साहित्यिकी में ‘किताबें बोलती हैं’ का आयोजन संपन्न
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नागपुर। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के साहित्यिकी में ‘किताबें बोलती हैं’ का आयोजन संपन्न हुआ। प्रमुख अतिथि रामकृष्ण सहस्रबुद्धे का सत्कार सहसंयोजक शादाब अंजुम ने प्रतीक चिन्ह भेंट वस्तु से किया।
प्रस्तावना में सहसंयोजक हेमलता मिश्र मानवी ने किताब की व्यथा बताते हुये कहा - ‘किताबें बोलती हैं’ - मैं सड़क पर आ गई और जूते शो केसों में रखे जाने लगे। आज किताब के पृष्ठ फाडकर उस पर समोसा भजिया रख कर खाया जाता है। ऐसे समय में किताबो से संवाद स्थापित किया जाना जरूरी है।
आयोजन में उपस्थित भोला सरवर ने दीपस्तंभ, डॉ. राम मुले ने चतुरंग, रूबी दास ने जियो जी भर इंदिरा किसलय ने जापान की कविता, पूनम मिश्रा ने उद्भ्रांत पर माधुरी मिश्रा ने जम्हूरियत की बात अमिता शाह ने जय शंकर प्रसाद अनीता आगरकर ने कर्म से जुटें राबर्ट टी, देवयानी बैनर्जी ने चिंतामणी चितन, रमेश मौंदेकर ने दामोदर खडसे की पुस्तक से सामयिक सार्थक अंश पढे।
जयशंकर तिवारी, कृष्णा कपूर, सुधीर पांडेय, विजय तिवारी, अरविंद बेगडे, पुष्पा देवी, बनर्जी ने आयोजन में सक्रिय सहभागिता की। बड़ी संख्या में सुधिजनों की उपस्थित में- अध्यक्षीय वक्तव्य में अतिथि रामकृष्ण वि सहस्रबुद्धे ने कार्यक्रम का सटीक आकलन किया और सभी की रचनाओं पर अनमोल विचार प्रकट किये।