विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई : आकर्षण का पर्दाफाश, हमारे युवाओं की सुरक्षा
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हर वर्ष 31 मई को मनाया जाने वाला विश्व तंबाकू निषेध दिवस तंबाकू के उपयोग से होने वाले नुकसान और इस पर नियंत्रण के लिए ठोस उपायों की तत्काल आवश्यकता पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ष 2025 के लिए इस दिवस की थीम रखी है - ‘आकर्षण का पर्दाफाश: तंबाकू और निकोटिन उत्पादों पर उद्योग की रणनीतियों को उजागर करना।’ इस वर्ष का अभियान विशेष रूप से यह दिखाने पर केंद्रित है कि तंबाकू कंपनियां बच्चों और किशोरों को अपने हानिकारक उत्पादों की ओर कैसे आकर्षित करती हैं-चमकीले पैकिंग, आम और पुदीने जैसे मीठे फ्लेवर, और सोशल मीडिया पर प्रभावशाली व्यक्तियों के जरिए प्रचार ये रणनीतियाँ धूम्रपान और वेपिंग को मज़ेदार और हानिरहित दिखाती हैं, जबकि हकीकत में ये गंभीर नशे की लत और दीर्घकालिक स्वास्थ्य हानि का कारण बनती हैं।
भारत में तंबाकू नियंत्रण के लिए 2003 का COTPA अधिनियम (सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम) प्रमुख कानूनी साधन है। यह सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाता है, विज्ञापनों को सीमित करता है, नाबालिगों को बिक्री और स्कूलों के 100 गज के दायरे में बिक्री पर रोक लगाता है, और पैकिंग पर बड़े स्वास्थ्य चेतावनी चिह्न अनिवार्य करता है। यह अधिनियम टार और निकोटिन के स्तर को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों को अधिकार भी देता है।
हालांकि, इन कड़े नियमों के बावजूद विशेषकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में इनके प्रवर्तन में भारी असमानता देखी जाती है। स्थिति चिंताजनक है: विश्व स्तर पर 13-15 आयु वर्ग के 3.7 करोड़ से अधिक बच्चे तंबाकू का उपयोग करते हैं, और भारत में लगभग 14.6% स्कूल जाने वाले बच्चे इसकी चपेट में हैं। अधिकांश बच्चे फ्लेवरयुक्त उत्पादों से शुरुआत करते हैं, यह मानते हुए कि ये सुरक्षित हैं।
अध्ययन दर्शाते हैं कि निकोटिन मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है, ध्यान और याददाश्त को कम करता है, और नियमित धूम्रपान की आदत विकसित होने की संभावना को बढ़ाता है। सोशल मीडिया के माध्यम से विज्ञापन नियमों को आसानी से दरकिनार किया जा रहा है, जिससे युवाओं पर खतरा और बढ़ गया है। WHO ने देशों से आग्रह किया है कि वे फ्लेवरयुक्त उत्पादों पर प्रतिबंध लगाएं, डिजिटल प्रचार पर नियंत्रण करें, सादा पैकिंग लागू करें, और युवाओं को तंबाकू के खतरों के प्रति शिक्षित करें। रोकथाम ही सबसे अच्छा उपाय है - नशे की शुरुआत को पहले ही रोकना होगा।
आरएसटी कैंसर अस्पताल, नागपुर में 2021 से 2023 तक के कैंसर रजिस्ट्री डेटा के विश्लेषण से एक चौंकाने वाला पैटर्न सामने आया है: कुल 16,079 पंजीकृत मामलों में से 9,140 मरीज - लगभग 56% - कैंसर से पीड़ित पाए गए। ओरल (मुख) कैंसर सबसे प्रमुख था, जिसमें 2,770 मामले (30%) दर्ज किए गए, इसके बाद ब्रेस्ट कैंसर के 1,330 मामले (15%) और सर्वाइकल कैंसर के 1,172 मामले (13%) आए। सबसे अधिक भार 51-60 वर्ष की आयु वर्ग में देखा गया (26%), जबकि 41-50 वर्ष की आयु वर्ग में भी चिंताजनक रूप से 17% मामले सामने आए। ये आंकड़े एक सतत सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करते हैं, विशेष रूप से ओरल कैंसर के मामले, जो अब भी तंबाकू सेवन से निकटता से जुड़े हुए हैं, यह जानकारी डॉ. रेवु शिवकला, रिसर्च साइंटिस्ट, हॉस्पिटल- बेस्ड कैंसर रजिस्ट्री, आरएसटी कैंसर अस्पताल ने दी। ‘तंबाकू का उपयोग केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है - यह एक सामाजिक चुनौती है जिसके दूरगामी परिणाम हैं। फ्लेवरयुक्त उत्पादों और डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से युवाओं को लक्षित करना गहरी चिंता का विषय है’, डॉ. विकास धनोरकर, अतिरिक्त निदेशक, आर एस टी कैंसर अस्पताल ने कहा।
डॉ. बी. के. शर्मा के अनुसार - ‘तंबाकू आज भी जीवन को नष्ट करता है और भविष्य को खत्म करता है। इस दिन हम सभी से अपील करते हैं कि प्रचार के पीछे छिपे खतरों को समझें और हमारी युवा पीढ़ी को इस लत से बचाएं’।
‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2025 हमें एक मजबूत संदेश देता है: हर रंगीन पैक या फ्लेवरयुक्त वेप के पीछे एक गंभीर स्वास्थ्य संकट छिपा है। आइए, हम सच्चाई को उजागर करें, जागरूकता फैलाएं और मिलकर एक स्वस्थ, तंबाकू मुक्त भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं.’ ऐसा आह्वान किया डॉ. करतार सिंह, प्रमुख, रेडियोलॉजी विभाग, आर एस टी कैंसर अस्पताल ने।