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हेरिटेज वॉक : जिज्ञासुओं ने जाना मारबत उत्सव का इतिहास


नागपुर। नागपुर का अनोखे मारबत उत्सव की विस्तृत निति नैरेट्स द्वारा आयोजित हेरिटेज वॉक में जिज्ञासुओं को दी।लगभग 30 प्रतिभागी नेहरू पुतला, इतवारी में एकत्र हुए और उन ऐतिहासिक गलियों से गुज़रे जहाँ आज भी मारबत की परंपराएँ धड़कती हैं।


वॉक का नेतृत्व आ. नितिका एस. रामानी ने किया। यात्रा में नेहरू पुतला, काली मरबत स्थान, चहल- पहल वाली किराना ओली, तबला मार्केट, बुधवारी और अंततः पीली मरबत स्थल शामिल थे। यात्रा के दौरान रामानी ने लोककथाओं, सामाजिक इतिहास और मरबत की गहरी सांस्कृतिक व्याख्याएँ सुनाईं। रामानी ने समझाया कि मरबत असल में क्या दर्शाती हैं। 'सामान्य धारणा के विपरीत, मारबत कोई राक्षस या शैतान नहीं हैं', उन्होंने कहा। 'ये ऐसे रक्षात्मक पुतले हैं जिन्हें समाज ने दुर्भाग्य, बीमारियाँ और नकारात्मकता सोखने के लिए बनाया। इनका दहन नफ़रत नहीं बल्कि शुद्धिकरण है – एक प्रतीकात्मक औषधि, जो पूरे समाज को शुद्ध करती है'।

वॉक के दौरान यह भी सामने आया कि नागपुर में महामारियों और सामाजिक संकटों के दौर में मारबत परंपरा उभरी और लोगों के सामूहिक प्रतिरोध व जीवटता की प्रतीक बन गई। प्रतिभागियों ने पीली मरबत के कृषि चक्र से जुड़ाव, काली मरबत की रक्षात्मक शक्ति तथा बडगया और लाल मरबत के सामाजिक संदेशों को समझा। कई प्रतिभागियों के लिए यह पहली बार था जब उन्होंने मारबत को केवल जलाने की वस्तु नहीं, बल्कि जीवित धरोहर और सामुदायिक सुरक्षा के प्रतीक के रूप में देखा। यह पहल निति नैरेट्स के उन प्रयासों का हिस्सा है जिनके तहत शहर के नागरिकों को उनके आसपास के इतिहास और संस्कृति से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।

जैसे-जैसे नागपुर इस वर्ष के मारबत जुलूस की तैयारी कर रहा है, यह वॉक याद दिलाती है कि मरबत महज़ जलाए जाने वाले पुतले नहीं हैं, बल्कि सुरक्षा, शुद्धिकरण और सामुदायिक एकजुटता के प्रतीक हैं।
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