विद्यार्थी ही शिक्षण संस्था के सच्चे प्रवक्ता : डॉ. कल्पना पांडे
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हिन्दी विभाग में पूर्व विद्यार्थी गौरव सम्मान समारोह सम्पन्न
नागपुर। विद्यार्थी ही किसी भी शिक्षण संस्था की पहचान होते हैं। वही शिक्षण संस्था के गौरव होते हैं। उनका सम्मान संस्था का सम्मान होता है। विद्यार्थी ही शिक्षा संस्था और विभाग के सच्चे प्रवक्ता होते हैं। यह बात विद्यापीठ शिक्षण मंच की अध्यक्ष तथा नागपुर की पूर्व महापौर डॉ. कल्पना पांडे ने कही। वे हिन्दी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित “पूर्व विद्यार्थी गौरव सम्मान समारोह” को सम्बोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा जीविका कमाने का साधन ही नहीं, हमारी संस्कृति की रक्षा और विकास का माध्यम भी है। शिक्षा ही हमें नागरिकता बोध कराती है। भाषा की कोख में संस्कृति का पल्लवन होता है। अतः भाषा के विद्यार्थियों की समाज में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अपने पूर्व विद्यार्थियों का सम्मान विभाग का स्तुत्य कार्य है।
समारोह में वर्ष २०१५ से २०२५ तक के ७६ पूर्व विद्यार्थियों को सम्मान पत्र, श्रीफल तथा अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विभाग की विद्यार्थी केन्द्रित रचनात्मक पत्रिका 'विद्यार्थी-दृष्टि' का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि नागपुर विश्वविद्यालय के वित्त एवं लेखा अधिकारी श्री हरीश पालीवाल ने कहा कि एक शिक्षक की पहचान विद्यार्थी से होती है। श्रीकृष्ण के गुरु के रूप में संदीपनी ऋषि जाने जाते हैं जबकि अर्जुन और एकलव्य के गुरु के रूप में द्रोणाचार्य की पहचान है। इसी तरह चाणक्य की जब बात होती है तब तक्षशिला विश्वविद्यालय का नाम सामने आता है। विद्यार्थी जब श्रेष्ठता अर्जित करता है तब उसके शिक्षक और शिक्षा संस्थान की भी कीर्ति बढ़ती है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मानविकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ. शामराव कोरेटी ने कहा कि पूर्व विद्यार्थियों का अपने विभाग के प्रति लगाव होने से विभाग का विकास होता है। विद्यार्थी ही अपने गुण, कौशल और आत्मीय सहयोग से विभाग को गौरवान्वित करता है।
प्रास्ताविक रखते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि पूर्व विद्यार्थियों का एकत्रीकरण करना यानी अपने परिवार को एकजुट करना है। विभाग से जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति विभाग-परिवार का अभिन्न अंग है। विद्यार्थी विभाग के गौरव हैं, उनका सम्मान विभाग के प्रति उनके अनुराग का सूचक है।
इस अवसर पर पूर्व विद्यार्थियों ने अपने विद्यार्थी काल के अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए विभाग के सहयोगी प्रोफेसर डॉ. संतोष गिरहे ने कहा कि साहित्य का विद्यार्थी होना गर्व की बात है। पूर्व विद्यार्थियों के सम्मान से विभाग का गौरव बढ़ता है। यह विद्यार्थी और विभाग दोनों के लिए प्रेरणा का विषय है। डॉ. लखेश्वर चन्द्रवंशी ने आभार व्यक्त किया।