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किताबें बोलती हैं कार्यक्रम का सफल आयोजन हुआ


नागपुर। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के साप्ताहिक साहित्यिक आयोजनों की श्रृंखला में 20 अप्रैल को ‘किताबें बोलती हैं’ कार्यक्रम का अत्यंत सफल आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती इंदिरा किसलय ने की एवं अतिथि माधुरी राउलकर रहीं। आयोजन का रोचक व सारगर्भित संचालन सहसंयोजिका हेमलता मिश्र ‘मानवी’ ने किया एवं आयोजन का परिचय एवं अध्यक्षा का स्वागत सह संयोजक शादाब अंजुम ने किया।

कार्यक्रम का आरंभ करते हुए श्रीमती पूनम मिश्र ने बहुप्रशंसित एवं पुरस्कृत पुस्तक ‘अनाद्यसूक्त’ का विश्लेषण करते हुए लेखक दिनेशकुमार माली की विशेष सराहना की। रमेश मौंदेकर ने ज्ञानानंदजी महाराज की पुस्तक ‘गीता पढो़ और पढाओ’ का सुंदर विश्लेषण किया। श्रीमती माधुरी राउलकर ने डॉ. सागर खादीवाला की नवीनतम कृति ‘हर सफ्ह एक फलसफा’ पर विस्तार से प्रकाश डाला विजय वाघमारे ने राजेंद तिवारी के गजल संग्रह पर विवेचन करते हुए चुनींदा गजल प्रसतुत की। 

शादाब अंजुम ने गजल पर बात करते हुए चुनींदा गजल संग्रह से बहुत खूबसूरत रचनाएं सुनाईं। हेमलता मिश्र मानवी ने सुदर्शन भाटिया की पुस्तक ‘जीवनोपयोगी सफलता के रहस्य’ इस पुस्तक के चुनींदा अंशो पर सार्थक प्रकाश डाला। विजय मिश्र ने कहा कि पुस्तकों का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। अध्यक्षीय वक्तव्य मे इंदिरा किसलय ने सभी की प्रस्तुतियों व रचनाओं पर  सार्थक समालोचना की और तस्लीमा नसरीन की बहुप्रशंसित पुस्तक ‘फेरा’ पर अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन में अनेक सुधिजनों साहित्य साधकों की उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा बढाई। शादाब अंजुम ने समस्त उपस्थितों और अतिथियों का हार्दिक आभार प्रगट किया।
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