माता पिता के बुढापे का दर्द
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कष्ट सहे पर कुछ ना कहा
इच्छा मार जिद की पूरी तुम्हारी
पर भी तुमको हम लगते भारी
खुद को आला समझते
बात-बात पर झल्लाते हो
बेटा! हम माँ- बाप है फुटबॉल नही।
खुद का जन्मदिन कभी नही मनाया
तेरा birth day उत्सव सा आया
जेब से ज्यादा माल उड़ाया
महीना भर झेला तंगी
तुझको पेट भर खिलाया
कमरा तेरे लिए सुख- सुविधाओं का बनवाया
बेटा! हम माँ- बाप है फुटबॉल नहीं।
पढा़- लिखा कर योग्य बनाया
सोचा अब दिन बदल जाएंगे
मस्त रहेंगे, भर पेट खाएंगे
तूने तो उल्टा कर डाला बुजुर्ग कह
खाना कम कर कोने में पटक डाला
बेटा! हम माँ - बाप है फुटबॉल नहीं।
कमरा हमारा बेटे को देकर
बरसाती में हमको भेज दिया
घर का कुत्ता खूब क़िस्मती
हमसे अच्छा खाता है शैम्पू से नहाता
हम माँ बाप को बोझ समझ तुमने
क्यो प्यार करना भूल गए हो
बेटा! हम मांँ- बाप है फुटबॉल नही।
- मेघा अग्रवाल
नागपुर, महाराष्ट्र