घाटन सत्र में वे अध्यक्षीय उद्बोधन दे रहे थे। डॉ. सुनील कुलकर्णी ने हमारी युवा पीढी की भारतीय संस्कृति से विमुखता पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए परतंत्रता की मानसिकता से मुक्त होकर भारतीय चिंतकों   को पाठ्यक्रम मे स्थान देने की महत्ता प्रतिपादित की। डॉ.कुलकर्णी ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय दर्शन, परंपरा, संस्कृति और भाषा को अपने से समरूप करने की बात करती है। भारतीय ज्ञान परंपरा में जीवन जीने के लिए बारह कौशलो का उल्लेख हैं।
डॉ.अविनाश चंद्र पांडेय, निदेशक, अंतर विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र,नई दिल्ली ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में उपस्थित ज्ञानवर्धक और उपयोगी तत्वों को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की नितांत आवश्यकता है। 


उन्होंने यह भी कहा कि हम विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।प्रयोजन मूलक हिंदी का पाठ्यक्रम में समावेश भी आवश्यक है। संवेदना के बिंदु पर भी चर्चा होनी चाहिए। विशिष्ट वक्ता प्रो.डॉ. शशि रंजन अकेला, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान, नई दिल्ली तथा राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल के जनसंपर्क अधिकारी ने अपने मंतव्य में कहा कि समृद्धि का मार्ग शिक्षा से जाता है। उच्च शिक्षा के हिंदी पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश राष्ट्र की विकास यात्रा का अहम घटक है। शिक्षा वही है,जो हमे अपनी संस्कृति से जोडे। पूर्व शिक्षा नितियों में भारतीय ज्ञान परंपरा शब्द का उल्लेख तक नहीं था। भारत की पहचान सांस्कृतिक राष्ट्रीयता है। हम संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं ,क्योंकि हम भाषा से दूर हैं। संचार और अभिव्यव्यक्ति  का माध्यम भाषा है। भारत में भाषा विविधता का होना दुर्बलता नहीं,शक्ति का द्योतक है। हमें स्वभाषा पर गर्व होना चाहिये। हिंदी को अन्य भारतीय भाषाओ से जोडना भी आवश्यक है। 

बीज वक्ता प्रो. कुमुद शर्मा, अध्यक्ष, हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को सांस्कृतिक  बोध का भंडार बताया। औपनिवेशक सरकार की मानसिकता पर आधारित पूर्व शिक्षा नीतियों की सीमाओं  को बताते हुए उन्होंने पाठ्यक्रम में लोक और शास्रीय परंपरा का वैशिष्ट्य सम्मिलित किये जाने की आवश्यकता प्रतिपादित की, ताकि विद्यार्थी अब तक अनुसरित मैकाले की शिक्षा निति द्वारा पोषित भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति हीनता बोध से उभरकर भारत की सांस्कृतिक गरिमा को अनुभूत कर सके। उन्होने प्राचीन व मध्यकालीन साहित्य, भारतीय भाषा दर्शन, राष्ट्रीय सांस्कृतिक धारा के साहित्य को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो. कुमुद शर्मा ने यह भी कहा कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति नये भारत का आधार बनेगी जो भारतीय सभ्यता व संस्कृति से जोडेगी, नई शिक्षा नीति वैश्विक आवश्यकताओ और वैश्विक चुनौतियों से भी जोडेगी। मैकाले की शिक्षा पद्धति के अनुरूप पाठ्यक्रम बदला पर वह भारत केंद्रित नहीं बना। अतःलोकशास्त्र का भी पाठ्यक्रम में समावेश आवश्यक है। विमर्श पश्चिम से आयातीत है। राष्ट्रीयता व्यतीत मूल्य कभी भी नहीं हो सकती। 

आरंभ में प्रो.किरण हजारिका, समकुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने प्रास्तविक भाषण में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय ज्ञान परंपरा के शिक्षा में समावेश द्वारा व्यक्ति के विकास का अथक प्रयास है। प्राचीन भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा और उसके वैश्विक प्रसार से हम सभी अवगत हैं, परंतु मध्यकाल में विदेशी आक्रांताओ के आक्रमण और नीतियों के प्रभाव स्वरूप भारतीय ज्ञान केंद्रों का विघटन और विस्मरण हो गया। हमें पाठ्यक्रम में विस्तृत भारतीय ज्ञान की पुनः स्थापना करनी होगी। उच्च शिक्षा के हिंदी पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परंपरा के समावेश का स्वरूप क्या हो, इस विषय पर विचार विमर्श इस त्रिदिवसीय राष्ट्रीय गोष्ठी में होगा, जिसके निष्कर्ष शिक्षा मंत्रालय को प्रस्तुत किये जायेंगे। प्रो. डॉ. हजारिका ने यह भी कहा कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिणाम आगामी पच्चीस वर्ष के उपरांत देखने को मिलेंगे। अतः अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हमारे छात्र डुबकियां लगाकर भवसागर पार करेंगे।
इस राष्ट्रीय गोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन व सरस्वती पूजन से हुआ। तत्पश्चात  इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना व स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। उद्घाटन सत्र का सफल व सुंदर संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो.हर्षिता, हिंदी विभाग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने किया।
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