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होईहे वही जो राम रची राखा..


अहमदाबाद के एक मेडिकल कॉलेज में पांच दोस्त रहते थे। सभी में छत पर मेस में दोपहर का भोजन कर रहे होतें हैं। तभी राहुल कहता है - 'छुट्टियां शुरू होनेवाली है तो कौन - कौन, कहां_कहां जा रहा है घूमने'?
'मैं तो नैनीताल की सोच रहा हूं।तुमलोग बताओ'। विमल ने अपनी जिज्ञासा जाहिर की।तभी रोहन बोल उठा - 'क्यों न इस छुट्टी विश्व भ्रमण किया जाए।अगले सेमेस्टर से तो छुट्टियों का भरोसा ही नही'।

'हां तब हम डॉक्टर्स जो होंगे और मेरा मानना है की एक डॉक्टर कभी छुट्टी पे नहीं होता इसीलिए जितने मजे करने हैं इस साल कर लो।मैं तो तैयार हूं। चलो सब चलते हैं'। प्रियांशु ने अपनी राय दी।
'तुम भी तो कुछ बताओ नितिन'। सभी एक स्वर में बोल उठे।

'नैनीताल या लोकल में तो ठीक हैं जहां बस या ट्रेन से जाया जा सकता है पर फ्लाइट से नहीं'। कहते हुए नितिन घबरा उठा।तभी विमल का फोन बज उठा।उसने कहा - 'तुम तीनों मिलकर तब तक इसे विश्व भ्रमण के लिए मनाओ मै नीचे से एक पार्सल लेकर आया।

सभी ने नितिन को मनाने की खूब कोशिश की पर वो नहीं माना। बहुत जिद करने पर उसने वजह बताई - 'मेरी माता जी ज्योतिष में बहुत विश्वास रखती हैं और मेरी कुंडली में लिखा है कि विमान की यात्रा मेरे लिए घातक है। मेरी जान भी जा सकती है इसीलिए मेरी मां ने आजीवन विमान में न बैठने की मुझे सख्त हिदायत दी है और मैं अपनी मां की बात कभी टाल नहीं सकता'।

सभी कुछ देर तो चुप रहें फिर एक साथ ठहाके लगाने लगे। 'इक्कीसवीं सदी में भी तुम इन बातों में यकीन करते हो?भाई तुम लोग ही झेलो इसे मै भी विमल के साथ जाता हूं'। कहता हुआ राहुल तेजी से निकल पड़ा।अभी दोनो नीचे पार्सल ले ही रहे थे कि मेस की छत पर एक जोड़दार विस्फोट हुआ।चारों तरफ़ अफरा_तफरी मच गई।राहुल और विमल को मानो काटो तो खून नहीं। अहमदाबाद की वो 12 जून की खौलता दोपहर और चारों ओर खौफनाक मंजर।

थोड़ी ही देर में वहां का सारा नजारा ही बदल गया।पता चला कि भारत से लंदन जानेवाला एयर इंडिया का विमान - 171 क्रैश हो गया है।जिसमें राहुल और विमल के तीनों दोस्त भी अपनी जान गवां चुके थे।राहुल चीखने लगा - 'ये क्या हो गया विमल? नितिन विमान में इसीलिए नहीं बैठने को तैयार था कि उसकी कुंडली में विमान दुर्घटना से मौत लिखी थी पर ये क्या विमान ने तो खुद आकर उसकी जान ले ली।ये कैसा क्रूर मजाक हुआ है हमारे साथ'।

राहुल भी बेसुध हुआ चीखता रहा - 'हमें क्यों छोड़ दिया ऊपरवाले ने।अब हम कैसे जिएंगे दोस्तों के बिन'।
तभी एक बुजुर्ग दोनों को ढाढस बंधाते हुए कहते हैं - 'संभालो खुद को।अब होनी को कौन टाल सकता है बाबू? होइहे वही जो राम रची रखा'।

- रजनी प्रभा 
   मुजफ्फरपुर, बिहार 
   rajni.prabha22@gamail.com
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