ममता की मूरत
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माँ का मान बढ़ायेगे ।
जीवन में खुशियाँ वो भरती,
गीत उसी के गायेंगे।।
अपनी खुशियाँ पीछे रखती,
जीना हमें सिखाती है।
पग के काँटे खुद चुनती है,
राह में फूल बिछाती है।
खुद गीले में सो जाती है,
हम भी फूल खिलायेंगे।
माँ ममता की मूरत होतो,
माँ का मान बढ़ायेंगे।।
हाथ पकड़ चलना भी सिखाया,
गिरने कभी नहीं देती।।
धीरे-धीरे कदम बढ़ा कर,
यही हमें वो समझाती ।
उसकी राह में फूल बिछायें,
ऐसे धर्म निभायेंगे।
माँ ममता की मूरत होती ,
माँ का मान बढ़ायेंगे।।
माँ का नहीं अपमान करना,
वो ही ईश्वर का है रूप।
ईश्वर को किसने देखा है,
माँ ईश्वर सी है धूप ।।
सबसे पहले माँ की पूजा,
करके शान बढ़ायेंगे।
माँ ममता की मूरत होती,
माँ का मान बढ़ायेंगे।।
- सरोज गर्ग ‘सरु’
नागपुर (महाराष्ट्र)