राष्ट्र सर्वोपरि
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बातें बहुत नीची, नीची।
अपनी ही मां को परदेशो में जाकर
अपमानित करने की
यह कैसी नीति?
सरकारी नीतियों का विरोध जायज है
यही प्रजातंत्र का प्राण है
पर विरोध का आधार
विशुद्ध तर्क हो, विधान हो
यह आवश्यक है।
यों ही विरोध के लिए
विरोध करना कितना उचित है?
सरकारें आती जाती है
नीतियां उचित अनुचित
सही गलत हो सकती है,
पर घर की लडाई बाहर जाकर
लडना कितना उपयुक्त है?
कुर्सी नहीं, देश सर्वोच्च है,
राष्ट्र ही सर्वोपरि है।
राष्ट्र को पुनः भीतर से
हराने का अपराध दोहराया न जाय।
संकट के समय एक जुट होकर
दुश्मन का सामना किया जाय
भारत माता का ऋण चुकाया जाय।
राष्ट्र वंदन किया जाय।
राष्ट्र वंदन किया जाय।
- प्रभा मेहता
नागपुर, महाराष्ट्र