‘स्वतंत्रता पूर्व का दिल्ली का आखिरी मुशायरा' ऐतिहासिक पुस्तक : डा. उपाध्याय
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डॉ. काशीनाथ जांभूलकर की पुस्तक का लोकार्पण
नागपुर। डॉ. काशीनाथ चंद्रभान जांभूलकर की पुस्तक ‘स्वतंत्रता पूर्व का दिल्ली का आखिरी मुशायरा' ऐतिहासिक पुस्तक है। शोधार्थियों के लिए यह संदर्भ ग्रंथ के रूप में बहुउपयोगी है। यह विचार आयुर्वेदाचार्य व साहित्यकार डॉ. गोविन्द प्रसाद उपाध्याय ने व्यक्त किए।
हिंदी और मराठी के सुपरिचित गजलकार डॉ. काशीनाथ चंद्रभान जांभूलकर की पुस्तक ‘स्वतंत्रता पूर्व का दिल्ली का आखिरी मुशायरा' का लोकार्पण शनिवार को लोहिया अध्ययन केंद्र में किया गया। इस अवसर पर वे बतौर अध्यक्ष बोल रहे थे। पुस्तक का लोकार्पण मुख्य अतिथि राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर व कवि डॉ. समीर कबीर के हाथों हुआ।
विशेष अतिथि के रूप में साहित्यकार डॉ. राजेंद्र पटोरिया उपस्थित थे। डाॅ. उपाध्याय ने पठनीय पुस्तक बताते हुए कहा कि इसमें शायरी, इतिहास और मुगलकालीन शायरी का मजा मिलता है। बहादुरशाह जफर के कालखंड को जीवंत कर दिया है। उर्दू की बेहतरीन गजलें शामिल हैं। गालिब के पत्र उस दौर के हालात बयां करते हैं। 107 पृष्ठ की पुस्तक 1007 पृष्ठ की पुस्तक के बराबर है। यह पुस्तक किसी गीता और रामायण से कम नहीं है।
उर्दू और हिंदी के बीच सेतु का काम : समीर कबीर
डा. समीर कबीर ने कहा कि डा. जांभूलकर की पुस्तक ने उर्दू और हिंदी के बीच सेतु का काम किया है। उन्होंने कहा कि अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर के कार्यकाल में गालिब, मोमिन, मीर, जौक जैसे एक से बढ़कर एक शायर थे। वह गजल का सुनहरा दौर था। गालिब का आज भी कोई मुकाबला नहीं है। उन्होंने कहा कि जमाने के साथ गजल में बदलाव हुआ। अभी शायरी का पांचवां दौर चल रहा है।
डा. राजेंद्र पटोरिया ने कहा कि मुशायरे में 60 शायरों ने हिस्सा लिया था। सभी शायरों की विस्तृत जानकारी दी गई है। डॉ. जांभूलकर ने बताया कि किस तरह ‘स्वतंत्रता पूर्व का दिल्ली का आखिरी मुशायरा' पुस्तक लिखने का ख्याल उनके मन में आया। इस दौरान पता चला कि स्वतन्त्रता पूर्व दिल्ली का आखिरी मुशायरा 20 जुलाई 1845 को अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के कार्यकाल में हुआ था। पुस्तक लिखने के लिए अनेक पुस्तकों का अध्ययन किया।
संचालन टीकाराम साहू ‘आजाद’ तथा आभार प्रदर्शन तेजवीर सिंह ने किया। अतिथियों का स्वागत के.आर. बजाज, रामनारायण मिश्रा, नरेंद्र परिहार, भोला सरवर, कुणाल जांभूलकर ने किया।
कार्यक्रम में डा. अनूप सिंह, अनिल वासनिक, अजय पांडे, डा. प्रेम जोगी, अतुल त्रिवेदी, ओमप्रकाश शिव, जयराम दुबे, डा. विजयकुमार श्रीवास्तव, अनुज कौशल, सुनील मिश्रा, नरेश निमजे, राकेश वैद्य, अरुण घारपुरे, गिरधर भगत, रमेश मौंदेकर, वामन सोनटक्के, दीपेश बोरकर आदि उपस्थित थे।