गाय की रक्षा व प्रतिपालना करें : माधवदास ममतानी
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श्री कलगीधर सत्संग मंडल द्वारा गुरु अरजनदेव शहीदी गुरपूरब में हजारों श्रद्धालु शामिल
नागपुर। पांचवें गुरु अरजनदेवजी का शहीदी गुरपूरब स्थानीय श्री कलगीधर सत्संग मंडल हाल में धार्मिक वातावरण में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम का आरंभ दोपहर 2 बजे श्री गुरु नानकदेवजी से आज्ञा लेकर पांच श्री जपुजी साहिब के पाठ के साथ हुआ जिसे हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने एक ही लय सुर ताल में संयुक्त रुप से गाया। तद्नंतर संपूर्ण विश्व में शांती व अपने परिवार में सद्भावना एवं सुख समृद्धि हेतु गुरु अरजनदेव द्वारा रचित श्री सुखमनी साहिब का पाठ सामुहिक रुप से किया गया।
दादा माधवदास ममतानी ‘वकील साहिब’ ने उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को गुरु अरजनदेव शहीदी के बारे में बताया कि गुरुजी ने संगत की भावनाओं को आदर देते हुए बादशाह जहांगीर के सिपहसालार चंदू की लड़की का रिश्ता अपने सुपुत्र श्री हरगोबिंद से नामंजूर किया। तब अहंकारी चंदू ने बदले की भावना से आगबबूला होकर गुरूजी को कारागृह में बंदी कर अनेक यातनाएं प्रताड़नाएं दी। इतनी यातनाओं का भी असर न होने पर अंत में गुरूजी को गाय के चमड़े में लपेटने का निर्णय किया। अंतर्यामी गुरूजी ने तब गोहत्या को रोकने हेतु रावी नदी जाकर अपनी आत्मिक शक्ति से शरीर का त्याग किया।
आगे अपने जारी प्रवचन में दादा माधवदास ममतानी ने बताया कि सभी अवतार जैसे श्री रामचंद्रजी, श्री कृष्णजी, गुरुनानक देवजी गौहत्या के विरुद्ध थे। गुरू नानक देवजी विश्व भ्रमण के दौरान लाहौर शहर पहुंचे, वहां देखा कि गौवध हो रहा है। गुरूजी से यह सहन नहीं हुआ और उन्होने पूरे लाहौर शहर को श्राप दिया ‘‘लाहौर सहरु जहरु कहरु सवा पहरु’’ (गुरू ग्रंथ साहिब अंग 1412) अर्थात लाहौर शहर में दिन चढ़ने से सवा पहर तक जहर के समान दुखदायी कहर रहेगा और वाकई में वहां वैसा ही हुआ। ठीक उसी प्रकार छठवें गुरू श्री गुरू हरगोबिंद साहिब ने भी गौहत्या का विरोध किया है।
एक बार श्री गुरू हरगोबिंद साहिब छापिरे नामक गांव में पहुंचे तब वहां आकर एक सिक्ख ने बताया कि कुछ दुष्ट लोग गौवध कर रहे हैं। यह सुनकर गुरूजी बहुत क्रोधित हुए व उस स्थान पर पहुंचकर दुष्टों पर आक्रमण कर उनका नाश किया व गायों की रक्षा की।
दादा माधवदास ममतानी ने उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं से आव्हान किया कि गाय की रक्षा एवं प्रतिपालना व परमात्मा का नाम सिमरन करने से ही श्री गुरू अरजनदेवजी के गुरूपूरब पर उन्हें सही श्रद्धांजलि होगी।
प्रवचन पश्चात उपस्थित श्रद्धालुओं ने ‘‘धनगुरु अरजनदेव-वाहुगुरु अरजनदेव’’ के गगनभेदी जयघोष से परिसर को गंुजायमान किया। कार्यक्रम का समापन आरती, ग्यारह गुरुओं व दसम ग्रंथ में वर्णित आदि शक्ति भवानी माता की स्तुति, अरदास व प्रसाद वितरण के साथ हुआ।
कार्यक्रम के आरंभ से अंत तक गुरुजी की याद में मसालेदार चना एवं मीठा जल श्रद्धालुओं को वितरित किया गया। संयोजक दादा माधवदास माधवदास ममतानी के अनुसार शहीदी दिवस कार्यक्रम आयोजन का मंडल का 54 वां वर्ष है तथा उपरोक्त कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालुजनों ने हिस्सा लिया।