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वर्तमान में विश्व पर्यावरण दिवस की प्रासंगिकता


हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह केवल एक प्रतीकात्मक दिन नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी को पुनः स्मरण कराने का एक वैश्विक प्रयास है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1972 में इसकी स्थापना की गई थी और यह दिन पर्यावरणीय मुद्दों पर जनजागरूकता बढ़ाने, नीतिगत संवाद को गति देने और सतत विकास की दिशा में कार्यवाही को प्रेरित करने का एक प्रभावी माध्यम बन चुका है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसकी प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है क्योंकि हम ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहाँ पर्यावरणीय संकट मानव अस्तित्व पर सीधा प्रभाव डाल रहा हैं।

पर्यावरणीय संकट और उनकी गहराती छाया : 

आज के समय में जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, वायु प्रदूषण, प्लास्टिक प्रदूषण, जैव विविधता का क्षय, जल स्रोतों का संकट, और असंतुलित नगरीकरण जैसे अनेक गंभीर मुद्दे सामने हैं। ये सभी समस्याएं हमारी जीवनशैली, उपभोग की आदतों और प्रकृति के प्रति उपेक्षा का परिणाम हैं। वैश्विक तापमान में लगातार हो रही वृद्धि, समुद्री जलस्तर का बढ़ना, और चरम मौसमी घटनाएं—ये सभी हमें यह सोचने पर विवश करती हैं कि क्या हम आने वाली पीढ़ियों के लिए कोई सुरक्षित भविष्य छोड़ रहे हैं?

वर्तमान संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता : 

जनस्वास्थ्य पर प्रभाव : पर्यावरण प्रदूषण, विशेष रूप से वायु और जल प्रदूषण, आज गंभीर स्वास्थ्य संकट में बदल चुका है। श्वसन रोग, त्वचा रोग, जलजनित बीमारियाँ और कैंसर जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि : हाल के वर्षों में बाढ़, सूखा, चक्रवात और जंगलों में आग की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। ये प्राकृतिक घटनाएं अब सामान्य नहीं रह गईं हैं, बल्कि मानवजनित जलवायु परिवर्तन की सीधी चेतावनी हैं। जैव विविधता का ह्रास : मनुष्य द्वारा वनों की अंधाधुंध कटाई और भूमि उपयोग के बदलाव के कारण कई प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं या संकट में हैं। जैव विविधता में कमी पारिस्थिति की तंत्र को असंतुलित करती है।

सतत विकास का दबाव : 

आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। हर नीति और योजना में अब पर्यावरणीय दृष्टिकोण को शामिल करना अनिवार्य हो गया है।
यह दिवस विभिन्न देशों, संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और आम जनता को पर्यावरण के मुद्दों पर एकजुट करता है। विभिन्न थीमों के माध्यम से यह विशिष्ट मुद्दों पर केंद्रित ध्यान दिलाता है, जैसे – “प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करें”, “हरियाली को पुनर्स्थापित करें” आदि। स्कूलों, कॉलेजों, उद्योगों और सरकारी स्तर पर पर्यावरण से जुड़ी गतिविधियों की शुरुआत इसी दिन से होती है, जिससे एक सकारात्मक संदेश समाज में फैलता है।

वर्तमान वैश्विक संकट की घड़ी में विश्व पर्यावरण दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह एक संवेदनशील चेतावनी है कि यदि अब भी हम नहीं जागे, तो अगली पीढ़ी को एक असुरक्षित, प्रदूषित और जीवन के लिए अयोग्य धरती विरासत में मिलेगी। यह दिन हमें यह भी सिखाता है कि बदलाव की शुरुआत हमारे अपने घर, व्यवहार और सोच से होती है। पर्यावरण की रक्षा अब एक विकल्प नहीं, बल्कि एक अनिवार्यता है। आइए, इस पर्यावरण दिवस पर हम संकल्प लें "प्रकृति से न केवल लें, बल्कि उसे लौटाएँ भी।"

- डॉ. प्रवीण डबली (वरिष्ठ पत्रकार)
   नागपुर, महाराष्ट्र 
   9422125656
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