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नवरात्रि में ईद के चांद का दीदार भाईचारा का दिव्य संचार


चैत्र नवरात्रि व ईद-उल-फ़ितर पर विशेष

9 अप्रैल को हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हुआ जो आदि शक्ति दुर्गा माँ के नौ स्वरूपों की आराधना का उत्सव है और सर्वविदित है कि यह साल में दो बार धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि पर देवी दुर्गा पृथ्वी लोक पर आतीं हैं और अपने सभी भक्तों की हर एक मनोकामना को पूर्ण करती हैं।चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन अष्टमी और नौवें दिन रामनवमी मनाई जाती है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन ही सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने धरती लोक पर मर्यादापुरुषोत्तम माने जाने वाले श्री राम के रूप में जन्म लिया था। राम लला के जन्म की पावन बेला को ही राम नवमी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस प्रकार पूरे नौ दिन के इस उत्सव में भक्ति, समर्पण व त्याग के साथ सार्वभौमिक देवी माँ के तीन रूपों दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती को पूजा जाता है, जो मानव जाति में क्रमशः तीन गुणों के प्रतीक हैं-तमोगुण, रजोगुण और सतोगुण के प्रतीक हैं। जीवन में शांति, सफलता, सुख-सुविधाएं और प्रसन्नता के लिए इन तीन गुणों को संतुलन में रखने के ध्येय से यह त्यौहार मनाया जाता है, इसीलिए कई भक्त पूरे नौ दिन व्रत भी रखते हैं। और आत्म विकास के लिए साधनालीन होते हैं। फिर जब नार्मल दिनचर्या में आते हैं तो स्वयं में बहुत से बदलाव व सृजनात्मकता का प्रस्फुरण जीवन में आने लगता है। उत्सव के दरम्यान सभी एक दूसरे से मिलते हैं बधाईयाँ देते हैं और सामाजिक सौहार्दपूर्ण वातावरण दिखाई देता है।

उसी प्रकार संयोग की बात है कि इस वर्ष देश के दूसरे सबसे प्रमुख धर्म इस्लाम के अनुयायियों यानी मुसलमान समुदाय का प्रमुख व पवित्र त्यौहार ईद-उल-फ़ितर (ईद) भी नवरात्रि के तीसरे दिन पड़ रहा है। जो कि अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और क्यों न हो यह 30 दिनों की त्याग, तपस्या व इबादत से लबरेज़ पाक रमजान महीने के बाद आता है  जिसमें पूरे महीने सभी मुस्लिम निर्जल उपवास यानि रोजा रखते हैं। रमजान की शुरुआत इस वर्ष 11 मार्च को चांद के दीदार के साथ हुई थी जिसमें संपूर्ण विश्व के इस्लाम अनुयायियों ने पारंपरिक जकात अदा किया जो केवल गरीबों, बेवाओं व यतीमों को दी जाती है। रमजान के इन तीस दिनों तक देश में खूब इफ़तार पार्टी का आयोजन भी किया गया, जो देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब का उदाहरण है। 

इस वर्ष 10 अप्रैल 2024 को चांद के दीदार के बाद 11 अप्रैल को ईद-उल-फ़ितर मनाया जा रहा है। इस त्यौहार में भी मुस्लिम समुदाय के लोग मन्नतों के साथ खुदा से सभी की सलामती की गुजारिश करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि रमज़ान के मौके पर अलग-अलग धर्म एवं समुदायों के लोग रोज़ादारों के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन करते हैं। बिहार, रांची, लखनऊ, मेरठ, दिल्ली, मुरादाबाद, वाराणसी और सिकंदराबाद समेत देश के कई शहर इफ्तार पार्टियों के लिए बेहद प्रसिद्ध हैं। इस प्रकार ये दोनों प्रमुख त्यौहारों का इस वर्ष एक साथ आना यह संकेत देता है कि सर्वधर्म समभाव धारण करते हुए हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का यह सुनहरा अवसर है। ये दोनों ही त्यौहार शरीर की शुद्धि, मन की शुद्धि और बुद्धी की शुद्धि के साथ सत्व शुद्धि के लिए बिल्कुल सही वक्त पर दस्तक दिए हैं जब समस्त आवाम मिलकर देश का मुखिया चुनने जा रहे हैं। इसलिए तमाम दुर्भावनाओं को त्याग इन विशेष त्योहारों में निहित भावनाओं को आत्मसात कर हमें एक होना है। विश्व शांति के लिए दुआ करना है।यह अवसर हमें दोबारा नहीं मिलेगा।

तेरा धर्म मेरा धर्म का भाव त्याग कर, निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्रहित सर्वोपरि समझना होगा। और सबको मिलकर आगामी लोकसभा चुनाव जो कि लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव है, में हिस्सा लेकर सोच समझकर, पूर्ण जागरूकता के साथ हमें अपना वोट देना है। अपने दिलो-दिमाग की बैटरी को रिचार्ज कर एक अच्छे राष्ट्र के निर्माण में हमें अपना योगदान देना है। 

- शशि दीप 

विचारक/ द्विभाषी लेखिका, मुंबई

shashidip2001@gmail.com
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