पृथ्वी को रेगिस्तान बनना नहीं चाहिए : विश्व पर्यावरण दिवस
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विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को दुनिया भर में मनाया जाता है और यह पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूकता और कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र का मुख्य साधन है। सृष्टी सजीव और निर्जीव पदार्थ का मिश्रण है, वृक्ष ही जीवन हैं। विधाता ने जीवन को इस प्रकार मिश्रित किया है कि वह सृष्टी के जीवनचक्र को संतुलित करता है। मनुष्य द्वारा किसी भी सजीव निर्जीव संरचना के साथ की गई छेड़छाड़ का परिणाम संपूर्ण जीवन सृष्टी को भुगतना पड़ता है। वृक्षवल्ली ही इस सृष्टी का वास्तविक आधार है। तभी राज्य हरा-भरा होगा और सभी को प्रदूषण मुक्त वातावरण में स्वच्छ हवा में सांस लेने के लिए कटिबद्ध होना चाहिए, क्योंकि यह जीवित आत्मा है “पेड़ लगाओ, पेड जगाओ और अनमोल जीवन बचाओ”।
विश्व पर्यावरण दिवस सार्वजनिक पहुंच के लिए एक वैश्विक मंच है, जिसमें हर साल 143 से अधिक देश भाग लेते हैं। यह आयोजन प्रत्येक वर्ष व्यवसायों, गैर-सरकारी संगठनों, समुदायों, सरकार और मशहूर हस्तियों को पर्यावरणीय कारणों का समर्थन करने के लिए एक थीम और मंच प्रदान करता है। पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए दैनिक आधार पर विभिन्न पर्यावरण जागरूकता और कृति कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाता है। जिनका संसार और पर्यावरण पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह दिन हमें पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी के प्रति अहसास और दृष्टिकोन देता है।
आज यानी 5 जून को पूरी दुनिया में पर्यावरण दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन अगले जन्म में परिस्थितियाँ कितनी ख़राब होंगी यह देखने के लिए ही विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। आज जगह-जगह गतिविधियां चलाकर, भाषण देकर, पौधे लगाकर आगे के खतरे को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। इन सबसे ही इस दिन के प्रति जागरूकता पैदा होती है। पृथ्वी हमारी माँ के समान है और सभी को इसके पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए। लगभग पांच दशकों से विश्व पर्यावरण दिवस जागरूकता बढ़ा रहा है, कृति को समर्थन दे रहा है और पर्यावरण के लिए बदलाव ला रहा है। विश्व पर्यावरण दिवस का विषय था “ग्रीन सिटीज” और नारा था “प्लॅन्ट फॉर द प्लॅनेट!” जिसे २००५ में हासिल किया। विषय था रेगिस्तान और मरुस्थलीकरण और “रेगिस्तान में सूखा नही चाहिए” यह नारा था।
2011 के विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन भारत द्वारा किया गया था। भारत की ओर से पहली बार इस दिन की मेजबानी थी। 2011 का विषय था “‘फॉरेस्ट्स-नेचर अॅट युवर सर्व्हिस”। दुनिया भर में हजारों गतिविधियां आयोजित की गईं, जिनमें समुद्र तट की सफाई, संगीत कार्यक्रम, प्रदर्शनियां, फिल्म समारोह, सामुदायिक कार्यक्रम, वृक्षारोपण और बहुत कुछ शामिल हैं। भारत में नरेंद्र मोदी ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाने और पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए कदंब के पौधे लगाए। भारत में विश्व पर्यावरण दिवस 2018 की थीम “बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन” थी और मेज़बान भारत देश था। आशा है कि इस थीम को चुनकर लोग प्लास्टिक प्रदूषण के भारी बोझ को कम करने के लिए अपने दैनिक जीवन में बदलाव लाने का प्रयास करेंगे। लोगों को एकल-उपयोग या डिस्पोजेबल वस्तुओं पर अत्यधिक निर्भरता से मुक्त किया जाना चाहिए क्योंकि इनके गंभीर पर्यावरणीय परिणाम होते हैं। हमें अपने प्राकृतिक स्थानों, वन्य जीवन और अपने स्वास्थ्य को प्लास्टिक से मुक्त करना होगा। भारत सरकार ने 2022 तक भारत में सभी प्लास्टिक के एकल उपयोग को समाप्त करने का संकल्प लिया है।
औद्योगीकरण एवं शहरीकरण की प्रक्रिया में प्रदूषण की समस्या भी तीव्र होती जा रही है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। पर्यावरण को इस नुकसान से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर पौधे लगाना जरूरी है। जिसकी वजह से “वृक्षवल्ली आम्हा सोयरे वनचरे।” सर्वश्रेष्ठ तुकाराम महाराज की शिक्षा को आचरण में लाकर पूरे महाराष्ट्र में व्यापक वृक्षारोपण गतिविधियां शुरू की जानी चाहिए। एक तरफ वृक्षारोपण के प्रचार के साथ पेड़ लगाए जा रहें हैं, लेकिन फिर इसकी देखभाल नहीं की जा रही है। यह एक त्रासदी है कि ये पेड़ मृत अवस्था में हैं, इसलिए नगर परिषदों, नगर परिषदों और ग्राम परिषदों को पेड़ लगाने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए, क्योंकि राज्य के प्रमुख शहरो में वृक्ष कटाई निरंतर बढती जा रही है। इससे शहरों का सौंदर्यीकरण होता है। इसलिए शहर के सौंदर्यीकरण व सुशोभीकरण शहर वृक्ष न होने से दिवालिया हो रहा है जिससे पर्यावरण में वृद्धि हो रही है। प्रदूषण फैलने से स्वास्थ्य असुरक्षित है बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण होनेवाले प्राकृतिक असंतुलन को दूर करने के लिए सरकार को परियोजना की अवधारणा को लागू करना चाहिए।
राजनीतिक अंधता और जमीन छुड़ाने के लालच में सरकार का बुलडोजर पागलो की तरह पेड़ को काटने के लिए निकल पडा है। लेकिन विकल्प तो ढुंढा नहीं, उल्टा सीमेंट रोड की वजह से पर्यावरण प्रदूषित होना स्वाभाविक है। मकान तो बनेंगे, लेकिन पेड़ नहीं होंगे तो लोग धराशायी हो जायेंगे, उसका क्या? इसी जागरूकता के साथ पेड़ को बचाने के लिए संघर्ष समिति बनाने की जरूरत है। “पेड़ लगाओ और पेड़ जगाओ”। पेड़-पौधे लगाना ही काफी नहीं है, बल्कि उनकी देखभाल और संरक्षण भी करना चाहिए। तब कहीं पर्यावरण नहीं बिगड़ेगा, सृष्टी खिली-खिली सी दिखेगी, बहार आये जैसे लगेगी। यदि वृक्ष की देखभाल न की गई तो वसुंधरा का मरुस्थल बनने में देर नहीं लगेगी। इसलिए प्रत्येक नागरिक ने “पेड़ लगाओ और पेड़ बचाओ” के मंत्र को आत्मसात कर आनेवाले बारिश के मौसम में एक पौधा लगाकर अपना कर्तव्य निभाये, जिससे विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का साध्य सार्थक होगा। आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सभी पर्यावरण प्रेमियों को हार्दिक शुभकामनाएँ!
- प्रविण बागडे
नागपुर, महाराष्ट्र
भ्रमणध्वनी : 9923620919